नोएडा के अड़तालीस वर्ष

अड़तालीस वर्ष पहले इस क्षेत्र की स्थिति लगभग वैसी ही थी जैसी महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ बसाते समय थी। स्वच्छंद बहती यमुना और हिंडन नदियों के बीच का यह दोआबा साल के अधिकतर महीनों में वर्षा और बाढ़ के पानी से भरा रहता था।

नोएडा के अड़तालीस वर्ष

राजेश बैरागी- 


 अड़तालीस वर्ष पहले इस क्षेत्र की स्थिति लगभग वैसी ही थी जैसी महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ बसाते समय थी। स्वच्छंद बहती यमुना और हिंडन नदियों के बीच का यह दोआबा साल के अधिकतर महीनों में वर्षा और बाढ़ के पानी से भरा रहता था।इसी कारण आज भी

यहां का भूजल पीने योग्य नहीं है। ऐसे अनुपयोगी क्षेत्र को एक उत्कृष्ट एकीकृत औद्योगिक नगर बनाने का स्वप्न देखना भी किसी आश्चर्य से कम नहीं था।

हालांकि यमुना पार ओखला और फरीदाबाद में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हो चुकी थी परंतु इस क्षेत्र की स्थिति अलग थी। बहरहाल 1976 में एक अधिनियम के अंतर्गत नया ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण नोएडा का जन्म हुआ।आज इस

प्राधिकरण की स्थापना का 48 वां दिवस है।इन अड़तालीस वर्षों में क्या क्या हुआ, यह बताने के लिए एक लंबी रात भी नाकाफी होगी।1978 में आयी देशव्यापी और विनाशकारी बाढ़ ने इस नगर की जैसे भ्रूण हत्या ही कर दी थी।1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों ने एक बार फिर इस नगर के विकास पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। एक बार इसे छावनी क्षेत्र बनाने पर भी विचार किया जाने लगा। फिर इस नगर को पंख लग गए। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उपनगर के तौर पर

विकसित हुए इस औद्योगिक नगर को पहचान मिली रिहाइशी सेक्टरों से। अब यहां देश और विदेशों के भी किसी महानगर जैसी नगरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं।बस, टैक्सी, ऑटो से लेकर मेट्रो जैसी विश्वस्तरीय परिवहन सुविधा उपलब्ध है। फ्लाईओवर और

अंडरपास के साथ सड़कों का जाल बिछा है। इतना कुछ होने के बावजूद यहां आने वाले आगंतुकों को एक गिलास पीने के पानी की व्यवस्था करने में प्राधिकरण असमर्थ है। परियोजनाओं पर अनाप-शनाप पैसा खर्च करने और भ्रष्टाचार के कारण प्राधिकरण का

खजाना खाली हो चला है। परंतु नोएडा की धाक ऐसी है कि कोई चालीस किलोमीटर दूर एक नये क्षेत्र को विकसित करने के लिए उसे नया नोएडा नाम दिया गया है