बगैर कागज-कलम के होगी देश की अगली जनगणना
ऐसा इसलिए क्योंकि शिशुओं के जन्म से लेकर वयस्कों की मृत्यु तक का सभी डेटा डिजिटल रूप में एकत्र करने की योजना है। यह डेटा समय-समय पर अपडेट होता रहेगा और सरकार विविध जनकल्याण योजनाओं के लिए योग्य नागरिकों को उनके मोबाइल फोन पर एसएमएस के माध्यम से खुद-ब-खुद सूचनाएं भेज सकेगी। ऐसा होने पर तमाम तरह की विसंगतियां दूर हो सकेंगी।
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बगैर कागज-कलम के होगी देश की अगली जनगणना
-- नरविजय यादव
किसी देश की आबादी का पता लगाने का अभी तक एक ही तरीका रहा है, और वो है जनगणना। भारत में भी हर दस साल बाद जनगणना कराये जाने का नियम रहा है। हो सकता है कि आने वाले समय में जनगणना के इस तरीके को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया जाये। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशुओं के जन्म से लेकर वयस्कों की मृत्यु तक का सभी डेटा डिजिटल रूप में एकत्र करने की योजना है। यह डेटा समय-समय पर अपडेट होता रहेगा और सरकार विविध जनकल्याण योजनाओं के लिए योग्य नागरिकों को उनके मोबाइल फोन पर एसएमएस के माध्यम से खुद-ब-खुद सूचनाएं भेज सकेगी। ऐसा होने पर तमाम तरह की विसंगतियां दूर हो सकेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन करने की योजना पर काम कर रही है। संशोधित कानून का मसौदा अपने अंतिम चरण में है। ऐसा माना जा रहा है कि अगले साल भारत में जनगणना शुरू होने से पहले ही नया कानून देश में लागू हो सकता है।
भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, और तब देश की जनसंख्या 121 करोड़ थी। दस वर्ष के कालखंड के हिसाब से 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी। साल 2021 में, देश की 16वीं जनगणना का मसौदा भारत के गजट में 28 मार्च 2019 को जारी किया गया था। जनगणना दो हिस्सों में होनी थी। अप्रैल से सितंबर 2020 तक मकानों का लेखाजोखा किया जाना था और 9 फरवरी 2021 से जनगणना शुरू होनी थी। लेकिन इसे कोविड19 महामारी के कारण अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना पड़ गया। अब यह अगले साल या जब भी हो, होगी डिजिटल रूप में ही। पहले की तरह इसके लिए पैन और पेपर का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा। सब कुछ एक ऐप के जरिए होगा और सारे आंकड़ों का प्रबंधन जनगणना के एक पोर्टल पर होगा। यह देश की पहली पूर्णत: डिजिटल जनगणना होगी, ऐसी जानकारी गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दी गयी थी। जनगणना करने वाले सरकारी कर्मचारी घर-घर पहुंच कर सारी जानकारी अपने टेबलेट या मोबाइल फोन में फीड करेंगे। जनगणना पोर्टल पर देश के नागरिक चाहें तो खुद ही अपना मोबाइल नंबर डालकर अपनी जानकारी साझा कर सकेंगे। जनगणना के आंकड़े विधान सभा और लोक सभा क्षेत्रों के निर्धारण में काम आते हैं। इन आंकड़ों का प्रयोग प्रशासनिक और जनहित के कार्यों के लिए भी होता है।
जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन के बाद नागरिकों के जन्म और मृत्यु का लेखाजोखा केंद्र सरकार के पास पहुंचने लगेगा। सरकार का यह कदम दरअसल वन नेशन वन डेटा की अवधारणा को पुष्ट करेगा। फिलहाल राज्यों के माध्यम से लंबे इंतजार के बाद यह डेटा केंद्र तक पहुंचता है। अभी आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट और राशनकार्ड जैसे कई कार्ड प्रयोग हो रहे हैं, जिन्हें लोग बनवा तो लेते हैं, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अक्सर ये कार्ड बंद नहीं करवाये जाते। इस वजह से फालतू का डेटा एकत्र होता रहता है और इन दस्तावेजों के दुरुपयोग का खतरा बना रहता है, जबकि पात्र व्यक्तियों तक सुविधाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है। कानून में संशोधन होने के बाद जनगणना के लिए दस साल का इंतजार खत्म हो जायेगा। जनसंख्या की पूरी तस्वीर केंद्र के पास हर महीने पहुंचती रहेगी, जिससे योजनाएं बनाने में आसानी होगी।
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लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं कॉलमिस्ट हैं। narvijayindia@gmail.com