पूजा करते समय क्या करें और क्या ना करें
हिंदू परिवारों में रोज देवी-देवताओं का पूजन करने की परंपरा है। देखा जाए तो पूजा-पाठ हिंदू धर्म का अभिन्न हिस्सा है। हमारे धर्म ग्रंथों में देवताओं के पूजन से संबंधित बहुत
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हिंदू परिवारों में रोज देवी-देवताओं का पूजन करने की परंपरा है। देखा जाए तो पूजा-पाठ हिंदू धर्म का
अभिन्न हिस्सा है। हमारे धर्म ग्रंथों में देवताओं के पूजन से संबंधित बहुत सी जरूरी बातें बताई गई हैं।
ये बातें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। आज हम आपको पूजन से जुड़ी यही जरूरी बातें बता रहे हैं।
सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। सुख की इच्छा रखने वाले हर मनुष्य
को प्रतिदिन इन पांचों देवों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। किसी भी शुभ कार्य से पहले भी इनकी पूजा
अनिवार्य है।
शिवजी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। सूर्यदेव की
पूजा में अगस्त्य के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। भगवान श्रीगणेश की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए।
सुबह नहाने के बाद ही पूजा के लिए फूल तोड़ना चाहिए। वायु पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति बिना स्नान
किए फूल या तुलसी के पत्ते तोड़ देवताओं को अर्पित करता है, उसकी पूजा को देवता ग्रहण नहीं करते।
देवताओं के पूजन में अनामिका (छोटी उंगली के पास) उंगली से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल,
हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए। पूजन में शुद्ध घी का दीपक अपनी बांई ओर तथा तेल का दीपक अपनी
दाईं ओर रखना चाहिए।
पूजन में देवताओं को नैवेद्य (भोग) जरूर चढ़ाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं
कभी नहीं बुझाना चाहिए। भगवान को कभी भी बासी जल, फूल और पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए। गंगाजल,
तुलसी के पत्ते, बिल्वपत्र और कमल, ये चारों किसी भी अवस्था में बासी नहीं होते। इसलिए इनका
उपयोग पूजन में कभी भी किया जा सकता है।
लिंगार्चन चंद्रिका के अनुसार, भगवान सूर्य की सात, श्रीगणेश की तीन, विष्णु की चार और शिव की तीन
परिक्रमा करनी चाहिए। पूजन स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें। पूजन स्थल पर
पवित्रता का ध्यान रखें जैसे-चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स
रखकर कोई पूजा न करे।
शिवपुराण के अनुसार, श्रीगणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है, वह बारह अंगुल लंबी और तीन गांठों वाली
होना चाहिए। ऐसी 101 या 121 दूर्वा से श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी वस्त्र अर्पित करना चाहिए। माता दुर्गा,
सूर्यदेव व श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग के वस्त्र अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव को
प्रसन्न करने के लिए सफेद वस्त्र अर्पित करने का विधान है। भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए
और न ही शंख से जल चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, ये दोनों काम शिव पूजा में मना है। पूजन
स्थल की सफाई प्रतिदिन करें।
पूजन स्थल पर कचरा इत्यादि न जमा हो पाए।