श्रीकृष्ण कृपा धाम का त्रिदिवसीय शरदोत्सव धूमधाम से संपन्न

वृन्दावन के परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय (14 से 16 अक्टूबर 2024 पर्यन्त) दिव्य व भव्य शरदोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।

श्रीकृष्ण कृपा धाम का त्रिदिवसीय शरदोत्सव धूमधाम से संपन्न

श्रीकृष्ण कृपा धाम का त्रिदिवसीय शरदोत्सव धूमधाम से संपन्न

वृन्दावन के परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय (14 से 16 अक्टूबर 2024 पर्यन्त) दिव्य व भव्य शरदोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।महोत्सव का शुभारंभ अनेक प्रख्यात संतों व विद्वानों ने श्रीराधाकृष्ण के चित्रपट के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्ज्वलित करके एवं पुष्प अर्पित करके किया।साथ ही ठाकुर श्रीकृष्ण कृपा बिहारी महाराज का भव्य श्रृंगार किया गया।साथ ही उनको 56 भोग लगाए गए।महोत्सव के अंतर्गत आयोजित वृहद संत सम्मेलन में श्रीकृष्ण कृपा धाम के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा शीत ऋतु का विशिष्ट पर्व है।शरद पूर्णिमा का चंद्रमा और उसकी उज्ज्वल चंद्रिका सभी को माधुर्य व आनंद की अनुभूति कराती है। शरद पूर्णिमा की दिव्य व भव्य रात्रि के चंद्रमा की चांदनी में अमृत समाहित होकर पृथ्वी पर बरसता है।


महामंडलेश्वर कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर श्रीधाम वृन्दावन के वंशीवट पर हुआ महारास धर्म व अध्यात्म जगत का एक प्रमुख आख्यान है। वस्तुत: परमात्मा व जीवात्मा का मधुर मिलन ही महारास है। क्योंकि यह गोपियों द्वारा अपने मोक्ष की कामना से किया गया था।जगद्गुरू शंकराचार्य भानुपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज न केवल धर्म व अध्यात्म जगत की अपितु समाजसेवा की भी एक बहुमूल्य निधि हैं। जिनके द्वारा समूचे विश्व में गीता जी के प्रचार के साथ-साथ समाजसेवा के भी विभिन्न सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं।


अखंडानंद आश्रम के महंत स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज एवं संत स्वामी गिरिशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा ग्रीष्म ऋतु से शरद ऋतु में प्रवेश का द्वार है।इसे भक्ति व प्रेम के रस का सागर भी माना गया है।शरद पूर्णिमा कन्हैया की वंशी का प्रेम नाद एवं जीवात्मा व परमात्मा के रास रस के आनंद का केंद्र है।इसीलिए इसे लोक कथाओं से लेकर शास्त्रों तक में शुभ व मंगलकारी बताया गया है।श्रीनाभा पीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं सुग्रीवकिला पीठाधीश्वर अयोध्या/वृन्दावन श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी विश्वेशप्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर "गीता ज्ञान संस्थानम्" की स्थापना करके एक ऐतिहासिक कार्य किया है।

जिसके माध्यम से श्रीमद्भगवद्गीता का प्रचार-प्रसार समूचे विश्व में हो रहा है।जिससे असंख्य व्यक्ति लाभान्वित होकर कृष्ण भक्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद महाराज (पंजाब) एवं चतु: संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा जीवन को एक नई प्रेरणा देने के साथ-साथ जीवन के उत्थान का आधार और उसे सही दिशा दिखाने का माध्यम भी है।इसीलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।


श्रीकृष्ण कृपा संजीवनी मासिक पत्रिका के संपादक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि शरद पूर्णिमा शीत ऋतु का उद्घोषक पर्व है।इस तिथि को चंद्रमा से झरने वाली अमृतमयी किरणें समूची प्रकृति को आलोकित करती हैं।इससे न केवल प्रकृति अपितु हम सभी का मन भी प्रफुल्लित व पुलकित हो जाता हैसेवा मंगलम् के अध्यक्ष स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज एवं प्रख्यात भागवताचार्य श्रीराम मुद्गल महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा की महिमा इतनी अधिक है कि इस तिथि को देवराज इंद्र तक ने मां महालक्ष्मी की स्तुति की थी।क्योंकि महालक्ष्मी धन के अतिरिक्त यश, उन्नति, सौभाग्य व सौंदर्य आदि की भी देवी हैं।


