अनुवांशिक दिव्यांगता की बीमारियों के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाएं

नोएडाः समाज का हर व्यक्ति जब तक दिव्यांगता को कमजोरी की बजाय एक विशेषता के रूप में देखना शुरू नहीं करते, तब तक वास्तविक समावेशिता संभव नहीं है।

अनुवांशिक दिव्यांगता की बीमारियों के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाएं

अनुवांशिक दिव्यांगता की बीमारियों के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाएं

नोएडाः समाज का हर व्यक्ति जब तक दिव्यांगता को कमजोरी की बजाय एक विशेषता के रूप में देखना शुरू नहीं करते, तब तक वास्तविक समावेशिता संभव नहीं है। पोलियो, खसरा, मम्प्स, रूबेला जैसी बीमारियों के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाएं।

फेलिक्स अस्पताल की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. रश्मि गुप्ता (बाल रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का उद्देश्य केवल एक दिन की जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिव्यांग व्यक्तियों को उनके अधिकारों और अवसरों के प्रति सचेत करता है। हर साल 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में इस दिन को आधिकारिक रूप से मान्यता दी, ताकि दिव्यांग जनों के अधिकारों को बढ़ावा दिया जा सके और उनके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में योगदान सुनिश्चित हो सके। दिव्यांगता किसी भी प्रकार के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी विकास में कमी का परिणाम हो सकती है।

यह जन्मजात हो सकती है या जीवन के किसी भी चरण में हो सकती है। दिव्यांगता का मुख्य कारण जन्मजात है। जिसमें अनुवांशिक दोष, गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी, माँ के स्वास्थ्य में गड़बड़ी शामिल है। इसके अलावा दुर्घटनाएं और बीमारियां भी इसका कारण है। इसमें सड़क दुर्घटनाएं, मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की चोटें शामिल है। इसके अलावा वृद्धावस्था और मानसिक समस्याएं भी इसका कारण है। उम्र बढ़ने के कारण अंगों की क्षमता में कमी आती है। डिप्रेशन, स्ट्रेस और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी कारण बनती है। पर्यावरणीय कारणों  प्रदूषण और रेडिएशन शामिल है।

अंगों का असामान्य विकास, हड्डियों या मांसपेशियों में कमजोरी, सीखने में कठिनाई, स्मरणशक्ति की कमी, दृष्टिहीनता, सुनने में असमर्थता, आत्मविश्वास की कमी, संवाद में कठिनाई दिव्यांगता के लक्षण है। दिव्यांगता का पूरी तरह से निवारण संभव नहीं है, लेकिन सही जानकारी और प्रयासों से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच, बच्चों का समय पर टीकाकरण जरूरी है। सड़क और कार्यस्थल पर सुरक्षा के नियमों का पालन करें। खेल या किसी अन्य गतिविधि के दौरान सावधानी बरतें।

संतुलित आहार से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। कृत्रिम अंग, व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र और ब्रेल तकनीक जैसी सहायक उपकरणों का उपयोग करें। 

फिजियोथेरेपी, योग और विशेष शिक्षा की मदद ले।  दिव्यांगता से प्रभावित व्यक्ति समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी क्षमताओं और योगदान को पहचानने की आवश्यकता है। समाज को दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में समावेशी शिक्षा का प्रोत्साहन मिलना चाहिए। 

दिव्यांगता के लक्षणः

किसी अंग का आंशिक या पूर्ण रूप से काम न करना।
चलने, उठने-बैठने, या सामान्य शारीरिक गतिविधियों में कठिनाई।
हाथ-पैरों में कमजोरी या कंपकंपी।
अंगों का असामान्य विकास (जैसे पोलियो के कारण पतले पैर)।
सीखने और समझने में कठिनाई।
संवाद करने की क्षमता में कमी।
स्मरण शक्ति कमजोर होना।
धुंधला दिखाई देना या रंग पहचानने में समस्या।
नजदीक या दूर की वस्तुओं को देखने में कठिनाई।
धीमी या साफ आवाज में सुनने में कठिनाई।
कानों में तेज आवाज या गूंज का अनुभव।

दिव्यांगता से बचावः

नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
संतुलित और पोषक आहार लें।
संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता बनाए रखें।
धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों से बचें।
डॉक्टर की सलाह से जरूरी विटामिन और सप्लीमेंट लें।
गर्भावस्था के दौरान बीमारियों का समय पर इलाज कराएं।
पोलियो, खसरा, मम्प्स, रूबेला जैसी बीमारियों के खिलाफ समय पर टीकाकरण करवाएं।
नवजात शिशु की समय पर और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
किसी भी शारीरिक या मानसिक समस्या के संकेत पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें।
हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करें।
कार्यस्थल पर सुरक्षा के सभी उपाय अपनाएं।
बच्चों को जोखिम भरी गतिविधियों से दूर रखें।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों को संतुलित आहार दें।
कैल्शियम, आयरन और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करें।
एनीमिया और कुपोषण से बचाव के लिए पौष्टिक भोजन करें।
विवाह से पहले और गर्भधारण से पहले आनुवांशिक परामर्श लें।
जन्मजात बीमारियों का समय पर पता लगाने के लिए प्रीनेटल टेस्ट करवाएं।