लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्राउंड वॉटर लेवल 10 साल में 160 फीट के करीब चला गया जलस्तर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्राउंड वॉटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है। गीतापल्ली के आजाद नगर में दस साल पहले 80 फुट पर मिलने वाला पानी अब 240 फुट पर मिल रहा है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्राउंड वॉटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है।
गीतापल्ली के आजाद नगर में दस साल पहले 80 फुट पर मिलने वाला पानी अब 240 फुट पर मिल रहा है। ऐसे में नलकूप फेल होने से पानी की दिक्कत शुरू हो गई है। इसे देखते हुए नलकूप को रीबोर करवाने की तैयारी चल है। लखनऊ के कई इलाकों में भू-जल की यही स्थिति है। पानी तेजी से रसातल की तरफ जा रहा है। खुद जल संस्थान और जल निगम के आंकड़ों के अनुसार दस साल पहले तक जिन इलाकों में नलकूपों के लिए महज 80 से 100 फुट तक बोरिंग करवानी पड़ती थी, वहां अब 220 से 240 फुट तक करवानी पड़ रही है।
गर्मी शुरू होते ही लखनऊ के 38 इलाकों में जलापूर्ति के लिए लगे नलकूप फेल हो गए हैं। ऐसे में रीबोर करवाने की तैयारी शुरू हो गई है। इससे पहले जल संस्थान की तरफ से सर्वे करवा रिपोर्ट नगर निगम को भेजी गई है। जल संस्थान अधिकारियों के मुताबिक तेजी से गिरते जलस्तर से सैकड़ों की संख्या में हैंडपंप भी सूख चुके हैं। ऐसे में लोगों को पानी संकट का सामना करना पड़ रहा है। आलमबाग, कृष्णानगर, इंदिरानगर, पारा, नरही, मड़ियांव, कुकरैल, फैजुल्लागंज और सरोजनीनगर समेत कई इलाकों में जलस्तर तेजी से गिरा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्राउंड वॉटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है। गीतापल्ली के आजाद नगर में दस साल पहले 80 फुट पर मिलने वाला पानी अब 240 फुट पर मिल रहा है। ऐसे में नलकूप फेल होने से पानी की दिक्कत शुरू हो गई है।
इसे देखते हुए नलकूप को रीबोर करवाने की तैयारी चल है। लखनऊ के कई इलाकों में भू-जल की यही स्थिति है। पानी तेजी से रसातल की तरफ जा रहा है। खुद जल संस्थान और जल निगम के आंकड़ों के अनुसार दस साल पहले तक जिन इलाकों में नलकूपों के लिए महज 80 से 100 फुट तक बोरिंग करवानी पड़ती थी, वहां अब 220 से 240 फुट तक करवानी पड़ रही है।
गर्मी शुरू होते ही लखनऊ के 38 इलाकों में जलापूर्ति के लिए लगे नलकूप फेल हो गए हैं। ऐसे में रीबोर करवाने की तैयारी शुरू हो गई है। इससे पहले जल संस्थान की तरफ से सर्वे करवा रिपोर्ट नगर निगम को भेजी गई है। जल संस्थान अधिकारियों के मुताबिक तेजी से गिरते जलस्तर से सैकड़ों की संख्या में हैंडपंप भी सूख चुके हैं। ऐसे में लोगों को पानी संकट का सामना करना
पड़ रहा है। आलमबाग, कृष्णानगर, इंदिरानगर, पारा, नरही, मड़ियांव, कुकरैल, फैजुल्लागंज और सरोजनीनगर समेत कई इलाकों में जलस्तर तेजी से गिरा है। शहर की 45 लाख से ज्यादा आबादी को पानी की आपूर्ति ऐशबाग और बालागंज जलकल से होती है। दोनों जलकल को कच्चा पानी गऊघाट से मिलता है।
आबादी के लिए वर्तमान में 18,500 लाख लीटर पानी की रोज जरूरत होती है। जानकारों के अनुसार 2025 तक यह बढ़कर 25000 लाख लीटर पहुंच जाएगा।
नगर निगम और एलडीए दोनों ने कई बार रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने की योजना बनाई, लेकिन जमीन पर उतारने में नाकाम रहे। आलम यह है कि ज्यादातर अपार्टमेंट में बारिश का पानी बचाने के इंतजाम सही तरीके से नहीं काम कर रहे। ऐसे में हर साल बारिश का पानी नाली-नालियों में बहकर बर्बाद हो रहा है। एलडीए के चीफ इंजिनियर अजय कुमार सिंह के मुताबिक 200 वर्ग मीटर (2152 वर्ग फीट) या इससे अधिक आकार के प्लॉट पर बिल्डिंग निर्माण पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के इंतजाम जरूरी हैं। इसके बिना एलडीए से नक्शा पास नहीं हो सकता।
जांच के बाद ही निर्माण की अनुमति मिलती है। शहर में एलडीए या उससे अप्रूव करीब 105 अपार्टमेंट हैं। इनमें से ज्यादातर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है।