श्रीराधा रानी के नाम की महिमा अनंत है : श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज
वृन्दावन।अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित रासमंडल) में श्रीराधाष्टमी के पावन उपलक्ष्य में चल रहा चतुर्दिवसीय दिव्य रासलीला महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ
श्रीराधा रानी के नाम की महिमा अनंत है : श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज
डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन।अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित रासमंडल) में श्रीराधाष्टमी के पावन उपलक्ष्य में चल रहा चतुर्दिवसीय दिव्य रासलीला महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।जिसके अंतर्गत प्रातः 5 बजेप्रख्यात रासाचार्य स्वामी देवेन्द्र वशिष्ठ महाराज के निर्देशन में श्रीराधा जन्म लीला की अत्यंत मनोहारी प्रस्तुति दी गई।तत्पश्चात वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य श्रीजी का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें पीत वस्त्र धारण कराए गए।साथ ही उन्हें 56 भोग निवेदित किए महाआरती की गई।
इस अवसर पर देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्तों-श्रृद्धालुओं को अपने आशीर्वचन देते हुए श्रीहित रासमंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज ने कहा कि श्रीराधा नाम की महिमा अपरम्पार है।वे श्रीकृष्ण की अधिष्ठात्री देवी हैं। श्रीराधा नाम जपने से श्रीकृष्ण शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।श्रीराधा नाम स्मरण करने से ही हमारे जीवन की समस्त व्याधा बाधा मिट जाती हैं और श्रीराधा नाम लेने से करोड़ों जन्मों के दोष-पाप और शुभाशुभ कर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं।
उन्होंने कहा कि श्रीराधा रानी के नाम की महिमा अनंत है। श्रीराधा नाम जैसा कोई मंत्र नहीं है। यह स्वयं में ही महामंत्रश्रीराधारानी के नाम का इतना प्रभाव है, कि सभी देवता और यहां तक कि भगवान श्रीकृष्ण भी उनके नाम का भजन करते हैं।इससे पूर्व श्रीराधावल्लभ संप्रदाय के समाज मुखिया राकेश दुबे की मुखियायी में मंगल बधाई समाज गायन किया गया।साथ ही खेल-खिलौने, मेवा-मिष्ठान, रुपए-कपड़े व बर्तन आदि लुटाए गए।तत्पश्चात दधिकांदा व ढांढ़ी-ढांढ़िंन नृत्य आदि के कार्यक्रम भी संपन्न हुए।
महोत्सव में महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री, महंत सुंदरदास महाराज, महन्त दंपत्ति शरण महाराज (काकाजी), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, पण्डित राधावल्लभ वशिष्ठ, भागवताचार्य रामप्रकाश भारद्वाज (मधुरजी), डॉ. राधाकांत शर्मा, इंद्रकुमार शर्मा, प्रिया शरण वशिष्ठ, लालू शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं समष्टि भंडारे के साथ हुआ।