नोएडा में इस साल सबसे ज्यादा प्रदूषण जांच केंद्र खुले

नोएडा-ग्रेनो में साल दर साल प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इससे शहर के लोगों के लिए वाहनों की प्रदूषण जांच कराना आसान हो गया है।

नोएडा में इस साल सबसे ज्यादा प्रदूषण जांच केंद्र खुले

नोएडा-ग्रेनो में साल दर साल प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या में तेजी से
इजाफा हो रहा है। इससे शहर के लोगों के लिए वाहनों की प्रदूषण जांच कराना आसान हो गया है।

संख्या बढ़ने से अब प्रदूषण जांच केंद्रों पर वाहनों की कतार नहीं लगती। परिवहन विभाग से मिली
जानकारी के अनुसार जिले में वर्ष 2019 में 18 नए प्रदूषण जांच केंद्र खोले गए थे। वर्ष 2020 में यह
संख्या 19 रही। इसके बाद वर्ष 2021 में 16 जांच केंद्र खुले। वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़कर 22 हो
गई थी। इस साल अब तक 25 नए प्रदूषण जांच केंद्र खुल चुके हैं।


इस संबंध में एआरटीओ प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा ने बताया कि जिले में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या125 हो गई है। इसमें सभी तरह के वाहनों के प्रदूषण की जांच करने वाले केंद्र शामिल हैं। उन्होंने कहाकि प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़ने से वाहन मालिकों को काफी राहत मिली है। पहले इन केंद्रों परलंबी लाइन लगती थी। प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़ने से अब लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करनपड़ता।उन्होंने बताया कि अब सिर्फ पांच मिनट में वाहन की प्रदूषण जांच हो जाती है।


जांच शुल्क सूची केंद्र के बाहर लगानी अनिवार्य : एआरटीओ प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा ने कहा कि
प्रदूषण जांच केंद्र के बाहर जांच शुल्क की सूची लगाना अनिवार्य है। इसमें जीएसटी का उल्लेख भी जरूरी
है। यदि प्रदूषण जांच केंद्र का मालिक सूची नहीं लगाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
करीब एक साल पहले लोगों की शिकायत थी कि जांच केंद्र मालिक निर्धारित से अधिक शुल्क वसूलते हैं।
इसके बाद सूची अनिवार्य की गई थी। परिवहन विभाग की टीम प्रदूषण जांच केंद्रों की समय-समय पर
जांच करती है और इस बात की पुष्टि करती है कि सूची लगी है या नहीं। सूची नहीं लगी होने पर
लाइसेंस निरस्त करने का अनुमोदन किया जा सकता है। इसके अलावा केंद्रों अन्य मानकों की जांच भी
की जाती है।


ऑनलाइन होता है आवेदन : परिवहन विभाग के अधिकारियों अनुसार प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए
ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था है। आवेदन के बाद संबंधित टीम इसकी जांच करती है और सभी मानक
दुरुस्त मिलने पर लाइसेंस के लिए संस्तुति की जाती है। लाइसेंस जारी होने के बाद व्यक्ति प्रदूषण जांच
केंद्र को खोल सकता है।


दस हजार रुपये है जुर्माना : एआरटीओ प्रशासन डॉ.सियाराम वर्मा ने कहा कि प्रदूषण जांच न होने पर
वाहनों पर दस हजार रुपये जुर्माना किया जाता है। उन्होंने कहा कि वाहन चालक बिना प्रदूषण जांच
गाड़ी न चलाएं, इसके लिए जुर्माना राशि बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन टीम को जांच अभियान
के दौरान कई ऐसे वाहन मिलते हैं, जिनकी प्रदूषण जांच नहीं होती है। ऐसे में उन पर जुर्माना लगाया
जाता है। कुछ वाहन मालिकों का तर्क होता है कि वे प्रदूषण जांच कराने निकले थे लेकिन उनका चालान
कर दिया गया।