अतुल जैन, एडवोकेट को दी गई जैन समाज रत्न की उपाधि

23.06.24 को एक कार्यक्रम में आचार्य श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने अतुल जैन, एडवोकेट (दिल्ली हाई कोर्ट) को जैन समाज रत्न की उपाधि से अलंकृत किया. 

अतुल जैन, एडवोकेट को दी गई जैन समाज रत्न की उपाधि

23.06.24 को एक कार्यक्रम में आचार्य श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने अतुल जैन, एडवोकेट (दिल्ली हाई कोर्ट) को जैन समाज रत्न की उपाधि से अलंकृत किया. 

अतुल जैन, एडवोकेट ने धर्म और समाज के कार्यों में अनेक बार महत्वपूर्ण योगदान दिया है l उनमें से मुख्य हैं:

 पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को पारसनाथ स्टेशन पर रुकवाने के लिए देश के रेल मंत्री से मिलकर उसके विषय में ऑर्डर पास कराया जिसकी वजह से आज लाखों श्रद्धालु आराम से शिखरजी के दर्शन 

कर पाते हैं; बैंक एनक्लेव जैन मंदिर जी में हुई चोरी का सारा सामान छुड़वाया; श्री सम्मेद शिखरजी को “मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना” में शामिल करवाया; धर्म प्रभावना के लिए जैन धर्म पर अनेक बार 

राष्ट्रीय अखबारों में लेख लिखे; अनेक बार महावीर जन्म कल्याणक पर मीट की दुकानें बंद करवाने के लिए सरकार को पत्र लिखा; शिखरजी आंदोलन में उनकी पूरी सहभागिता रही; हाल ही में 

सोनागिरी जी में एक गाने के फिलमाए जाने पर फिल्म और उसके कलाकारों को लीगल नोटिस भेजा; जैन मूर्तियां की नीलामी करने वाली संस्था को लीगल नोटिस भेजा; लाल मंदिर जी के चारों 

ओर से पटरिया हटवाईं और वहां पार्किंग दुरस्त करवाने के लिए सफल प्रयास किए। वह लंबे समय से समाज के लिए इनके अलावा भी अनेक गतिविधियों एवं कानूनी कार्यवाहियों को करते आए हैं ।

वह सभी धार्मिक कार्यक्रमों एवं गतिविधियों में अग्रणी रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के अपने अत्यंत व्यस्त कार्यक्रम के बावज़ूद वह निः स्वार्थ भाव से हर समय समाज के लिए उपलब्ध रहते हैं। उन्होंने किसी भी समिति में कोई पद नहीं लिया हुआ है लेकिन वे सभी समितियों के लिए 

सदैव तत्पर रहते हैं। उन्होंने बहुत ही कम आयु में ना केवल जैन समाज परंतु पूरे राष्ट्र पर अपने कार्यों से छाप छोड़ी है। उनके योगदान सभी लोगों के लिए मिसाल हैं तथा उन्हें हमेशा उनके कार्यों के लिए याद किया जाएगा ।

अतुल जैन, एडवोकेट को उनकी सामाजिक कार्यों में अद्वितीय सक्रियता, धर्म रक्षा के लिए किए गए असंख्य कार्यों एवं जैन धर्म की प्रभावना में किए गए उत्कृष्ट योगदान की अनुमोदना करते हुए “जैन समाज रत्न” की उपाधि से अलंकृत किया गया।

आचार्य श्री आदित्य सागर महाराज जी ने उन्हें जैन समाज रत्न की उपाधि दी और इसका प्रशस्ति पत्र दिया। दिल्ली के अनेक जैन समाज के पदाधिकारियों ने मिलकर मोमेंटो दिया। 

यह कार्यक्रम श्री दिगम्बर जैन मंदिर, कबूल नगर, दिल्ली में अयोजित किया गया था। इस दौरान श्री सम्मेद शिखरजी विधान का आयोजन किया गया और महाराज श्री ने अपने चतुर्मास के लिए राधे पूरी की घोषणा करी.