बिहार : श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है उत्तर वाहिनी गंगा तट पर गंगा आरती

भागलपुर, 23 जून (। बिहार के सुल्तानगंज के अजगैबीधाम में उत्तर वाहिनी गंगा तट पर मां गंगा की महाआरती की भव्यता सबको आकर्षित करती है।

बिहार : श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है उत्तर वाहिनी गंगा तट पर गंगा आरती

भागलपुर, 23 जून ( बिहार के सुल्तानगंज के अजगैबीधाम में उत्तर वाहिनी गंगा तट पर मां गंगा की
महाआरती की भव्यता सबको आकर्षित करती है। सावन महीने में भगवा रंग में हजारों कांवड़ियों की उपस्थिति में


इसकी भव्यता और बढ़ जाती है। बनारस के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली भव्य आरती की तर्ज पर अजगैबीनाथ
में उत्तर वाहिनी गंगा तट पर पूरे एक माह तक की जाने वाली मां गंगा की महाआरती सावन महीने में प्रतिदिन की
जाती है।


गंगा तट पर कांवड़ियों का हुजूम, कृत्रिम रोशनी के बीच पांच पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच गंगा आरती के आकर्षण
का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे देखने के लिए हजारों कांवड़िए उस समय का इंतजार करते हैं।


जाह्नवी गंगा महाआरती सभा द्वारा आयोजित गंगा आरती अन्य महीनों में तो साप्ताहिक होती है, लेकिन भगवान
भोले के पसंदीदा महीने सावन में आरती का प्रतिदिन आयोजन किया जाता है।


सभा के महामंत्री पंडित संजीव झा बताते हैं कि स्थानीय पंडा समाज द्वारा वर्ष 2000 से गंगा महाआरती कार्यक्रम
की शुरुआत की गई। बाद में 2010 से इसे बनारस की तर्ज पर भव्य तरीके से किया जा रहा है। वर्ष 2012 में


सभा गठित की गई। संजीव झा ने बताया कि वर्ष 2010 से बनारस की तर्ज पर जब गंगा महाआरती का शुभारंभ
किया गया तो उस समय श्रावणी मेला में बनारस से ही नौ सदस्यीय पंडितों एवं उनके सहयोगियों की टीम को यहां


एक महीने के लिए आमंत्रित करते थे। मेला समापन के बाद उन्हें विदा कर दिया जाता था। लेकिन जाह्नवी गंगा
महाआरती सभा के गठन के बाद 15 सदस्यीय एक टीम बनाई गई, जिसमें पंडितों को भी शामिल किया गया।


उन्होंने बताया सावन महीने में प्रत्येक संध्या गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।


भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में झारखंड के देवघर का बैद्यनाथ धाम अत्यंत महत्वपूर्ण है। द्वादश ज्योतिर्लिगों में
से एक बैद्यनाथ मंदिर स्थापत्य-कला की दृष्टि से देश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। यहां सावन में गंगाजल


अर्पण का विशेष महत्व है। कांवड़िए सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरने के बाद करीब 105 किलोमीटर
की पैदल यात्रा कर बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।