24 साल पुराना कुख्यात पेपर लीक सरगना से विधायक बन बैठा बेदीराम

पेपर लीक मामले में पकड़े जा चुके कुख्यात बिजेंद्र गुप्ता द्वारा सुभासपा विधायक बेदीराम की संलिप्तता सरगना के रूप में बताकर सनसनीखेज़ खुलासा कर दिया है।

24 साल पुराना कुख्यात पेपर लीक सरगना से विधायक बन बैठा बेदीराम

लखनऊ : पेपर लीक मामले में कुख्यात विधायक बेदीराम का नाम 24 साल से जुड़ता रहा है।


पेपर लीक मामले में पकड़े जा चुके कुख्यात बिजेंद्र गुप्ता द्वारा सुभासपा विधायक बेदीराम की संलिप्तता सरगना के रूप में बताकर सनसनीखेज़ खुलासा कर दिया है। इस कुख्यात पेपर लीक सरगना विधायक ने लाखों मेधावी विद्यार्थियों के सपनों को चकनाचूर कर अकूत संपत्ति कब्जाई है। सत्ताधारी गठबंधन के विधायक होने के नाते सुरक्षा कवच के घेरे में बैठे बेदिराम का पेपर लीक से संबंधित एक सनसनीखेज़ विडीयो भी वायरल हों गया है। बावजूद ये अभी तक बेफिक्र हैं। खैर इस कुख्यात बदमाश विधायक की पूरी जिंदगी एक सनसनीखेज़ स्टोरी  है।
प्राप्त जानकारी अनुसार इस विधायक के खिलाफ़ राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं। हिमाचल प्रदेश में हुए पेपर लीक मामले में भी इसका नाम आया था, परंतु इसके दबाव प्रभाव से यह वहा बच गया था।

विधायक का आपराधिक इतिहास जानें

विधायक बेदीराम का नाम पेपर लीक में पहली बार वर्ष 2000 में सामने आया था।
बेदीराम रेलवे में टीटीई थे, सूत्रों से चर्चा अनुसार संभवतः ऐसे ही हथकंडों से उन्होंने नौकरी पाई थी।
रेलवे की भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने में उनका सामने आने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की 2006 की समूह ‘ग’ की भर्ती परीक्षा, 2008 में लोको पायलट की परीक्षा, 2009 में भोपाल और जयपुर में रेलवे की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक कराने में बेदीराम को गिरफ्तार भी किया गया था। फिर छत्तीसगढ़ CPMT परीक्षा (2012) के मामले में वह जेल गए थे।

इस परीक्षा का पर्चा लीक कराने में CBI ने गिरफ्तार कर उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजा था। मई 2014 में मध्य प्रदेश में आयुर्वेद मेडिकल परीक्षा होनी थी। इसका पेपर लीक हो गया और परीक्षा रद्द करनी पड़ी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने बेदी राम का नाम लिया था। 2013 में मध्यप्रदेश PCS में दो पेपर लीक हुए थे इसके चलते 30 जुलाई को होने वाला इंटरव्यू रोक दिया गया था। साल 2006 से अब तक बेदी राम के 56 सहयोगियों के नाम पुलिस चार्जशीट में सामने आ चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि बेदी राम के साथ जिसने इस मामले में जेल काटी, उसी ने स्टिंग ऑपरेशन में राज़ उगल दिए। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने सबकुछ जानते हुए भी बेदी राम का कोई सियासी नाता न होने के बावजूद यूपी के गाजीपुर की जखनिया सीट से टिकट दे दिया था। उनके ऊपर बाराबंकी में एक बड़े जमीन घोटाले का भी आरोप है। जिसकी जांच अभी चल रही है।


वायरल वीडियो में सुना जा सकता है जिनके पेपर्स रद्द हो गए वो स्टूडेंट अपना पैसा वापिस मांगने आए हैं तो बेदी राम उनको हड़का रहे हैं और बता भी रहे हैं कि वो कैसे पेपर लीक और रिजल्ट बदलने का सिस्टम चलाते हैं। बेदी राम यूपी में राजभर की पार्टी से गाजीपुर जनपद की जखनिया सीट से वर्तमान विधायक हैं। पेपर लीक के मामले में वो विधायक बनने से पहले जेल भी काट चुके हैं और अभी भी वही धंधा करते वीडियो में दिख रहे हैं। 


बेदी राम पर भोपाल में केस विचाराधीन है। इसके साथ ही लखनऊ और जौनपुर में भी मामले विचाराधीन है।


क़रीब आठ माह पूर्व ही  विधायक बेदी राम पर सड़क निर्माण में कमीशन मांगने का आरोप लगा है। कमीशन न देने पर विधायक प्रतिनिधि के द्वारा सड़क निर्माण स्थल पर पहुंचकर मजदूरों को मारने-पीटने और गाली-गलौज करने का भी आरोप ठेकेदार पीडब्ल्यूडी के वन ग्रेड के ठेकेदार युधिष्ठिर राय ने लगाया है। ठेकेदार ने इस संबंध में डीएम और एसपी को शिकायत पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी।


