198 वें जन्मोत्सव पर महर्षि दयानंद जी को किया नमन
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद जी के मानवजाति पर अनेको उपकार हैं जिसे भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना कर श्रेष्ठ लोगो को संगठित किया और वेदों की पुनर्स्थापना की।
महर्षि दयानंद जी के मानवजाति पर अनेको उपकार -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य*
*मित्रता श्रेष्ठ उपहार है-नरेन्द्र आहुजा विवेक*
गाजियाबाद,शनिवार 12 फरवरी 2022, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी के 198 वें जन्मोत्सव पर उनके उपकारों को स्मरण किया गया।साथ ही आर्य मित्र मिलन समारोह का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 355 वां वेबिनार था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद जी के मानवजाति पर अनेको उपकार हैं जिसे भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना कर श्रेष्ठ लोगो को संगठित किया और वेदों की पुनर्स्थापना की।
उन्होंने पाखंड अंधविश्वास पर सीधा प्रहार किया व लोगों के सोचने की दिशा ही बदल डाली। स्वामी जी ने कहा कि कोई कितना ही करे परन्तु स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम है।देश भक्ति की भावना को जागृत किया जिससे प्रेरणा लेकर हजारों नोजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक विद्वान आचार्य अखिलेश्वर जी ने यज्ञ करवा कर किया उन्होंने राष्ट्र रक्षा का संकल्प दिलाया।
आर्य नेता नरेन्द्र आहुजा विवेक ने कहा मित्रता की परिभाषा करते हुए कहा कि जो सुख दुःख में साथ खड़ा हो व लाभ हानि की चिंता न करे।
जिला व सत्र न्यायाधीश सत्य भूषण आर्य ने कहा कि परिषद ने 44 वर्षो से मित्र बनाने का ही कार्य किया है।सी ई ओ प्रयागराज अजेय सहगल ने भी आर्य समाज की उपलब्धियों के चर्चा करते हुए आगामी योजनाओं से युवाओं को जोड़ने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि संघठन में रहकर ही समस्याओं का निदान हो सकता है अतः हिन्दू समाज को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रमुख रूप से आचार्य विजय भूषण आर्य,आचार्य गवेन्द्र शास्त्री,ईश आर्य(हिसार),स्वतंत्र कुकरेजा(करनाल),सूर्य देव आर्य (जींद),आचार्य महेन्द्र भाई, यशोवीर आर्य,आंनद प्रकाश आर्य(हापुड़),हरिओम शास्त्री (फरीदाबाद),नन्द किशोर पासवान,के के यादव,वीरेन्द्र आहुजा,ओम सपरा,देवेन्द्र भगत,पिंकी आर्य,अंजू आहुजा, दीप्ति सपरा आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आर्य समाज के कार्य को आगे बढ़ाते हुए मित्रता को मजबूत बनाने पर बल दिया।