Lucknow मलबे के नीचे दिखा एक खौफनाक मंजर

लखनऊ। लखनऊ में इमरात गिरने से हुए हादसा के बाद भगदड़ मच गई। धुआं, धुंध कम हुआ तो खौफनाक मंजर दिखा।

Lucknow मलबे के नीचे दिखा एक खौफनाक मंजर

मलबे के अंदर से सुनाई दे रही थीं चीखें, धुआं-धुंध कम हुआ तो दिखा डरावना मंजर; मसीहा बने लोग

लखनऊ में इमरात गिरने से हुए हादसा के बाद भगदड़ मच गई। धुआं, धुंध कम हुआ तो खौफनाक मंजर दिखा। मलबे में दबे लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं। तभी आसपास मौजूद कई लोग वहां पहुंचे। पुलिस के पहुंचने से पहले ही पांच-छह लोगों को बाहर निकाल उनकी जान बचाई। जान बचाने वाले ये शख्स किसी मसीहा से कम नहीं थे। इसमें कई लोग शामिल थे। हालांकि, रविवार को घटनास्थल पर दो लोग मिले, जिन्होंने हादसे के बारे में बताने के साथ लोगों को बचाने की कहानी बयां की।

संतकबीरनगर के रहने वाले कलाम पास के एक गोदाम में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि हादसे के वक्त वह करीब एक किमी की दूरी पर किसी काम से गए थे। इसी बीच उनके स्टाफ ने फोन कर उन्हें सूचना दी तो वह तुरंत मौके पर पहुंचे। अपने एक दो साथियों के साथ मिलकर बिल्डिंग में शुरुआती एरिया में जो लोग फंसे थे, उनको निकालने का प्रयास करने लगे। कुछ ही देर में चार लोगों को बाहर निकाल लिया। जब पुलिस व मेडिकल टीम पहुंची तो चारों को अस्पताल भेजा गया।

संडीला निवासी आरिफ दवा के गोदाम में काम करते हैं। हादसे के बाद वह भी तत्काल मौके पर पहुंचे थे। आरिफ के मुताबिक, मलबे के भीतर से कई लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं। उन्होंने अपने साथियों की मदद से दो लोगों को बाहर निकाल लिया था। इसके बाद भी कई लोगों की आवाजें सुनाई दे रही थीं, लेकिन मलबा अधिक होने के कारण सभी बेबस थे। आरिफ ने कहा कि उस वक्त ऐसा लग रहा था कि किसी तरह सभी को बाहर निकाल लूं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

पुलिस को सूचना मिलने के साथ ही दमकल की टीम को भी जानकारी हुई थी। चीफ फायर ऑफिसर मंगेश कुमार टीम के साथ घटनास्थल पहुंचे थे। कुछ ही मिनटों में एक-एक कर सात लोगों को जिंदा बाहर निकाल लिया था। अगर वक्त पर इन लोगों को न निकाला जाता तो जान जा सकती थी। इसी तरह आगे पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ न अन्य लोगों को निकाला था। दमकल के रेस्क्यू संबंधी कई वीडियो भी सामने आए हैं।

आपको बता दें कि पिछले साल हुए अलाया अपार्टमेंट हादसे के बाद एलडीए चेत जाता तो शनिवार को हुआ ट्रांसपोर्टनगर हादसा टल सकता था। अलाया हादसे के बाद पूरे शहर में कॉमर्शियल बिल्डिंग और अपार्टमेंटों का सेफ्टी ऑडिट कराने का आदेश हुआ था। इसके बाद एलडीए बोर्ड से प्रस्ताव भी पास हुआ, लेकिन यह कवायद कागजी भर रही। अब एक और हादसा होने के बाद एलडीए ने सुरक्षा के लिए बिल्डिंगों की स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग जांच कराने की बात कही है। रविवार को ट्रांसपोर्ट नगर में इसी आधार पर एक बिल्डिंग को सील भी किया गया है। इसीलिए जब बिल्डर ने भूतल पर एक अतिरिक्त निर्माण के लिए ड्रिलिंग मशीन से फर्श और एक पिलर के हिस्से को तोड़वाया तो बेस को नुकसान पहुंचा और अपार्टमेंट ढह गया था। उस समय मंडलायुक्त रोशन जैकब ने सभी अपार्टमेंटों व कॉमर्शियल बिल्डिंगों का सेफ्टी ऑडिट कराने का आदेश दिया था। इसके बाद एलडीए बोर्ड में प्रस्ताव भी पास हुआ, लेकिन हुआ कुछ नहीं। सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव पास कर शासन भेज दिया गया, लेकिन वहां से कोई आदेश नहीं आया।

