दिल्ली में कैसे सीटें बदल सत्ता के समीकरण साध रही AAP

नई दिल्ली। पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी अब तक 31 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।

दिल्ली में कैसे सीटें बदल सत्ता के समीकरण साध रही AAP

दिल्ली में कैसे सीटें बदल सत्ता के समीकरण साध रही AAP

Delhi विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी अब तक 31 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। इनमें से 8 सीटें तो ऐसी हैं, जिन पर पिछली बार बीजेपी ने जीत हासिल की थी। वहीं 3 सीटें ऐसी हैं, जहां मौजूदा विधायकों ने आम आदमी पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली थी।

अगर इन 11 सीटों को छोड़ दें, तो बाकी बची 20 सीटों में से 18 सीटों पर पार्टी ने अपने वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर नए उम्मीदवारों को टिकट दे दिए हैं। केवल दो मौजूदा विधायकों मनीष सिसोदिया और राखी बिड़लान को ही दोबारा टिकट मिला है, लेकिन इनकी भी सीटें बदल दी गई हैं। जंगपुरा और मादीपुर के मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर इन दोनों को उम्मीदवार बनाया गया है।

पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले थे। इस बार मामला उससे आगे निकल चुका है और अभी आधी से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार घोषित होने बाकी है। ऐसे में अब तक का ट्रेंड यही संकेत दे रहा है कि इस बार आम आदमी पार्टी दिल्ली की आधी से ज्यादा सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है और कई मौजूदा विधायकों की सीटें बदल सकती है।

लगातार चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 5 साल में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा और सीएम तक बदलना पड़ा, उसे देखते हुए पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को भी नजरअंदाज नहीं कर रही है।

यही वजह है कि इस बार हर सीट का बहुत बारीकी से विश्लेषण किया जा रहा है। विधायकों की परफॉर्मेंस, उनके प्रति जनता का फीडबैक, पार्टी की जीत के चांस और विरोधी उम्मीदवारों से मिलने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ही इस बार कैंडिडेट्स का चयन किया जा रहा है और इस मामले में पार्टी कड़े फैसले लेने में भी नहीं झिझक रही है। चर्चा यह भी हो रही है कि मनीष सिसोदिया के बाद खुद अरविंद केजरीवाल को भी पार्टी नई दिल्ली के बजाय किसी दूसरी ज्यादा सेफ सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है।

अभी तक जारी हुई दो लिस्टों से यह भी साफ संकेत मिला है कि पार्टी के कई विधायकों की परफॉर्मेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है या उन्हें लेकर जनता में नाराजगी है। इसे दूर करने के लिए पार्टी अपने वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर या उनकी सीटें बदलकर माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है।

इस बार पार्टी के कई पार्षदों को भी टिकट दिए जा रहे हैं। इसका फायदा यह होगा कि अगर वो जीत गए, तो विधायक बन जाएंगे, वरना पार्षद तो रहेंगे ही। ऐसे में पार्टी को ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा।