गौतमबुद्धनगर में: शराब बिक्री से 22% अधिक राजस्व
जनपद गौतमबुद्धनगर निवासियों के सुरापान के तमाम रिकॉर्ड के बावजूद जिला आबकारी विभाग शराब की बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व का लक्ष्य प्राप्त करने में चूक गया। हालांकि विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा 22 प्रतिशत अधिक राजस्व अर्जित कर राज्य के खजाने में 1652 करोड़ रुपए की विपुल धनराशि जमा कराई।
जनपद गौतमबुद्धनगर निवासियों के सुरापान के तमाम रिकॉर्ड के बावजूद जिला आबकारी विभाग शराब की बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व का लक्ष्य प्राप्त करने में चूक गया।
हालांकि विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा 22 प्रतिशत अधिक राजस्व अर्जित कर राज्य के खजाने में 1652 करोड़ रुपए की विपुल धनराशि जमा कराई।
सीमित संसाधनों और सीमापार से शराब की अवैध आमद के चलते गौतमबुद्धनगर का जिला आबकारी विभाग बीते वित्त वर्ष2022-23 में लक्षित राजस्व प्राप्ति में 10 प्रतिशत नीचे रहा। शासन ने जिला गौतमबुद्धनगर को शराब बिक्री से 1828 करोड़ रुपए राजस्व
अर्जित करने का लक्ष्य दिया था। इस लक्ष्य के सापेक्ष 1652 करोड़ रुपए प्राप्त किए जा सके। जिला आबकारी अधिकारी राकेश बहादुर सिंह ने एक खास मुलाकात में बताया
कि हालांकि पिछले वित्त वर्ष में अर्जित राजस्व के मुकाबले इस वर्ष में 22 प्रतिशत अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि शराब की दुकानों पर नकली और अधिक दरों पर शराब बेचने की शिकायतें शीघ्र ही बीते जमाने की बातें हो जाएंगी।सभी दुकानों
पर पॉइंट ऑफ सेल मशीनें लगा दी गई हैं। परीक्षण के तौर पर कुछ दुकानों से बीयर की बिक्री इन मशीनों के जरिए की जा रही है।
उन्होंने बताया कि अब तक अधिक दरों पर शराब बेचने के आरोप में 45 दुकानों पर छापे मारकर 34 सेल्समैन को गिरफ्तार किया गया है जबकि दुकान मालिकों से 33 लाख रुपए जुर्माना वसूल किया गया है।
गौरतलब है कि अधिक दर पर शराब बेचने पर पहली बार 75 हजार रुपए, दूसरी बार डेढ़ लाख और तीसरी बार पकड़े जाने पर लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
गौरतलब है कि गौतमबुद्धनगर जिला दिल्ली और हरियाणा राज्यों से सीमा साझा करता है।इन दोनों राज्यों में शराब की कीमत उत्तर प्रदेश के मुकाबले काफी कम हैं। इसलिए यहां दूसरे राज्यों से तस्करी कर खूब शराब लायी जाती है। तस्करी व दुकानों पर
होने वाली अनियमितताओं को रोकने को लेकर जिला आबकारी विभाग के पास पर्याप्त संसाधनों का अभाव है। विभाग के पास मात्र एक वाहन अपना है जबकि छह वाहन संविदा के तहत किराये पर लेकर काम चलाया जा रहा है।