सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से मानसिक स्वास्थ्य पर असर

नोएडाः सर्दियों का मौसम जहां सुकून और गर्म चाय-कॉफी का आनंद लेकर आता है। वहीं यह कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी डाल सकता है। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जो सर्दियों के दौरान मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से मानसिक स्वास्थ्य पर असर

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से मानसिक स्वास्थ्य पर असर

नोएडाः सर्दियों का मौसम जहां सुकून और गर्म चाय-कॉफी का आनंद लेकर आता है। वहीं यह कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी डाल सकता है। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जो सर्दियों के दौरान मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। 

फेलिक्स अस्पताल की साइकेट्रिस्ट डॉ. आशिमा रंजन का कहना है कि सर्दियों में धूप कम मिलती है, जिससे शरीर की इंटरनल क्लॉक प्रभावित होती है। इससे सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर घट सकता है, जो मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है। कम धूप के संपर्क में रहने से विटामिन डी का स्तर गिरता है, जिससे डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ता है। ठंड़े मौसम के कारण लोग घरों में बंद रहते हैं और सामाजिक मेलजोल कम हो जाता है, जिससे अकेलापन महसूस हो सकता है। सर्दियों में लंबी रातें और धीमा डेली शेड्यूल स्लीप साइकिल को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मानसिक सुस्ती हो सकती है।

ठंड के कारण चलना-फिरना और एक्सरसाइज कम हो जाती है, जिससे एंडोर्फिन और हैप्पी हार्मोन्स का स्तर घट सकता है। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का इलाज लाइट थेरेपी है। एक विशेष प्रकार की लाइट बॉक्स के जरिए रोजाना 20-30 मिनट तक कृत्रिम रोशनी में बैठने से लाभ होता है। डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लिया जा सकता है।

दिमाग को शांत और सकारात्मक बनाए रखने के लिए योग और ध्यान करना बेहद प्रभावी होता है। जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क कर काउंसलिंग या थेरेपी ली जा सकती है। गंभीर मामलों में डॉक्टर की सलाह से दवाइयां ली जा सकती हैं। जरूरी है कि अपने रूटीन में बदलाव करें। थोड़ा वक्त बाहर समय बिताने की कोशिश करें, भले ही ठंड क्यों न हो। खुद को सकारात्मक विचारों और गतिविधियों में व्यस्त रखें। यदि पिछले साल भी सर्दियों में ऐसे लक्षण महसूस हुए थे, तो पहले ही डॉक्टर से सलाह लें।


सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षणः

हर समय उदासी और निराशा महसूस होना।
छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना।
सामान्य कार्यों में भी ऊर्जा की कमी महसूस होना।
हर समय सोने की इच्छा होना।
लोगों से मिलने-जुलने का मन न करना।
ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना।
विशेषकर मीठे और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन की इच्छा बढ़ना।

बचाव के तरीकेः

सुबह के समय 15-20 मिनट धूप में बैठें। यह मूड को बेहतर बनाने और विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
ठंड के बावजूद घर पर ही हल्का फिजिकल एक्टिविटी करें।
संतुलित आहार लें, जिसमें हरी सब्जियां, फलों और प्रोटीन की भरपूर मात्रा हो।
दोस्तों और परिवार से जुड़े रहें और समय-समय पर उनसे बातचीत करें।
सोने और उठने का समय तय करें और उसे नियमित रूप से फॉलो करें।