जिसमें उन्होंने लिखा था कि उनके द्वारा जखनिया से हथियाराम मठ तक की सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। इस सड़क के निर्माण के लिए विधायक और उनके प्रतिनिधि के द्वारा लगातार कमीशन के लिए दबाव बनाया गया। कमीशन न देने पर विधायक प्रतिनिध द्वारा अंजाम भुगतने की धमकी दी गई है। ठेकेदार ने बताया कि विधायक बेदी राम के द्वारा पूर्व में भी कई सड़कों के निर्माण में दसियो लाख का कमीशन लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि 2014 को एसटीएफ के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक सुजीत पांडेय ने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखा था।

इसके लिए अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था ने अपनी संस्तुति कर रखी है,लेकिन तब प्रदेश में सपा की सरकार होने के कारण बेदी राम अपने आप को काफी हद तक बचाने में कामयाब रहे। वह मूलरूप से जौनपुर जिले के जलालपुर क्षेत्र के कुसियां गांव का निवासी हैं। वर्ष 1993 में अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से स्नातक हैं।

बेदी राम को गिरफ्तार करने के लिए तिलकहरू के भेष में पहुंची थी एसटीएफ की टीम

कहा जाता है कि बेदी राम को उसे वक्त पकड़ पाना मुमकिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन था। बेदी राम का नेक्सस सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में फैला था वह अपने गुर्गों की बदौलत पेपर लीक जैसी घटनाओं को बखूबी अंजाम देता था। और इसके लिए बाकायदा हर महकमे में उसके बड़े-बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों से सीधी पकड़ थी। लेकिन डेढ़ दशक पहले बेदी राम के ऊपर शिकंजा कसने लगा और इसके बाद एसटीएफ ने उसको गिरफ्तार करने के लिए सौंपा गया। हालांकि हर बार बेदी राम पुलिस की टीम को चकमा देकर फरार हो जाता था। लेकिन एसटीएफ की टीम ने इस बार एक ऐसा प्लान तैयार किया जिसके शिकंजे में बेदी राम आसानी से आ गया।


कहा जाता है की बेदी राम को गिरफ्तार करने के लिए एसटीएफ की टीम बकायदे तिलकहरू के रूप में उसके घर पहुंची थी। इस बात से बेखबर बेदी राम ने एसटीएफ अधिकारियों की खूब आवभगत की तो दूसरी तरफ अपनी पहचान छुपाने के लिए एसटीएफ की टीम भी अपने साथ फलों और मिठाइयों की टोकरी उसके घर लेकर पहुंची थी। घर का माहौल बेहद खुशनुमा था। बेदी राम ने भी बड़े प्रसन्न मुद्रा में एसटीएफ के अधिकारियों की आवभगत की लेकिन जैसे ही उसे एसटीएफ के अधिकारियों के बारे में जानकारी लगी उसके होश फाख्ता हो गए। जब तक बेदी राम कुछ समझ पाते एसटीएफ ने उसे धर दबोचा।


प्राप्त खबरों के अनुसार एसटीएफ टीम की अगुवाई कर रहे तत्कालीन एसपी संतोष कुमार सिंह के मुताबिक बेदी राम की पहुंच बहुत ऊंची थी और उसने सैकड़ो लोगों को अपनी जाल में फंसा कर पैसा वसूल किया था और उसके बदले वह नौकरी देने का काम करता था हालांकि उसकी उसकी गिरफ्तारी के लिए पहले भी काफी कोशिश की गई थी लेकिन हर बार नाकाम टीम को नाकामी हाथ लगती थी लेकिन इस बार जो प्लान तैयार किया गया था बेदी राम उसमें आसानी से फंस गया।

वर्ष 2014 में एसटीएफ की ओर से जुटाया गया संपत्ति का ब्योरा

मकान नं.3\ 52 विक्रांत खंड गोमतीनगर लखनऊ
मकान नं. 2\42 विजयंत खंड गोमतीनगर लखनऊ
मकान नं. 1\131 सेक्टर ए वृंदावन योजना लखनऊ
प्लाट संख्या जी -52 ट्रांसपोर्टनगर लखनऊ
लखनऊ के गोसाई के ग्राम अमेठी के आसपास आम का बाग
जौनपुर के जलालपुर क्षेत्र के गांव कुसिया में कृषि भूमि
जौनपुर के जलालपुर में दो ईंट भट्ठे
जौनपुर के जलालाबाद के वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर 6000 वर्ग फीट भूमि

विदित हो कि बेदिराम की पार्टी 


सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का फिर से दामन थाम लिया था। पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने अमित शाह से मुलाक़ात के बाद ये फ़ैसला लिया था।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में ओबीसी मतदाताओं के बीच प्रभावशाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में छह सीट जीती थी। एनडीए सहयोगी दल के विधायक होने के कारण बेदीराम के बहाने एनडीए सरकार पर निशाना साधने का विपक्ष को मौका मिल गया है। हालाकि बेदीराम भाजपा उम्मीद्वार को 2022 विधानसभा चुनाव में हराकर विधायक बना था, पर सियासत के हथकंडे जो न कराए वह कम है। सूत्रों के अनुसार सनसनीखेज खुलासे के बाद भी बेदी राम से जॉच एजेंसियों द्वारा कोई पूछताछ करने की ख़बर नहीं है।


