वृंदावन से बुलंदशहर तक हर्षा रिछारिया की आध्यात्मिक पदयात्रा
बुलंदशहर : महाकुंभ से चर्चा में आई हर्षा रिछारिया की पदयात्रा शुक्रवार रात बुलंदशहर में समाप्त हो गई। हालांकि यह पदयात्रा संभल में 21 अप्रैल को समाप्त होनी थी, पर प्रशासन से अनुमति न मिल पाने के कारण डिबाई तहसील के रामघाट पर ही पदयात्रा को विराम दिया गया।

वृंदावन से बुलंदशहर तक हर्षा रिछारिया की आध्यात्मिक पदयात्रा
आज़ का मुद्दा
बुलंदशहर : महाकुंभ से चर्चा में आई हर्षा रिछारिया की पदयात्रा शुक्रवार रात बुलंदशहर में समाप्त हो गई। हालांकि यह पदयात्रा संभल में 21 अप्रैल को समाप्त होनी थी, पर प्रशासन से अनुमति न मिल पाने के कारण डिबाई तहसील के रामघाट पर ही पदयात्रा को विराम दिया गया।
समापन के दौरान गंगा के घाट को दीपों से जगमग किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। सभी ने सनातन और हिन्दुत्व के जय घोष भी लगाए। हर्षा और उनके दल को सम्मानित किया गया। इसके बाद वे अपने दल के साथ वापस लौट गई।
अब पढ़ें पूरा मामला...
प्रयागराज महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने 14 अप्रैल को वृंदावन से पदयात्रा शुरू की। 20 अप्रैल को संभल पहुंचने, फिर 21 अप्रैल को यात्रा के समापन का लक्ष्य रखा। हर्षा ने बताया था कि यह यात्रा वह सनातन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए निकाल रही हैं। इस पदयात्रा का उद्देश्य युवकों तक धर्म और आध्यात्मिकता का संदेश पहुंचाना है। हालांकि, 17 अप्रैल को अलीगढ़ में प्रशासन ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी।
हर्षा रिछारिया से पहले भी कई राजनीतिक शख्सियतें और पार्टियां भी पदयात्रा निकाल चुकी हैं।
गंगा की भव्य आरती, दीपों से जगमगाया घाट
हर्षा पदयात्रा करते हुए शुक्रवार शाम 7:30 बजे डिबाई के रामघाट पर पहुंचीं। यहां उन्होंने समर्थकों के साथ गंगा जी की भव्य आरती की। श्रद्धालुओं में प्रसाद भी बांटा। इसके बाद महामंडलेश्वर डॉ. सुरेंद्रानंद गिरि महाराज व अन्य संतों से मुलाकात की। इस दौरान रामघाट दीपों से जगमगाता दिखा। समारोह के दौरान हर्षा रिछारिया ने अपनी यात्रा के उद्देश्यों, अनुभवों और मार्ग में मिले जनस्नेह को साझा किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह यात्रा केवल चलने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन, धार्मिक जागरूकता और सेवा भावना के प्रसार का प्रयास रही है।
समापन स्थल कई बार बदला, लेकिन श्रद्धा डटी रही यात्रा का अंतिम पड़ाव पहले संभल तय हुआ था, लेकिन प्रशासन से अनुमति न मिलने पर योजना बदलनी पड़ी। फिर नरौरा में गंगा स्नान के साथ समापन की तैयारी हुई, लेकिन अंतिम समय पर आयोजकों ने डिबाई के रामघाट पर कार्यक्रम करने का निर्णय लिया।
"यात्रा सिर्फ कदमों की नहीं, दिलों को जोड़ने की थी" - हर्षा रिछारिया
समारोह में हर्षा रिछारिया ने यात्रा के दौरान मिले अनुभव साझा करते हुए कहा- यह पदयात्रा केवल चलने का माध्यम नहीं थी, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और सेवा भावना को फैलाने का एक छोटा प्रयास था।महामंडलेश्वर बोले- धर्म के लिए समर्पित ऐसे प्रयास सराहनीय समापन समारोह में गंगा धाम आश्रम के परम पूज्य महामंडलेश्वर डॉ. सुरेंद्रानंद गिरि महाराज ने अध्यक्षता की। उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा- आज के दौर में जब भौतिकता चरम पर है, ऐसे में अध्यात्म और सेवा के लिए निकली यात्राएं समाज को नई दिशा देने का कार्य कर रही हैं।
श्रद्धालुओं बोले- ऐसे आयोजनों से जागती है आस्था इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, साधु-संत, महिलाएं, युवा और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आध्यात्मिक आयोजनों से समाज में नई ऊर्जा का संचार होता है और आस्था मजबूत होती है।
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