मुंडका अग्निकांड : लापता सदस्यों की सूचना के इंतजार में व्याकुल परिजन

नई दिल्ली, 15 मई ()। मुंडका अग्निकांड के अब तक लापता पीड़ितों के परेशान परिजन रविवार को भी संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के बाहर अपने प्रियजनों का इंतजार करते रहे क्योंकि 19 शवों की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है।

मुंडका अग्निकांड : लापता सदस्यों की सूचना के इंतजार में व्याकुल परिजन

नई दिल्ली, 15 मई )। मुंडका अग्निकांड के अब तक लापता पीड़ितों के परेशान परिजन रविवार को भी
संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के बाहर अपने प्रियजनों का इंतजार करते रहे क्योंकि 19 शवों की अभी शिनाख्त


नहीं हो पाई है। शुक्रवार को चार मंजिला इमारत की पहली मंजिल पर आग लगने के कारण 21 महिलाओं समेत
27 लोगों की मौत हो गई। 19 लोग अभी लापता हैं और उनके जिंदा बचने की उम्मीद बहुत कम है।


राजेश कुमार की बहनें लापता हैं। उन्होंने कहा कि वह बहनों की पहचान नहीं कर सके क्योंकि शव बुरी तरह से
जल गए हैं। उन्होंने कहा कि वे अब भी डीएनए परीक्षण के अनुरोध पर अस्पताल से प्रतिक्रिया मिलने की प्रतीक्षा


कर रहे हैं। राजेश ने कहा, ”मेरी तीन बहनें हैं और सभी लापता हैं। हमने अस्पताल से डीएनए परीक्षण करने का
अनुरोध किया है और अभी उनकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मेरी बहनें कैमरा पैकेजिंग विभाग में काम
करती थीं। शाम के साढ़े चार बज रहे थे

जब मुझे मेरे पिता का फोन आया और उन्होंने मुंडका में आग लगने की
घटना के बारे में सूचना दी।’’


उन्होंने कहा कि वह घबरा गए और शहर के चारों ओर सभी सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटने लगे ताकि पता
चल सके क्या उनकी बहनें वहां भर्ती हैं।

उन्होंने कहा, “हमने कल रात से हर सरकारी अस्पताल का चक्कर
लगाया। अंत में एक अस्पताल ने हमें बताया कि शवों को संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया। शव
पहचान के बाहर हैं।”


अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए राजेश ने कहा कि शवों को ”अपमानजनक तरीके से” अस्पताल लाया गया था।
उन्होंने कहा, “वे (अधिकारी) शवों को इस तरह से लाए जैसे उन्होंने कचरा इकट्ठा किया हो। क्या उन्हें लगता है


कि वह मर चुके हैं, सिर्फ इसलिए उन लोगों की कोई गरिमा नहीं बची है? उन्होंने हमें शवों की पहचान करने के
लिए बुलाया लेकिन एक बैग में दो से तीन जले हुए शव भरे हुए हैं।

राजेश ने पूछा कि इस तरह से हम अपने
परिवार के सदस्यों की पहचान कैसे कर सकते हैं?”

दो भाई महिपाल कुमार और सुरेंद्र कुमार, जिनकी बेटियां लापता हैं, शव वापस लेने के लिए अस्पताल के मुर्दाघर
के बाहर इंतजार कर रहे थे। महिपाल ने कहा कि हम कल रात से यहां इंतज़ार कर रहे हैं। मेरी बेटी ने मुझे
शुक्रवार को फोन किया था जब इमारत में आग लग गई थी। वह घबरा रही थी और आखिरी बार मैंने उसकी
आवाज़ सुनी थी।
महिपाल ने कहा कि वे अस्पताल से बेटी के शव की पहचान करने और अंतिम संस्कार के लिए सौंपने का अनुरोध
कर रहे हैं। सुरेंद्र कुमार इसलिए दुखी थे क्योंकि वह अपनी बेटी से आखिरी बार बात तक नहीं कर सके। उन्होंने
कहा, “वह कैमरा विभाग में काम करती थी। उसके शव की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है। काश मैं उससे आखिरी
बार बात कर पाता।”
रानी खेड़ा मोहल्ले की रहने वाली नफीसा ने अपनी एक रिश्तेदार के शव की शिनाख्त के लिए घंटों इंतजार किया।
उन्होंने कहा कि शरीर इस हद तक जल चुका है कि वह उसकी पहचान नहीं कर पा रही थीं। राजेश के समान
आरोप लगाते हुए नफीसा ने सवाल किया कि ”एक बैग में कई जले हुए शव क्यों रखे गए थे। हमें शव की पहचान
करने के लिए कहा गया था, लेकिन हम नहीं कर सके। उन्होंने दो से तीन शवों को एक साथ रखा हुआ है। हम
उस तरह से कैसे पहचान करेंगे?” नफीसा ने कहा, “उनका शरीर इस हद तक जल गया कि हम उसकी पहचान नहीं
कर पा रहे हैं। हमने अस्पताल के कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे कह रहे हैं कि इसमें समय
लगेगा क्योंकि फोरेंसिक दल शवों की जांच करेगा। हम शुक्रवार की रात से यहां हैं और तब से कुछ भी नहीं खाया
है।”