तब एलडीए बोर्ड बैठक में पास हुए प्रस्ताव के तहत पंजीकृत आर्किटेक्ट का एक पैनल बनाया जाना था, जिनसे अपार्टमेंट व कॉमर्शियल बिल्डिंगों की जांच कराई जानी थी, ताकि पता चले कि स्वीकृत मानचित्र के अनुरूप निर्माण है कि नहीं। बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल डिजाइन सही है कि नहीं। बिल्डिंग का उपयोग उसकी क्षमता के अनुरूप हो रहा है या उससे अधिक। बिल्डर ने निर्माण सामग्री की जो गुणवत्ता बताई गई है, उसी हिसाब से निर्माण हुआ है या नहीं। सरिया, सीमेंट, गिट्टी, मौरंग आदि का प्रयोग सही अनुपात में है या नहीं। ऐसे में सेफ्टी ऑडिट पर अमल होता तो ट्रांसपोर्टनगर की बिल्डिंग के कमजोर होने का मामला भी सामने आता। पता चलता कि जितनी क्षमता की बिल्डिंग बनाई गई है, उसमें उससे कई गुना अधिक वजन रखा गया है।

शनिवार को ट्रांसपोर्ट नगर में बिल्डिंग ढहने के बाद रविवार को पास वाली जो बिल्डिंग एलडीए ने सील की है, उसे लेकर कहा जा रहा है कि बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की जांच कराई जाएगी। नोटिस में लिखा गया है कि बगल वाली बिल्डिंग ढहने के कारण इस बिल्डिंग के भी स्ट्रक्चर को नुकसान जरूर पहुंचा होगा। ऐसे में स्ट्रक्चर की जांच जरूरी है। जब तक जांच नहीं होगी, बिल्डिंग सील रहेगी। 

आपको बता दें कि लखनऊ के ट्रांसपोर्टनगर में शनिवार शाम बारिश के दौरान शहीद पथ किनारे स्थित एक तीन मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई। हादसे में एक कारोबारी समेत आठ लोगों की मौत हो गई, जबकि मलबे में दबे 24 लोगों को निकालकर राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें तीन लोगों की हालत गंभीर है, जिनका ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है। मलबे में अभी कई और लोगों के दबे होने की आशंका है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, दमकल और पुलिस की टीमें राहत-बचाव कार्य में देर रात तक जुटी रहीं। आशियाना निवासी राकेश सिंघल का हरमिलाप (ग्राउंड प्लस 2) टावर था। टावर के ग्राउंड फ्लोर पर आशियाना निवासी जसमीत साहनी का मोबिल ऑयल और दूसरी मंजिल पर दवा का गोदाम था।

पहली मंजिल पर मनचंदा का गिफ्ट सेंटर का गोदाम था। शनिवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे तेज बारिश शुरू हुई। आधे घंटे बाद अचानक पूरी बिल्डिंग ढह गई। इससे आसपास भगदड़ मच गई। सबसे पहले पुलिस मौके पर पहुंची। इसके बाद दमकल, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पहुंचीं और राहत-बचाव शुरू किया। एक-एक कर 32 लोगों को निकाला गया। इसमें से कारोबारी जसमीत सिंह साहनी (45), पंकज तिवारी (40), धीरेंद्र गुप्ता उर्फ धीरज (48), अरुण सोनकर (28), राजकिशोर (27) और राकेश कुमार (32), जगरूप (24) और इंजीनियर रूद्र यादव (25) की मौत हो गई। घायलों का इलाज जारी है।

टावर का करीब 90 फीसदी हिस्सा जमींदोज हुआ है। एक हिस्सा अब भी खड़ा है। जिसका छज्जा और सीढ़ी दायीं तरफ लटक रबी है। इससे रेस्क्यू करने में भी खतरा है। एहतियात बरतते हुए रेस्क्यू टीमें मलबा हटाकर लोगों को निकालने में जुटी रहीं। बिल्डिंग ढहने के पीछे क्या वजह रही फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सका। एलडीए के उपसचिव अतुल कृष्ण सिंह ने बताया कि भवन में बेसमेंट नहीं है। न ही बेसमेंट को लेकर किसी प्रकार की खोदाई या अन्य कार्य हो रहा था। बिल्डिंग के नक्शे की भी जांच की गई। नक्शा 31 अगस्त, 2010 को कुमकुम सिंघल द्वारा पास करवाया गया था।

बिल्डिंग में नक्शे के अनुसार ही काम हुआ था। वहीं, सूत्रों का कहना है कि लोडिंग व अनलोडिंग के दौरान ट्रक पिलर से टकराया जिससे वह ढह गई।

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