भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता

गाजियाबाद। आज सावन की शिवरात्रि के पावन मौके पर गाजियाबाद के दूधेश्वरनाथ मंदिर में रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई है।

भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता

भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, इसलिए उमड़ता है भक्तों का सैलाब

गाजियाबाद। आज सावन की शिवरात्रि के पावन मौके पर गाजियाबाद के दूधेश्वरनाथ मंदिर में रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई है। जल शुक्रवार सुबह 3ः30 बजे से चढ़ना शुरू हुआ है। महंत नारायण गिरी के मुताबिक सुबह 10ः00 बजे तक अब तक दस लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर चुके हैं। प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की काफी मान्यता है। जिसके चलते देश भर से यहां श्रद्धालु आते हैं।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर में दर्शन करने में करीब तीन से चार घंटे का समय लग रहा है। दरअसल मंदिर के बाहर लंबी कतारें हैं। ऐसे में भक्तों को तीन से चार घंटे तक कतारों में खड़े रहना पड़ रहा है। भक्तों का कहना है कि समय कब बीत रहा है इसका एहसास नहीं हो रहा हम तो बस भगवान दूधेश्वर के दर्शन करने की प्रतीक्षा में खड़े हुए हैं।

लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन शिवरात्रि पर दूधेश्वर नाथ मंदिर पहुंचते हैं। ऐसे में पुलिस, प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष तैयारी की जाती है ताकि मंदिर में आने वाले किसी भी भक्त को परेशानी ना हो और आसानी से दर्शन हो सके। सावन शिवरात्रि को लेकर मंदिर के आसपास रूट डायवर्ट किया गया है। भारी पुलिस फोर्स की तैनाती है। साथ ही सिविल डिफेंस और मंदिर समिति के वॉलिंटियर्स भी तैनात हैं।

दरअसल, मंदिर की स्थापना रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा ने की थी। मान्यता है कि रावण ने अपना दसवां शीश भगवान शिव के चरणों में अर्पित किया था। बताया जाता है कि प्राचीन काल में मंदिर के स्थान पर टीला हुआ करता था, जहां पर गाय आकर स्वयं दूध दिया करती थी। इस स्थान पर भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं। मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है। यही वजह है कि सावन शिवरात्रि पर प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में श्रद्धालुओं का जलसलाब उमड़ता है। प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी बताते हैं वेद पुराणों में भी प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर का वर्णन है। प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा-अर्चना की थी। इतना ही नहीं, रावण ने अपना 10वां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था।

मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि कांवड़ियों को कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए महापौर सुनीता दयाल, नगरायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक से लेकर जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्र ना सिर्फ मंदिर का निरीक्षण कर चुके हैं,

बल्कि सभी व्यवस्थाओं पर नजर भी रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस बार की व्यवस्था इतनी अच्छी है कि बिना किसी परेशानी व बाधा के जलाभिषेक हो रहा है।