आर्ष कन्या गुरुकुल सोरखा, नोएडा का वार्षिकोत्सव सौल्लास संपन्न
*कन्याओं की शिक्षा से दो घरों का निर्माण होता है -आचार्य डॉक्टर जयेन्द्र कुमार* *स्वतन्त्रता आंदोलन की क्रांति के जनक थे बिस्मिल -गायत्री मीना* *क्रांतिकारियों के सिरमौर थे रामप्रसाद बिस्मिल-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य*
*नोएडा,रविवार,19-11-2021 को आर्ष कन्या गुरुकुल वेद धाम सोरखा एवं श्री कृष्ण गौशाला के भव्य वार्षिक उत्सव पर आचार्य डॉक्टर जयंत कुमार के ब्रह्मत्व में महायज्ञ संपन्न हुआ।उन्होंने कहा कि बालिकाओं की शिक्षा के निर्माण से राष्ट्र की नींव मजबूत होती है। उन्होंने आर्ष कन्या गुरुकुल के अपार सहयोगीयों का आभार व्यक्त किया।यज्ञोप्रांत अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का 94 वां बलिदान दिवस समारोह मनाया गया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि क्रांतिकारियों के सिरमौर थे पंडित रामप्रसाद बिस्मिल। बिस्मिल से प्रेरणा पाकर अनेक नोजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।उनके घनिष्ठ मित्र अशफाक उल्ला खां भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश से प्रेरणा लेकर महर्षि दयानन्द के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया था और अनेकों युवा साथियों को लेकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।देश की आजादी की लड़ाई को मजबूत करने के लिए हत्यारों और धन की आवश्यकता थी जिसे पूरा करने के लिए प्रसिद्ध काकोरी काण्ड को अंजाम दिया। देश के युवाओं के लिये उनका जीवन सदियों तक प्रकाश देता रहेगा।आज इतिहास को ठीक कर क्रांतिकारियों को सही सम्मान देने की आवश्यकता है, जिससे आने वाली पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण कर सके ।
आर्य समाज नोएडा कि मंत्री श्रीमती गायत्री मीणा ने कहा कि अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल समस्त क्रांतिकारियों के गुरु थे व देश की आजादी के लिए संघर्षरत्त गर्म दल के क्रांति के जनक थे। शाहजहांपुर की उर्वरा धरती में महान क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ।
आर्य समाज शाहजहांपुर के सत्संग में स्वामी सोमदेव जी के प्रवचनों को सुनके बालक बिस्मिल के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।उनसे प्रभावित होकर पंडित बिस्मिल ने सत्यार्थ प्रकाश पढा, जिसको पढ़ कर बिस्मिल का सम्पूर्ण जीवन बदल गया।नशे जैसी दुष्प्रवृत्ति में जकड़े नौजवानों ने सब बुराइयों को छोड़कर अपने जीवन को संयम तथा सदाचार के मार्ग पर लगा दिया।
महर्षि दयानन्द को अपना गुरु मानकर देश को आज़ाद कराने का संकल्प लिया तथा सम्पूर्ण जीवन देश को आजाद कराने में लगा दिया तथा देश की आजादी की लड़ाई लड़ते लड़ते फाँसी के फंदे को चूम लिया।उन्होंने फांसी के फंदे को चूमते हुए कहा था "मैं ब्रिटिश साम्राज्य का पतन चाहता हूं" उन्होंने कहा कि "जो फांसी पर चढ़े खेल में उनको याद करे,जो वर्षों तक सड़े जेल में उनको याद करे" । उन्होंने बिस्मिल के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष श्री आनन्द चौहान (निदेशक एमिटी विश्वविद्यालय)ने कहा कि शहीद देश की अमानत है,समय समय पर उनको याद करके हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर नयी उर्जा का संचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिस्मिल पहले क्रांतिकारी थे जिनका वजन फांसी वाले दिन बढ़ गया था।
राष्ट्रीय कवि श्री हरिओम पंवार काव्यत्री सुश्री समीक्षा सिंह एवं श्रीमती नमिता नमन ने देश भक्ति से ओतप्रोत रचनाओं से समा बांध दिया
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की राम प्रसाद बिस्मिल को वैदिक धर्म को जानने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इससे उनके जीवन में नये विचारों और विश्वासों का जन्म हुआ।उन्हें एक नया जीवन मिला।उन्हें सत्य, संयम,ब्रह्मचर्य का महत्व आदि समझ में आया।
इस अवसर पर सर्व श्री रचना आहूजा, उर्मिल आर्या ,जितेंद्र आर्य ,अनिल कपूर ,अजय चाटली, शशांक अग्रवाल ,विपिन अग्रवाल, पुष्प दहिया ,सुधीर मिड्ढा ,राज सरदाना ,कौशल्या देवी, अदिति चंद्र ,गौरव मित्तल, अनुज अग्रवाल ,संजय गर्ग आदि को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
श्री करण सिंह शास्त्री ने कहा कि बिस्मिल बहुत अच्छे शायर थे, उनका लिखा गीत "सरफरोशी की तमन्ना" हर व्यक्ति की जुबान से गाया जाता है।बिस्मिल ने फांसी से तीन दिन पहले जेल में अपनी आत्म कथा लिखी थी जो हर नोजवान को पढ़नी चाहिए।
गुरुकुल की ब्रह्मचारिणीयों द्वारा स्वागत गान व देशभक्ति के गीत प्रस्तुत किए गए।
सुप्रसिद्ध गायिका संगीता आर्या, पुष्पा चुग, आचार्य प्रगति आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य रूप से यज मुनि, जितेंद्र आर्य ,सतीश ग्रोवर,सीमा आर्य ,नीरज शास्त्री ,दीपक शास्त्री, नितिन आर्य, नैवेद्य शर्मा, उपदेश भारद्वाज ,संदीप त्यागी नरेंद्र शास्त्री आदि उपस्थित रहे