अहमदनगर में बकरीद पर नहीं दी जाएगी कुर्बानी
मुंबई, 27 जून (मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना; अल्लामा इकबाल की यह पंक्तियां महाराष्ट्र के एक कस्बे के लोगों ने सच साबित करके दिखा दी हैं। दरअसल महाराष्ट्र के अहमदनगर के नेवासा कस्बे में लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है।
मुंबई, 27 जून (;मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना अल्लामा इकबाल की यह
पंक्तियां महाराष्ट्र के एक कस्बे के लोगों ने सच साबित करके दिखा दी हैं। दरअसल महाराष्ट्र के
अहमदनगर के नेवासा कस्बे में लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है। इस साल आषाढ़ी
एकादशी और बकरीद एक ही दिन हैं।
ऐसे में नेवासा कस्बे के मुस्लिम समुदाय ने हिंदू भाईयों की
भावनाओं का मान करते हुए आषाढी एकादशी पर कुर्बानी ना देने का फैसला किया है।
सांप्रदायिक सौहार्द की पेश की मिसाल
बता दें कि त्यौहारों के मद्देनजर नेवासा पुलिस ने शांति समिति की बैठक का आयोजन किया था। बैठक
का आयोजन 29 जून को पड़ने वाली आषाढ़ी एकादशी और बकरीद के त्यौहार पर शांति बनाए रखने के
उपायों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। पुलिस ने लोगों से सौहार्द से त्यौहार मनाने की अपील की। इसी
बीच कस्बे के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया कि हिंदू भाईयों की भावनाओं का सम्मान करते हुए
उन्होंने 29 जून को कुर्बानी नहीं देने का फैसला किया है।
सिर्फ नमाज अदा करेंगे मुस्लिम
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा है कि बकरीद के दिन वह सिर्फ नमाज अदा करेंगे और कुर्बानी नहीं
देंगे। सांप्रदायिकता के बढ़ते मामलों के बीच यह खबर सुकून देने वाली है। नेवासा निवासी इमरान
दारूवाला ने बताया कि मुस्लिम समुदाय ने शांति समिति की बैठक से पहले ही आपस में बात करके ये
फैसला ले लिया था ताकि हिंदू भाइयों को परेशानी ना हो। नेवासा में प्रसिद्ध ज्ञानेश्वर माऊली मंदिर है,
जिसकी काफी आस्था है।
इसी वजह से आषाढ़ी एकादशी पर कुर्बानी नहीं देने का फैसला किया गया।
बीते दिनों सांप्रदायिक तनाव का शिकार रहा नेवासा
नेवासा के ही रहने वाले रहमान पिंजारी ने बताया कि मजहब में तीन दिन तक कुर्बानी देने की इजाजत
है। यही वजह है कि आषाढ़ एकादशी को देखते हुए अगले दिन यानी 30 जून को कुर्बानी देने का फैसला
किया गया है। नेवासा के हिंदू समुदाय ने मुस्लिम समुदाय की इस पहल का स्वागत किया है और इस
पर खुशी जताई है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बीते दिनों में नेवासा में कई असामाजिक घटनाएं घटी
हैं। ऐसे में दोनों समुदाय आगे आए हैं और किसी भी तरह के विवाद से बचने का फैसला किया है।