आर्य समाज नया गंज के 125वें वार्षिकोत्सव का द्वितीय दिवस

आर्य समाज देशभक्त व संस्कारवान युवाओं का निर्माण कर रहा है' - 'arya samaj is ...— डॉ. अनिल आर्य ने आर्य समाज कविनगर के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के अंतिम दिन बोल ..

आर्य समाज नया गंज के 125वें वार्षिकोत्सव का द्वितीय दिवस

वैदिक संस्कृति को किसी एक शब्द से कहना हो तो वह शब्द यज्ञ है - डा वेद पाल*

*पंचतत्वों से बना यह शरीर विचार से मनुष्य बनता है-राम अवतार शास्त्री*

*जब तक हम ईश्वर की शरण में नहीं जाएंगे तब तक सब सूना है--शलभा शास्त्री*

गाजियाबाद,शुक्रवार,25/02/2022 आर्य समाज नया गंज के चार दिवसीय 125वें वार्षिकोत्सव के द्वितीय दिवस पर महायज्ञ धर्माचार्य राम अवतार के ब्रह्मत्व में किया गया,वेद पाठ गौरव शास्त्री एवं उदय वीर शास्त्री ने किया।आचार्य जी ने यज्ञ के लाभों की चर्चा करते हुए बताया मनुष्य यज्ञ कर परोपकार कर सकता है,पंचतत्वों से बना यह शरीर विचार से मनुष्य बनता है।जैसे शीशे पर धूल पड़ जाने से वह काम नहीं करता,उसे कपड़े से साफ करने पर वह काम करता है,मन भी वैसे ही है,शीशे की तरह है,इसे भी सत्संग रूपी कपड़े से साफ करने पर सुसंस्कारित होकर आपको अच्छे कर्मों की ओर ले चलेगा और अंततोगत्वा ध्यान योग द्वारा मनुष्य के चर्मोत्कर्ष लक्ष्य मोक्ष की ले चलेगा।

मुख्य वक्ता डॉ वेद पाल जी ने कहा कि वैदिक संस्कृति को किसी एक शब्द से कहना हो तो वह शब्द यज्ञ है संपूर्ण संस्कृति एक शब्द में समाई है,महर्षि दयानंद ने यज्ञ को बहुत ही संक्षिप्त,सुगम और सरल बना दिया है जिसे आम जनता दैनिक यज्ञ को आसानी से कर सकती है,इसके साथ ही अमावस्या और पूर्णिमा पर्व को केवल तीन -2 आहुतियां देकर मना सकते हैं।

बिजनोल से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोदेशक श्री कुलदीप विद्यार्थी,साथी कलाकार एवं प्रवीण आर्य ने ईश्वर भक्ति के  भजनों को सुना कर भावविभोर कर दिया,भजनोपदेश के दौरान उन्होंने कहा कि जो जागा रहता है,वेद की ऋचाएं उसकी कामना पूर्ण करती हैं।

गुरुकुल चोटीपुरा से विदुषी आचार्या शलभा शास्त्री ने देव यज्ञ की व्याख्या करते हुए आह्वान किया कि आओ हम ओ३म की शरण में चलें उन्होंने कहा कि जब तक हम ईश्वर की शरण में नहीं जाएंगे तब तक सब सूना है,हमें सूना नहीं रहना है,सब में आनंद भर देना है,वेद मंत्र विचार है, ओ३म परमपिता परमात्मा का मुख्य और निज नाम है उसकी छाया में रहना अमृत की ओर जाना है उसकी छाया हटी तो मृत्यु की ओर जाना पड़ेगा।एक बार उसकी छाया में खड़े हो जाओ और उसे कह दो प्रभु हम तेरी शरण में आ गए हैं,प्रभु अब तू संभाल।वह प्रभु विश्व के कण-कण में व्यापक है, वह प्रभु ब्रह्म है,सबसे बड़ा है, प्रकृति जीव और ईश्वर तीन अनादि सत्ताएं हैं, सभी उसके अधीन हैं।जीव को कर्म का क्षेत्र देता है,वह भोक्ता है।चेतन प्रभु सर्वज्ञ है,मनुष्य अल्पज्ञ होने के कारण भूल कर सकता है, "मनुष्य तन एक यज्ञशाला है" गीत बोलकर कहा हमें एक कदम भी नहीं चलना,वह आत्मा के अन्दर बसा हुआ है,वहीं उससे साक्षात होगा।

मंच संचालक एवं यशस्वी मंत्री तेजपाल ने दूर दराज से पधारे आर्य प्रतिनिधियों का और उपदेशकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री स्वामी ग्रीस मुनि,राजेश कोहली,चमन सिंह,सुभाष शर्मा, आशा आर्या,राजेश्वर शास्त्री, भुवनेश दत्त शर्मा,उषा अग्रवाल एवं शारदा गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

शांति पाठ व प्रसाद वितरण के साथ सभा संपन्न हुई।

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Arya_Samaj