गौसेवी संत कृष्णानंद महाराज "भूरी वाले" एवं महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशानन्द महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा जितनी पावन व पुनीत किसी भी ऋतु की कोई रात्रि नहीं है।शरद पूर्णिमा महालक्ष्मी का भी पर्व है।ऐसी मान्यता है कि धन संपति की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।अत: यह लक्ष्मी पूजा का भी पर्व है।आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर मारूतिनंदनाचार्य वागीश महाराज एवं आचार्य नेत्रपाल शास्त्री ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन भगवान श्रीकृष्ण व श्रीराधा रानी की लीला स्थली है।इस धाम की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।साथ ही परिक्रमा करने वाले भक्तों पर श्रीराधा-कृष्ण की अपार कृपा बनी रहती है।ऐसे महिमामयी  श्रीधाम वृन्दावन को साफ-सुथरा रखना हम सभी का परम् कर्तव्य व दायित्व है।


महोत्सव के अंतर्गत चले रहे त्रिदिवसीय निःशुल्क चिकित्सा शिविर में प्रख्यात आयुर्वेदिकाचार्य आचार्य मनीष व मेदांता मेडिसिटी, गुरुग्राम के चिकित्सक डॉ. अशोक सम्राट के द्वारा असंख्य रोगियों का परीक्षण करके उनका उपचार किया गया।साथ ही उन्हें निःशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई गईं।इसके अलावा देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं के द्वारा महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के पावन सानिध्य में श्रीधाम वृन्दावन की पंच कोसी परिक्रमा की गई।साथ ही सम्पूर्ण परिक्रमा मार्ग में सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश दिया गया।इससे पूर्व श्रीहनुमद् आराधन मंडल के द्वारा सुंदरकांड का संगीतमय सामूहिक पाठ किया गया।


महोत्सव में पधारे सभी महामण्डलेश्वरों, महंतों, संतो, विद्वानों आदि को गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कंबल, मिष्ठान, अंग वस्त्र, च्यवनप्राश, दक्षिणा आदि देकर सम्मानित किया।संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानन्द महाराज,महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज, पूर्व गृह सचिव मणिप्रसाद मिश्रा, स्वामी धर्मदेव महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज, संत रसिया बाबा, भागवताचार्य विपिन बापू, श्रीराम कथा मर्मज्ञ अशोक व्यास डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, महंत ब्रजबिहारी दास, संत सेवानंद ब्रह्मचारी, बाबा भूपेंद्र सिंह (पटियाला), एडवोकेट महेन्द्र प्रताप सिंह, आचार्य बद्रीश महाराज, सौरभ गौड़, संगीतज्ञ स्वामी देवकीनंदन शर्मा, ध्रुव शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य रमाकांत शास्त्री, बालशुक पुंडरीक कृष्ण महाराज,आचार्य केशव कृष्णदेव महाराज, भजन गायक चंदन महाराज, अनूप देव (जबलपुर),  मुकेश मोहन शास्त्री, आचार्य बुद्धिप्रकाश महाराज,

रासाचार्य स्वामी भुवनेश्वर वशिष्ठ, युवराज श्रीधराचार्य महाराज, ईश्वरचंद्र रावत, संत रासबिहारी दास, डॉ. संजय श्रीवास्तव, अशोक चावला, शक्तिस्वरूप ब्रह्मचारी, वासुदेव शरण, गोविंद ब्रह्मचारी महाराज, मोहन गोयल, सुदर्शन अग्रवाल आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति विशेष रही।संचालन सुरेश गोयल ने किया।शरदोत्सव के तीनों दिन सुमधुर भजन संध्या का भव्य आयोजन भी संपन्न हुआ।

जिसमें प्रख्यात भजन गायक बाबा चित्र-विचित्र महाराज, महावीर शर्मा एवं रतन रसिक आदि ने अपनी मधुर वाणी के द्वारा श्रीराधा-कृष्ण की महिमा से ओत-प्रोत भजनों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया।इसके अलावा संत,ब्रजवासी, वैष्णव सेवा और वृहद भंडारा चला। जिसमें हजारों लोगों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।