बेदी राम को लेकर इस वक्त उत्तर प्रदेश की सियासत गर्म है समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने बेदी राम को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है। दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने भी बेदी राम की गिरफ्तारी की मांग करते हुए उसे पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड बताया है। यही नहीं ओमप्रकाश राजभर के राजभर रह चुके और नेशनल इक्वल पार्टी के अध्यक्ष शशि प्रताप सिंह ने भी कहा कि बेदी राम एक बेहद जालसाजी है और हजारों लोगों को अब तक नौकरी दिला चुका है और इसके एवज में उसने अकूत दौलत कमाई है। सीबीआई इस पूरे मामले की जांच करें तो सिर्फ बेदी राम ही नहीं बल्कि उससे जुड़े हुए जो अन्य लोग हैं वह भी बेनकाब हो जाएंगे।


बता दें कि उत्तरप्रदेश में प्रदेश छह माह में पुलिस भर्ती समेत कई विभागों में निकाली गई नौकरियों के पेपर लीक हो गए। इन भर्तियों के निरस्त होने से युवा वर्ग और अभ्यर्थी काफी निराश हैं। विपक्षी पार्टियों इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला कर रही हैं। 
आइए जानते है पेपर लीक मामलो के कुख्यात विधायक के रूप में पहचाने जानें वाले वर्तमान में एनडीए के 6 विधायकों में से एक बेदी राम, जो सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बेहद करीबी माने जाते है।बेदिराम के राजनितिक इतिहास पर नजर डालें तो वह पहली बार वाराणसी के पिंडरा विधानसभा से चुनाव लड़े थे। उन्होंने 2007 में हुए विधानसभा चुनाव को बीएसपी के सिंबल पर लड़ा था। 


चुनाव हारने के बाद अपनी किस्मत बेदी राम ने गाजीपुर के नगर पालिका चेयरमैन के चुनाव में भी आजमाया। बेदी राम ने 2012 में हुए चेयरमैन के चुनाव में अपनी अपनी दावेदारी ठोकी थी। पर हार गए थे।बेदी राम की पत्नी वर्तमान में जौनपुर में जलालाबाद ब्लाक से ब्लॉक प्रमुख हैं। बेदी राम ने बताया था कि उनकी पैदाइश भले ही जौनपुर की है, लेकिन अब वह लखनऊ में बस गए है, उनका राजनीतिक कार्य क्षेत्र गाजीपुर है।

जखनिया विधानसभा सीट को जाने

जखनिया (सुरक्षित) विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में आती है। 2022 में जखनिया में कुल 44.53 प्रतिशत वोट पड़े थे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से बेदीराम ने भारतीय जनता पार्टी के रामराज वनवासी (मूस हर) को 36865 वोटों के मार्जिन से हराया था।


जखनिया विधानसभा क्षेत्र में परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का गांव धामू पुर है।


 महावीर चक्र विजेता पंडित रामउग्रह पाण्डेय का गांव ऐमा वंशी भी यही है। 650 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथिया राम मठ स्थित है।  
जखनिया विधानसभा सीट पर 1967 से 2017 तक बीजेपी का खाता नहीं खुला, यहां सपा-बसपा की जीत हार होती रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के त्रिवेणी राम विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे।


बता दें कि जखनियां विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा दलित मतदाताओं की संख्या है। सुरक्षित सीट पर दलितों के बाद सबसे बड़ी संख्या में यादव बिरादरी के मतदाता आते हैं। राजभर और चौहान मतदाता भी दूसरे-तीसरे नंबर पर हैं, वहीं सवर्णों में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य बेहद कम हैं। जातिगत समीकरण के को देखते हुए इस सीट पर बसपा सबसे मजबूत मानी जाती रही है।


आंकड़ों के मुताबिक जखनिया विधानसभा में 3,99,269 कुल मतदाता हैं। जिसमें दलित मतदाताओं की संख्या 91,048, यादव 68,490, राजभर मतदाताओं की संख्या 48,815, चौहान की संख्या 36,665, कुशवाहा मतदाताओं की संख्या 31,530, वैश्य 18,416, मुस्लिम मतदाता 18,338, ब्राह्मण 14,683 और बिंद मतदाताओं की संख्या 9770 है।


बहरहाल एटीएफ की रिकार्ड में पेपर लीक गिरोह के सरगना और कुख्यात नकल माफिया जैसे शब्द से ‘अलंकृत’ बेदी राम टिकट की खरीद फरोख्त की बदौलत पहली बार जखनियां से सियासी समर में उतर कर विधायक बन गए। एसटीएफ की रिपोर्ट के बावजूद बेदी राम तत्कालीन सपा सरकार में खुद को बचाने में कामयाब रहे और आज सत्ताधारी गठबंधन के विधायक होने के नाते सुरक्षा कवच के घेरे में हैं।