श्रीकृष्ण कृपा धाम में दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ त्रिदिवसीय भव्य शरदोत्सव

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय दिव्य व भव्य शरदोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।

श्रीकृष्ण कृपा धाम में दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ त्रिदिवसीय भव्य शरदोत्सव

श्रीकृष्ण कृपा धाम में दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ त्रिदिवसीय भव्य शरदोत्सव 

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय दिव्य व भव्य शरदोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।महोत्सव का शुभारंभ अनेक प्रख्यात संतों व विद्वानों ने श्रीराधाकृष्ण के चित्रपट के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्ज्वलित करके एवं पुष्प अर्पित करके किया।इस अवसर पर आयोजित वृहद संत सम्मेलन में श्रीकृष्ण कृपा धाम के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा शीत ऋतु का विशिष्ट पर्व है।शरद पूर्णिमा का चंद्रमा और उसकी उज्ज्वल चंद्रिका सभी को माधुर्य व आनंद की अनुभूति कराती है। शरद पूर्णिमा की दिव्य व भव्य रात्रि के चंद्रमा की चांदनी में अमृत समाहित होकर पृथ्वी पर बरसता है। 


अखंडानंद आश्रम के महंत स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा ग्रीष्म ऋतु से शरद ऋतु में प्रवेश का द्वार है।इसे भक्ति व प्रेम के रस का सागर भी माना गया है।शरद पूर्णिमा कन्हैया की वंशी का प्रेम नाद एवं जीवात्मा व परमात्मा के रास रस के आनंद का केंद्र है।इसीलिए इसे लोक कथाओं से लेकर शास्त्रों तक में शुभ व मंगलकारी बताया गया है।


सुग्रीवकिला पीठाधीश्वर अयोध्या/वृन्दावन श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी विश्वेशप्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा जितनी पावन व पुनीत किसी भी ऋतु की कोई रात्रि नहीं है।शरद पूर्णिमा महालक्ष्मी का भी पर्व है।ऐसी मान्यता है कि धन संपति की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।अत: यह लक्ष्मी पूजा का भी पर्व है।महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद महाराज (पंजाब) ने कहा कि शरद पूर्णिमा जीवन को एक नई प्रेरणा देने के साथ-साथ जीवन के उत्थान का आधार और उसे सही दिशा दिखाने का माध्यम भी है।इसीलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।


प्रख्यात भागवताचार्य श्रीराम मुद्गल महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा की महिमा इतनी अधिक है कि इस तिथि को देवराज इंद्र तक ने मां महालक्ष्मी की स्तुति की थी।क्योंकि महालक्ष्मी धन के अतिरिक्त यश, उन्नति, सौभाग्य व सौंदर्य आदि की भी देवी हैं।
संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज,  पूर्व गृह सचिव मणिप्रसाद मिश्रा, स्वामी धर्मदेव महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, संत सेवानंद ब्रह्मचारी, डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य रमाकांत शास्त्री, बालशुक पुंडरीक कृष्ण महाराज,आचार्य केशव कृष्ण देव महाराज, भजन गायक चंदन महाराज, डॉ. संजय श्रीवास्तव  आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


इस अवसर पर अशोक चावला, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, शक्तिस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज, वासुदेव शरण महाराज, गोविंद ब्रह्मचारी महाराज, मोहन गोयल, सुदर्शन अग्रवाल, ने महोत्सव में पधारे  सभी संतों व विद्वानों का माल्यार्पण एवं प्रसादी भेंट कर स्वागत किया।रात्रि में सरस भजन संध्या का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें प्रख्यात भजन गायक रतन रसिक, महावीर शर्मा एवं नितिन कथौरिया (दिल्ली) ने अपनी सुमधुर वाणी में श्रीराधा-कृष्ण की महिमा से ओतप्रोत भजनों की प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।


इसके अलावा कुरुक्षेत्र के गीता ज्ञान संस्थानम् स्थित जियो वैलनेस सेंटर के द्वारा प्रख्यात आयुर्वेदिकाचार्य आचार्य मनीष के सानिध्य में त्रिदिवसीय निःशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाया गया।जिसका लाभ सैकड़ों रोगियों ने प्राप्त किया।