सकारात्मक ऊर्जा के साथ भाग्य उदय करतीं हैं देवी चन्द्रघण्टा :
अलीगढ। वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में नवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में चल रहे नौ दिवसीय श्री शतचंडी अनुष्ठान के तहत तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण चौथे दिन भी माँ चंद्रघण्टा स्वरुपी माँ दुर्गा की पूजा की गयी।

सकारात्मक ऊर्जा के साथ भाग्य उदय करतीं हैं देवी चन्द्रघण्टा :
अलीगढ। वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में नवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में चल रहे नौ दिवसीय श्री शतचंडी अनुष्ठान के तहत तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण चौथे दिन भी माँ चंद्रघण्टा स्वरुपी माँ दुर्गा की पूजा की गयी।सोमवार को माता कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
रविवार प्रातः आचार्य गौरव शास्त्री ने वतौर मुख्य आचार्य तथा ओम वेदपाठी,माधव शास्त्री,रवि शास्त्री आदि अचार्यों द्वारा मुख्य यजमान प्रवीन वार्ष्णेय व नीलम वार्ष्णेय से भगवती दुर्गा की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करवाया उसके बाद अनुष्ठान के निर्देशक एवं वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने कनेर एवं गुलाब के पुष्पों से देवी का अर्चन किया। इस अवसर पर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है,नवदुर्गा का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा हैं, तृतीया तिथि दो दिन होने के कारण आज चौथे दिन भी माँ चन्द्रघण्टा की उपासना की गयी। इनकी काया स्वर्ण और चमकीली तथा वाहन सिंह है,दस हाथ जिनमें कमल,खड्ग,कमंडल, तलवार,गदा,त्रिशूल, बाण और धनुष जैसे शस्त्र हैं। इनके कंठ में सफेद फूलों की माला रहती है तथा सिर पर रत्नों से जड़ा हुआ मुकुट विराजमान है। ऐसी दिव्य मूर्ति की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के भाग्य का उदय होता है।
माता चंद्र घंटा की उत्पत्ति के विषय में जानकारी देते हुए स्वामी जी ने बताया कि माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। दरअसल महिषासुर देवराज इंद्र के सिंहासन को प्राप्त करना चाहता था। वह स्वर्गलोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को लेकर यह कथा प्रचिलत है।
पूजा अर्चना के बाद हुई महाआरती में मीठेश्याम,नेहा गुप्ता,निकिता तिवारी,सुनीता शर्मा,कपिल शर्मा,रजनीश वार्ष्णेय,हरिमोहन शर्मा,डौली सिंह,तेजवीर सिंह जादौन,दीप्ति,रूवी अग्रवाल,आरती सारस्वत, पारुल गुप्ता, स्वेता, मनोज, जितेंद्र गोविल, शिवप्रकाश अग्रवाल, सुमित वर्मा, ब्लॉकप्रमुख ठा राहुल सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।