पक्के रंग नही पक्के भजन का पर्व होली : राजेश्वरानंद

नई द‍िल्‍ली, 13 मार्च । होलिका को प्राप्त सिद्धियों पर अहंकार था तो दूसरी तरफ प्रहलाद का सीधापन नारायण के भरोसे पर निर्भर था।

पक्के रंग नही पक्के भजन का पर्व होली : राजेश्वरानंद

नई द‍िल्‍ली, 13 मार्च  होलिका को प्राप्त सिद्धियों पर अहंकार था तो दूसरी तरफ प्रहलाद का
सीधापन नारायण के भरोसे पर निर्भर था।

परिणामतः अहंकार पर प्रेम की जीत हुई यह संदेश दिया स्वामी श्री
राजेश्वरानंद जी महाराज ने श्रीराजमाता झंडेवाला मंदिर गोरख पार्क शाहदरा में आयोजित होली के रंग - संतो के
संग कार्यक्रम में।

संस्थान के सहप्रबंधक रामवोहरा ने बताया कि स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के सान्निध्य
में होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया

जिसमें जागरण पंथ के विख्यात महंत सुनील राजपूत, महंत सुरेंद्र
मेहरा, भगत उमाशंकर, श्री सोमराज जी, श्री दलीप चोपड़ा एवं सुनील फकीर ने छैनों की गूंज के साथ पारंपरिक
पक्के भजनों के साथ मां भगवती का गुणगान किया।

स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने शिष्यो के साथ मंदिर
में विराजमान देवी देवताओं के श्रीविग्रहो पर गुलाल व पुष्पों चंदन से अभिषेक किया गया।

होली के रंग:संतो के
संग कार्यक्रम में स्वामीजी द्वारा भक्त समूह पर पुष्पवर्षा करते हुए मस्तक पर चंदन लगाया गया। इस अवसर पर
भक्तसमूह को संबोधित करते हुए स्वामी

श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि"बिना अहंकार से किया गया
शुभकार्य फलदायी सिद्ध होकर खुशहाली प्रदान करता है जबकि शुभकार्यो में अहंकार करने से शुभफल नही दुःख
की प्राप्ति ही होती हैं जैसे होलिका को प्राप्त वरदान भी उसका कल्याण नही कर सके बल्कि नाश का कारण बने।


दूसरी तरफ प्रहलाद की भक्ति चारो फल प्राप्ति का मार्ग बनी। कार्यक्रम के समापन पर सर्वकल्याण अरदास की
गई एवं भक्तसमुह ने भंडारा ग्रहण किया।