केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के पटियाला में किसानों से की मुलाकात
विकसित कृषि संकल्प अभियान’ पूरे देश में जोरों पर है। लाखों किसान इस अभियान से जुड़ चुके हैं और यह क्रम जारी है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के पटियाला में किसानों से की मुलाकात
शशि किरण अरोड़ा) -- आज का मुद्दा
-विकसित कृषि संकल्प अभियान’ पूरे देश में जोरों पर है। लाखों किसान इस अभियान से जुड़ चुके हैं और यह क्रम जारी है। अभियान के 8वें दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के किसानों से संवाद किया। इस अवसर पर पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों तक विज्ञान व शोध की जानकारी पहुंचाने के लिए और ‘लैब टू लैंड’ को जोड़ने के लिए ही ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई है। इस अभियान के तहत वैज्ञानिक जिस भी गांव का दौरा करते हैं, वहां के क्षेत्र की पूर्व जानकारी लेकर जाते हैं और उसी के अनुसार किसानों से संवाद किया जाता है। मिट्टी के पोषक तत्वों, जलवायु को ध्यान में रखते हुए कौन सी किस्म के जरिए पैदावार को बढ़ाया जा सकता है, उसकी जानकारी दी जाती है। साथ ही वायरस अटैक व कीटनाशकों की भी सही जानकारी दी जाती है। इस अभियान के जरिए खेत की जरूरत के अनुसार ही शोध की दिशा तय करने का काम किया जा रहा है।
शिवराज सिंह ने कहा कि आज मैंने ट्रैक्टर चलाकर किसानों की व्यावहारिक समस्या को समझने की कोशिश की। इस अभियान के बाद हर क्षेत्र से जो जानकारियां एकत्र होगी, उसी के आधार पर आगे की कृषि नीतियां बनाई जाएंगीं।
चौहान ने कहा कि पंजाब की इस धरा को मैं बारंबार हृदय से प्रणाम करता हूं। यह वो धरती है, जिसने कई वर्षों तक पूरे हिंदुस्तान के अन्न के भंडार भरने का काम किया है। एक समय था जब हम अमेरिका का खराब गुणवत्ता वाला गेहूं पीएल 480 खाने पर मजबूर थे, हरित क्रांति ही है जिसने हमें इससे मुक्ति दिलाई। पंजाब के किसानों, उनके जुनून और जज्बे को मैं प्रणाम करता हूं। पंजाब के किसानों को उनके अमूल्य प्रयासों के लिए बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं।
शिवराज सिंह ने कहा कि आज देश में गेहूं के उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि हुई है। गेहूं उत्पादन अपने उच्चतम स्तर पर है। इसके साथ-साथ चावल, मक्के, मूंगफली और सोयाबीन के उत्पादन में भी रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। दलहन-तिलहन में उत्पादन वृद्धि के लिए भी पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। आज देश अन्न के लिए किसी पर निर्भर नहीं है।
चौहान ने कहा कि धान की पुरानी रोपाई की पारंपरिक पद्धति में पानी के साथ-साथ श्रम और लागत भी बहुत ज्यादा लगती थी, लेकिन अब नई आधुनिक तकनीक के जरिए सीधे बीज के माध्यम से बुआई की पद्धति का भी विकास हो चुका है। गेहूं की भांति अब चावल भी मशीन के जरिए बीज के माध्यम से बोया जा सकता है। कई किसानों ने इस संबंध में मुझसे अपने अनुभव भी साझा किए हैं। पंजाब के किसानों ने बताया कि नई पद्धति से उत्पादन के स्तर में भी कोई बदलाव नहीं आता। जितना उत्पादन पारंपरिक रोपाई के माध्यम से होता है, उसी प्रकार डायरेक्ट सीडिंग से भी धान की उपज होती है और इस पद्धति को अपनाने से श्रम और लागत में भी काफी बचत होती है।
चौहान ने कहा कि हमें कीटनाशकों का संतुलित उपयोग भी करना होगा। अनावश्यक अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग से कृषि की लागत बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता पर भी विपरीत असर पड़ता है। पंजाब की धरती पर हर किस्म की खेती की जा सकती है। बागवानी के लिए भी व्यापक संभावनाएं हैं। निर्यात गुणवत्ता वाले फल और सब्जियों के उत्पादन के लिए भी प्रयास करने होंगे।केंद्रीय मंत्री चौहान ने सिंधु जल समझौता पर भी बात की और कहा कि यह अन्यायपूर्ण जल समझौता रद्द करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कदम स्वागत योग्य है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के किसान इस समझौते से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, लेकिन अब भारत का पानी भारत के किसानों के लिए इस्तेमाल होगा।शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों की सेवा ही मेरा धर्म है। उत्पादन बढ़े और किसान समृद्धि की ओर बढ़े, तभी कृषि मंत्री के रूप में मेरे दायित्व की सार्थकता सिद्ध होगी।
कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर एस.एस. भूषण, वैज्ञानिक व अधिकारी भी शामिल रहे।
What's Your Reaction?






