चंडीगढ़ में प्रवेश से रोके जाने पर पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क पर बिताई रात

चंडीगढ़, 18 मई (अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बड़ी संख्या में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों ने चंडीगढ़ में प्रवेश से रोके जाने के बाद सड़क पर रात बिताई।

चंडीगढ़ में प्रवेश से रोके जाने पर पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क पर बिताई रात

चंडीगढ़, 18 मई अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बड़ी संख्या में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे
पंजाब के किसानों ने चंडीगढ़ में प्रवेश से रोके जाने के बाद सड़क पर रात बिताई। पंजाब के विभिन्न किसान


संगठनों से संबंधित किसान गेहूं की पैदावार कम होने पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस और 10 जून से पूरे
पंजाब में धान की बुवाई शुरु करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर सरकार


पर दबाव बनाने के लिए वह चंडीगढ़ पहुंचना चाह रहे थे लेकिन उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोक दिया गया।
मोहाली पुलिस द्वारा मंगलवार को रोके जाने के बाद किसान सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने सड़क के
बीचों-बीच अपने वाहन खड़े कर दिए। किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली राजमार्ग पर रात बिताई। प्रदर्शनकारी किसान पूरी
तैयार के साथ वहां पहुंचे हैं और उनके पास राशन, बिस्तर, पंखे, कूलर, बर्तन, रसोई गैस सिलिंडर सहित अन्य
सामान है। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है

कि यदि मुख्यमंत्री बुधवार तक उनके साथ बैठक नहीं करते हैं,
तो वे अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करने के लिए अवरोधक तोड़ते हुए चंडीगढ़ की ओर बढ़ेंगे। भारतीय किसान


यूनियन (लक्खोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि राज्य सरकार को किसानों की समस्याओं का
समाधान करना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि उनकी सरकार बातचीत के


लिए तैयार है तो इसके जवाब में लक्खोवाल ने कहा कि किसान बैठक से दूर नहीं भागते। उन्होंने कहा ”हम यहीं
हैं। उन्हें (मुख्यमंत्री) बैठक के लिए समय देना होगा। दरवाजे़ कहां खुले हैं? उन्होंने अपने दरवाजे़ बंद कर लिए हैं।’’


एक अन्य किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, ‘अगर बातचीत के लिए मुख्यमंत्री के दरवाजे़ खुले हैं, तो हमने
बैठक के लिए मना कब किया है।” गौरतलब है कि बुधवार की सुबह मोहाली के गुरुद्वारा अंब साहिब में कई


किसान नेताओं ने बैठक की। मान ने मंगलवार को किसानों के विरोध को ”अनुचित और अवांछनीय” करार दिया था
और किसान संगठनों से नारेबाजी बंद करने और पंजाब में घटते जल स्तर को रोकने के लिए राज्य सरकार का


साथ देने का कहा था। मान ने कहा कि किसानों के लिए बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन ‘‘खोखले नारे’’ घटते
जल स्तर पर लगाम लगाने के उनके संकल्प को नहीं तोड़ सकते।

उन्होंने यह भी कहा कि वह एक किसान के बेटे
हैं और फसल उत्पादकों की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं।

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि
किसानों की गेहूं पर बोनस की मांग वाजिब है। किसान खरीद सीजन की शुरुआत से ही इस मुद्दे को उठा रहे हैं।


अपनी विभिन्न मांगों में किसान प्रति क्विंटल गेहूं पर 500 रुपये का बोनस चाहते हैं, क्योंकि भीषण गर्मी की
स्थिति के कारण उनकी उपज घट गई है और गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं।

वे बिजली के बोझ को कम करने और
भूमिगत जल के संरक्षण के लिए 18 जून से धान की बुवाई की अनुमति देने के पंजाब सरकार के फैसले के भी


खिलाफ हैं। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे। किसान मक्का और
मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए अधिसूचना भी जारी करवाना चाहते हैं। वे राज्य सरकार से

बिजली लोड को बढ़ाने पर लगने वाले शुल्क को 4,800 रुपये से घटाकर 1,200 रुपये करने और बकाया गन्ना
भुगतान जारी करने की भी मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का भी विरोध कर रहे हैं।