प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग है ऊटी

ऊटी नीलगिरी की सुंदर पहाड़ियों में स्थित एक सुंदर शहर है। इस शहर का आधिकारिक नाम उटकमंड है तथा पर्यटकों की सुविधा के लिए इसे ऊटी का संक्षिप्त नाम दिया गया है।

प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग है ऊटी

ऊटी नीलगिरी की सुंदर पहाड़ियों में स्थित एक सुंदर शहर है। इस शहर का आधिकारिक नाम उटकमंड है तथा
पर्यटकों की सुविधा के लिए इसे ऊटी का संक्षिप्त नाम दिया गया है। भारत के दक्षिण में स्थित इस हिल स्टेशन


में कई पर्यटक आते हैं। यह शहर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले का एक भाग है।
ऊटी शहर के चारों ओर स्थित नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। इन पहाड़ियों को ब्लू


माउन्टेन (नीले पर्वत) भी कहा जाता है। कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहां की घाटियों में
12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा। ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं


तो घाटियों को नीले रंग में रंग देते हैं। इस शहर के इतिहास की जानकारी तोड़ा जनजाति से मिल सकती है
क्योंकि 19 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन प्रारंभ होने के पहले यहां इसी जनजाति का शासन था।
यहां पर क्या देखें...

दोदाबेट्टा पीक: यह 2623 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जिले का सबसे ऊंचा स्थान है, यहां से आप ऊटी के
आसपास के क्षेत्र का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यह ऊटी से केवल 10 किलोमीटर दूर है।


लैम्ब्स रॉक: यह कुनूर से केवल 9 किलोमीटर दूर है। यहां से आप कोयंबटूर के नजारों और आसपास के इलाकों के
चाय बगानों के सुरम्य दृश्य देख सकते हैं। यहां का हर दृश्य फोटो खींचने लायक है तो यहां अपने भीतर छिपे
फोटोग्राफर को बाहर निकालिए और जमकर फोटोग्राफी कीजिए।
कोडानाडू व्यू पाइंट: यह नीलगिरी पर्वत श्रृंखला के पूर्वी छोर पर कोटागिरी से लगभग 16 किलोमीटर दूर है। यहां से
आप मोयार नदी और चाय के बागानों का मोहक दृश्य देख सकते हैं। यहां एक प्रेक्षण मीनार भी हैं, जहां से आप
रंगास्वामी शिखर का नजारा देख सकते हैं।
बोटनिकल गार्डन्स: जो लोग प्रकृति प्रेमी है, हरियाली देखने, घूमने-फिरने के शौकीन हैं और दुर्लभ फर्न और अन्य
पौधे देखना पसंद करते हैं, उनके लिए इस उद्यान से बढ़ कर दूसरी कोई बेहतर जगह नहीं। लगभग 22 हेक्टेयर
इलाके में फैले हुए शासकीय वनस्पति उद्यान 1847 में बनाए गए थे। इनमें पौधों और वृक्षों की सैकड़ों-हजारों


प्रजातियां हैं। इनमें एक ऐसे वृक्ष का भी जीवाश्म है, जिसके बारे में विश्वास किया जाता है कि वह 2 करोड़ वर्षों
से भी अधिक पुराना है। इन खूबसूरत उद्यानों का रखरखाव राज्य के बागवानी विभाग के हाथ में है।


ऊटी झील: यहां नौका विहार कीजिए या मछली पकड़ने का शौक भी पूरा कर सकते हैं।
मुदुमलाई वन्य प्राणी विहार: यह ऊटी से 67 किलोमीटर दूर है। अगर आप 1-2 दिन रुकते हैं, तो वन्य प्राणी


विहार को देखना आपके लिए बहुत अच्छा अनुभव होगा। यहां बहुत से पेड़-पौधे और जीव-जंतु हैं। यहां इनकी दुर्लभ
प्रजातियां हैं। यहां हाथी, बड़ी गिलहरियां, सांभर, चीतल, भौंकनेवाले हिरण और उड़नेवाली गिलहरियां तो यूं ही देखने


को मिल जाती हैं। इस अभयारण्य में किस्म-किस्म के पक्षियों को भी देखा जा सकता है। इनमें रंगबिरंगे तोते,
काले कठफोड़वे, गरुड़ आदि शामिल हैं।


कोटागिरी: यह ऊटी के पूर्व में 28 किलोमीटर दूर पर छोटा-सा गांव है, यह नीलगिरी के 3 हिल स्टेशन में से सबसे
पुराना है। यहां का मौसम अन्य पर्वत स्थलों से कहीं अधिक खुशनुमा रहता है।

यहां हैरत में डालनेवाले कई चाय
बागान हैं। इसलिए ऊटी जाएं तो कोटागिरी की सैर के लिए जाना न भूलें।


कालहट्टी वॉटरफॉल्स: कालहट्टी की ढलानों पर खूबसूरत रमणीक कालहट्टी जलप्रताप लगभग 100 फुट ऊंचा है।
जो शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। इसलिए ऊटी जा रहे हैं तो इन प्रपातों को और आसपास के सुरम्य


स्थलों को देखना भी न भूलें। जलप्रपातों को देखते हुए आपको कालहट्टी-मसीनागुडी ढलानों पर वन्य प्राणियों की
प्रजातियां भी देखने को मिल जाएंगी जिनमें पैंथर, सांभर और जंगली भैसें शामिल हैं।


मुकरूथी: यह ऊटी से लगभग 36 किलोमीटर दूर हैं और यहां से आप रमणीक मुकरूथी शिखर को देख सकते हैं।
सिम्स पार्क: यह पार्क ऊपरी कुनूर में 12 हेक्टेयर से अधिक इलाके में फैला हुआ है

और माना जाता है कि इस
पार्क में 1 हजार से अधिक पौधों की प्रजातियां हैं, जिनमें अनेक चीड़, फर्न और झाड़ियां शामिल हैं।