क्या अनजान है सरकार?
क्या अनजान है सरकार?(2)
*एक सप्ताह का अधिकारी*
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_-राजेश बैरागी-_
तीन दशक पहले नोएडा की अपार सफलताओं से उत्साहित उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्थापना की, उसमें आज अधिकारियों का इस कदर टोटा है कि सेवानिवृत्ति से एक माह पहले एक अधिकारी को आईटी सिस्टम जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
यूपीसीडा से दो वर्ष पहले स्थानांतरित होकर आए मयंक श्रीवास्तव आगामी 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसी सप्ताह उन्हें प्राधिकरण के आईटी सिस्टम विभाग का प्रमुख बनाया गया है। उनके पास सेवा के गिनती के दिन शेष हैं।
इस बीच जी-20 सम्मिट के लिए उन्हें एक सप्ताह लखनऊ में रहना होगा। महीने में शनिवार रविवार आठ दिन अवकाश रहेगा। क्या कोई अधिकारी सेवानिवृत्ति के शेष सात आठ दिनों में एक विशालकाय प्राधिकरण के आईटी सिस्टम में कुछ कर पायेगा, सुधार करने की तो बात ही न करें जबकि उस अधिकारी का इस क्षेत्र में कोई अनुभव भी न हो।
दूसरी ओर प्राधिकरण का आईटी सिस्टम वर्तमान में बहुत बुरी स्थिति में है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद प्राधिकरण को पेपरलेस,फेसलेस करने के दावों की कौन कहे, प्राधिकरण के रोजमर्रा के कामकाज में भी समस्या आ रही हैं।
सिस्टम चल नहीं रहा है,घिसट रहा है। सिस्टम के निर्माण और संचालन के लिए रखी गई टेक महिंद्रा कंपनी लगभग बिस्तर बांध चुकी है। उसके कर्मचारी औपचारिक उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक वर्तमान सीईओ दुखी होकर इस ईआरपी सिस्टम को ही बंद कराने के मूड में हैं। चूंकि यह परियोजना राज्य सरकार की है इसलिए इसे बंद करना भी आसान नहीं है।
यदि यह व्यवस्था आज बंद कर दी जाती है तो इस पर खर्च करोड़ों रुपए तो मिट्टी में मिल ही जाएंगे, प्राधिकरण के अभिलेख भी ढूंढे नहीं मिलेंगे।
इस सिस्टम को चलाने में सक्षम एक अधिकारी सी के त्रिपाठी को स्थानांतरण नीति के तहत यूपीसीडा भेज दिया गया। अब क्या होगा? प्राधिकरण में यही प्रश्न बहुत शिद्दत से पूछा जा रहा है। जारी.....।
(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)