डिजिटल के इंजन से विकास की गाड़ी दौड़ाने की पहल

इस बार के बजट में डिजिटल टैक्नोलॉजी पर बहुत अधिक जोर दिया गया है। अनेक क्षेत्रों में विकास के पहियों को तेजी से घुमाने के लिए डिजिटल का इंजन लगाने की योजना है। आरबीआई डिजिटल रुपया जारी करेगा। डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी। डिजिटल बैंक स्थापित किए जाएंगे।

डिजिटल के इंजन से विकास की गाड़ी दौड़ाने की पहल

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डिजिटल के इंजन से विकास की गाड़ी दौड़ाने की पहल

नरविजय यादव

इस बार के बजट में डिजिटल टैक्नोलॉजी पर बहुत अधिक जोर दिया गया है। अनेक क्षेत्रों में विकास के पहियों को तेजी से घुमाने के लिए डिजिटल का इंजन लगाने की योजना है। आरबीआई डिजिटल रुपया जारी करेगा। डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी। डिजिटल बैंक स्थापित किए जाएंगे। स्किलिंग और रोजगार के लिए ई-पोर्टल बनाया जाएगा। कृषि कार्यों को आसान बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन टैक्नोलॉजी के जरिए काम करेगा और इसे देश की मौजूदा करेंसी में भी बदला जा सकेगा। यह रुपया रिटेल और होलसेल, दो तरह का होगा। रिटेल डिजिटल रुपए का लाभ आम जनता को मिलेगा और होलसेल डिजिटल करंसी का इस्तेमाल बैंक करेंगे। डिजिटल यूनिवर्सिटी बनेगी, जिसमें अनेक भाषाओं में शिक्षा मिलेगी। इसके तहत, वन क्लास, वन चैनल योजना लागू होगी। फिलहाल शिक्षा देने के काम में 12 टीवी चैनल लगे हैं, जिनकी संख्या को बढ़ाकर 200 किया जाएगा। इन चैनलों के माध्यम से पहली से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई संभव होगी। हर कक्षा में टीवी लगाया जाएगा।

 

सरकार की योजना के मुताबिक, देश के 75 जिलों में डिजिटल बैंक स्थापित किए जाएंगे। इनके जरिए समय और पैसे की बचत संभव होगी। आम उपभोक्ताओं को इन बैंकों के आने से सहूलियत होगी। इसके अलावा, डाकघरों और बैंकों को आपस में जोड़ा जाएगा, ताकि डाकघरों का पैसा सीधे बैंकों को भेजा जा सके। इसी तरह, एक बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा, जिसे 16 मंत्रालयों से जोड़ा जाएगा। आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने के इरादे से एक जगह पर लाए जाने वाले इन मंत्रालयों में सड़क, रेलवे, बिजली, पेट्रोलियम व गैस, नौवहन, टेलीकॉम, विमानन और औद्योगिक पार्क आदि शामिल रहेंगे। इन्फ्रास्ट्रक्चर की नयी योजनाओं में 109 नए एयरपोर्ट, 51 हेलीपोर्ट, 12 वाटर एयरोड्रम, दो लाख किलोमीटर लंबे हाईवे, 200 मैगा फूड पार्क आदि शामिल होंगे। राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 25,000 किलोमीटर बढ़ाई जाएगी। सड़कों का विस्तार देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। स्किलिंग और रोजगार के मद्देनजर डिजिटल इकोसिस्टम का एक ई-पोर्टल शुरू किया जाएगा। इस पोर्टल को डिजिटल माध्यम से युवाओं की स्किल्स बढ़ाने के काम में लगाया जाएगा। डिजिटल कंटेंट विकसित करने के लिए डिजिटल टीचर काम पर रखे जाएंगे। गणित और विज्ञान की 750 वर्चुअल प्रयोगशालाएं भी इसी साल शुरू होनी हैं।

देश में कृषि कार्यों को आसान बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। ड्रोन बनाने वाले स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन दिया जाएगा। ड्रोन को सेवा के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। किसान ड्रोन से फसलों की पहचान, जमीन के रिकॉर्ड और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव आदि सुलभ होगा। खेती में ड्रोन का प्रयोग भारतीय कृषि के लिए परिवर्तनकारी साबित हो सकता है, जिससे खेती को स्मार्ट और कुशल बनाया जा सकता है, लेकिन अभी इनकी  लागत बहुत अधिक है और छोटे खेतों के मालिक इनका लाभ नहीं ले पाएंगे। उच्च तकनीक का इस्तेमाल करने वाले किसानों की संख्या अभी एक प्रतिशत से भी कम है। फिर भी टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल खेती के कार्यों में करने की पहल तो हुई। इस तरह की योजनाओं का स्वागत होना चाहिए। खेती हमेशा से तकनीक से बहुत दूर रही है। टेलीकॉम, इंटरनेट, सोशल मीडिया और ड्रोन जैसी टैक्नोलॉजी के प्रयोग से निश्चित ही एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत होगी।

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com