ब्रजवासियों की प्राणधन हैं श्रीराधा रानी : श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज
श्रीमहंत श्रीहित लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।
ब्रजवासियों की प्राणधन हैं श्रीराधा रानी : श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज
डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन।गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय श्रीहित निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित रासमंडल) पर ब्रज अधिष्ठात्री श्रीराधा रानी का छठी महोत्सव विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ श्रीमहंत श्रीहित लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ। जिसके अंतर्गत श्रीराधावल्लभीय समाज मुखिया राकेश दुबे की मुखीयायी में मंगल बधाई समाज गायन हुआ।जिसमें प्रख्यात राधावल्लभीय वाणी कारों द्वारा रचित बधाइयों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।साथ ही सखियों के द्वारा अत्यंत मनोहारी नृत्य किया गया।इसके अलावा मेवा-मिष्ठान्न, रुपए-कपड़े, खेल-खिलौने, वस्त्र-बर्तन आदि लुटाए गए।
श्रीहित रास मण्डल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज ने कहा कि श्रीजी की महिमा वेदों और पुराणों में भी गाई गई है।रसिक संतों की वाणियों में उन्ही की महत्ता का विस्तार से वर्णन है। वर्तमान में भी ब्रज में वास करने वाले ब्रजवासियों की प्राणधन श्रीराधा रानी ही हैं।श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि श्रीराधा रानी ब्रज की आराध्या हैं।वह भगवान श्रीकृष्ण की भी पूज्य हैं।उनके बगैर ब्रज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय में श्रीराधाजी को ही सर्वोपरि माना गया है।उनके अनुसार श्रीराधा की उपासना के बिना श्रीकृष्ण तत्व की प्राप्ति कर पाना असम्भव है।
महोत्सव में महंत दंपति शरण महाराज (काकाजी), रसिक माधव दास महाराज, महंत सुंदरदास महाराज, भागवताचार्य मारुति नंदनाचार्य वागीश महाराज, यदुनंदनाचार्य महाराज, पण्डित हरेकृष्ण शर्मा "शरद", महंत किशोरी शरण भक्तमाली, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, रासाचार्य स्वामी देवेंद्र वशिष्ठ,भागवताचार्य राकेश शास्त्री, श्रीराम कथा प्रवक्ता अशोक व्यास, राधावल्लभ वशिष्ठ, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, प्रिया शरण वशिष्ठ, युवराज श्रीधराचार्य महाराज, इंद्र कुमार शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।