प्रेम के वशीभूत हो ब्रज गोपीकाओं का माखन चुराते थे भगवान श्रीकृष्ण : गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज
वृन्दावन।रमणरेती क्षेत्र स्थित फोगला आश्रम में गौसेवा परिवार, सीतारामप्यारी सोभासरिया चैरिटेबल ट्रस्ट (कलकत्ता) के तत्वावधान में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।
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प्रेम के वशीभूत हो ब्रज गोपीकाओं का माखन चुराते थे भगवान श्रीकृष्ण : गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज
वृन्दावन।रमणरेती क्षेत्र स्थित फोगला आश्रम में गौसेवा परिवार, सीतारामप्यारी सोभासरिया चैरिटेबल ट्रस्ट (कलकत्ता) के तत्वावधान में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसके पांचवें दिन व्यासपीठ पर आसीन श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण जी
महाराज ने अपनी सरस वाणी के द्वारा सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को पूतना उद्धार, शक्टासुर वध, शिव का भगवान के बाल स्वरूप दर्शन हेतु ब्रज में आगमन, नाम करण, नाम करण, माखन चोरी, अघासुर वध, बकासुर वध, कालिया मर्दन, ब्रह्मा मोह, इंद्र मान मर्दन और गिरिराज गोवर्धन लीला आदि प्रसंगों की कथा श्रवण कराई।
व्यासपीठाधीन श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने माखन चोरी की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि समस्त देवी-देवता जिनकी अगवानी करते हैं।तीनों लोक और चौदह भुवन जिनके आधीन हैं।जिनकी इच्छा से ही समूचे विश्व में प्रलय और सृष्टि की रचना होती है, उन अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक भगवान श्रीकृष्ण को माखन चुराने की क्या आवश्यकता आन पड़ी।जिनके घर में नौ लाख गायों की भरमार हो,वो दूसरे घरों का माखन क्यों चुराएंगे। वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण तो प्रेम की आधीन हैं। प्रेम के वशीभूत होकर ही वे ब्रज गोपीकाओं के घर का माखन चुराकर खाते थे।
पूज्य महाराजश्री ने गिरिराज पूजन की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव भगवान श्रीकृष्ण की एक अलौकिक लीला है।जिसमें एक ओर तो वे गिरिराज गोवर्धन के रूप में स्वयं पूज्य बने और दूसरी ओर उन्होंने नंदनंदन के रूप में ब्रजवासियों के साथ गाते-बजाते हुए गिरिराज गोवर्धन की पूजा-अर्चना की।वस्तुत: यह लीला हमारी पुरातन संस्कृति में निहित अपने आराध्य के प्रति आस्था के अतिरिक्त माधुर्य व वैभव का भी प्रतीक है।
इस अवसर पर महोत्सव के मुख्य यजमान रमेश कुमार शोभासरिया, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, पण्डित किशोर शास्त्री, आचार्य राजा पण्डित, पंडित उमाशंकर मिश्रा एवं डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।