पितृपक्ष के दूसरे दिन गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई
रायबरेली के गंगा घाटों पर बुधवार को लोगों ने जहां एक तरफआस्था की डुबकी लगाई, वहीं दूसरी तरफ गंगा जल से अपने पितरों का तर्पण किया।
पितृपक्ष के दूसरे दिन गंगा नदी में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, पितरों का किया तर्पण
रायबरेली के गंगा घाटों पर बुधवार को लोगों ने जहां एक तरफआस्था की डुबकी लगाई, वहीं दूसरी तरफ गंगा जल से अपने पितरों का तर्पण किया। मंगलवार सेपितृपक्ष शुरू हो चुका है और 15 दिन तक चलेगा। डलमऊ गंगा घाट पर लोगों ने अपने पितरों कातर्पण करने के साथ ही पितरों को पिंडदान भी किया। लोगों की भारी संख्या को देखते हुए घाट परसुरक्षा के पुख्ते इंतजाम किए गए हैं।
बता दें कि पितरों के लिए 15 दिनों तक चलने वाला पितृ पक्ष बेहद खास होता है।हिन्दू धर्म केअनुसार, इन दिनों में पितरों की कृपा पाने के लिए लोग पितरों का तर्पण करते हैं, जिससे उन्हेंअपने पितरों की कृपा मिलती है, परिवार में खुशहाली बनी रहती है और बुरी नजरों से परिवार कीरक्षा पितर करते हैं।यह भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म का भोजन कौओं को खिलाने से पितरों को मुक्तिऔर शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजको आशीर्वाद देते हैं।
मान्यता है कि पितरों को मुक्ति और संतुष्टि न मिलने के चलते उनके वंशज की कुंडली में पितृ दोषहोता है। ऐसे में पितृपक्ष का महत्व काफी बढ़ जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, कौओं को यमराजका आशीर्वाद प्राप्त है। यमराज ने कौवे को आशीर्वाद दिया था कि उन्हें दिया गया भोजन पितरों कीआत्मा को शांति प्रदान करेगा।इसलिए पितृ पक्ष के दौरान एक तरफ जहां ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है,
वहीं कौओं को भीभोजन कराने का बहुत महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज कौओं के रूप में
हमारे पास आ सकते हैं।