परमात्मा व जीवात्मा का मधुर मिलन है महारास : कार्ष्णि गुरुशरणानंद महाराज

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में इन दिनों शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय शरदोत्सव अत्यंत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ चल रहा है।

परमात्मा व जीवात्मा का मधुर मिलन है महारास : कार्ष्णि गुरुशरणानंद महाराज

परमात्मा व जीवात्मा का मधुर मिलन है महारास : कार्ष्णि गुरुशरणानंद महाराज

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में इन दिनों शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय शरदोत्सव
अत्यंत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ चल रहा है।जिसके अंतर्गत विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।महोत्सव के दूसरे दिन ठाकुर श्रीकृष्ण कृपा बिहारी महाराज का भव्य श्रृंगार किया गया।साथ ही उनको 56 भोग लगाए गए।


इस अवसर पर आयोजित वृहद संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर श्रीधाम वृन्दावन के वंशीवट पर हुआ महारास धर्म व अध्यात्म जगत का एक प्रमुख आख्यान है। वस्तुत: परमात्मा व जीवात्मा का मधुर मिलन ही महारास है। क्योंकि यह गोपियों द्वारा अपने मोक्ष की कामना से किया गया था।जगद्गुरू शंकराचार्य भानुपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज न केवल धर्म व अध्यात्म जगत की अपितु समाजसेवा की भी एक बहुमूल्य निधि हैं। जिनके द्वारा समूचे विश्व में गीता जी के प्रचार के साथ-साथ समाजसेवा के भी विभिन्न सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं।


महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा शीत ऋतु का उद्घोषक पर्व है।इस तिथि को चंद्रमा से झरने वाली अमृतमयी किरणें समूची प्रकृति को आलोकित करती हैं।इससे न केवल प्रकृति अपितु हम सभी का मन भी प्रफुल्लित व पुलकित हो जाता है।


श्रीनाभा पीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं श्रीकृष्ण कृपा संजीवनी मासिक पत्रिका के संपादक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर "गीता ज्ञान संस्थानम्" की स्थापना करके एक ऐतिहासिक कार्य किया है।जिसके माध्यम से श्रीमद्भगवद्गीता का प्रचार-प्रसार समूचे विश्व में हो रहा है।जिससे असंख्य व्यक्ति लाभान्वित होकर कृष्ण भक्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।


संत सम्मेलन में प्रख्यात संत स्वामी गिरिशानंद सरस्वती महाराज, गौसेवी संत कृष्णानंद महाराज "भूरी वाले", महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशानन्द महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानन्द महाराज, स्वामी गोविंदानंद तीर्थ, चतु: संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, प्रख्यात भागवताचार्य श्रीराम मुद्गल महाराज, महंत ब्रजबिहारी दास, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, विपिन बापू, अशोक व्यास, बाबा भूपेंद्र सिंह (पटियाला), एडवोकेट महेन्द्र प्रताप सिंह, आचार्य बद्रीश महाराज, सौरभ गौड़, ध्रुव शर्मा, भजन गायक चंदन महाराज, बालशुक पुंडरीक कृष्ण महाराज, संगीतज्ञ स्वामी देवकीनंदन शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, अनूप देव (जबलपुर), प्रख्यात आयुर्वेदिकाचार्य आचार्य मनीष, भागवताचार्य मुकेश मोहन शास्त्री, वासुदेव शरण महाराज, शक्ति स्वरूप ब्रह्मचारी, गोविंद ब्रह्मचारी, भजन गायक रतन रसिक, डॉ. अशोक सम्राट, अशोक चावला, सुदर्शन अग्रवाल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन सुरेश गोयल ने किया।

इससे पूर्व प्रातः काल महंतों, संतों, विद्वानों व श्रीहनुमद् आराधन मंडल के सदस्यों का सम्मान किया गया।साथ ही संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा भी हुआ।


रात्रि को प्रख्यात भजन गायक बाबा चित्र-विचित्र के द्वारा सरस भजन संध्या का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें उन्होंने श्रीराधाकृष्ण की महिमा से ओतप्रोत भजन गाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया।