मीडिया में छाए रहे अतीक अहमद
सोमवार को मीडिया के सभी चैनलों में गैंगस्टर अतीक अहमद छाए रहे। साबरमती जेल से अतीक को नैनी जेल पहुंचाया गया है।
सोमवार को मीडिया के सभी चैनलों में गैंगस्टर अतीक अहमद छाए रहे। साबरमती जेल से अतीक
को नैनी जेल पहुंचाया गया है।
सरकार ने करोड़ों रुपए अतीक अहमद को साबरमती जेल से नैनी
जेल में पहुंचाने में खर्च कर दिए।
सभी चैनल लाइव रिपोर्टिंग करते रहे ऐसा लग रहा था, कि भारत
में अतीक अहमद से बड़ी कोई घटना नहीं है. छोटे बड़े सभी इलेक्ट्रॉनिक चैनल में पल-पल की खबरें
अतीक अहमद को लेकर प्रचारित की जा रही थी। गेंगस्टर अतीक अहमद का ईवेन्ट शो को लेकर
जनसामान्य में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया देखी गई।
सोमवार को राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही दो बार बिना किसी कामकाज के तुरंत स्थगित
कर दी गई। विपक्षी सदस्य काली पोशाक पहनकर सदन के अंदर पहुंचे थे। विपक्ष जेपीसी गठित
करने की मांग कर रहा था। सदन स्थगित होने के बाद संपूर्ण विपक्ष जब सड़कों पर विरोध प्रदर्शन
कर रहा था। जगह-जगह राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त किए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे
थे। उसकी खबर पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से गायब हो गई। जिस तरह से अतीक अहमद को
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में लाने की लाइव कवरेज होती रही। उससे आम जनता का कौतूहल इस बात
पर बना रहा, कि अतीक अहमद का कद इतना बड़ा हो गया। उसके सामने संसद भी छोटी हो गई
है। साबरमती जेल से यदि स्पेशल प्लेन से भी अतीक अहमद को प्रयागराज लाकर नैनी जेल भेजा
जाता, तो मुश्किल से 5 से 10 लाख रूपये सरकार के खर्च होते। लेकिन सरकार ने अतीक को
प्रयागराज लाने में करोड़ों रुपए क्यों खर्च किए। यह लोगों की समझ में नहीं आ रहा है। 42
सुरक्षाकर्मी अतीक अहमद को सुरक्षित रूप से लाने के लिए पिछले 3 दिन से लगे हुए थे। इसमें
आईपीएस अधिकारी और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी थे। दर्जनों गाड़ियों का काफिला अतीक
अहमद के आगे पीछे चल रहा था। ऐसा लग रहा था, कि किसी वीवीआईपी का कोई रोड शो चल रहा
है। अतीक के इस ईवेन्ट को देखकर छोटे-मोटे अपराधी भी अतीक बनने का सपना देख रहे होंगे।
सही है सरकार की, जिस पर कृपा हो जाए। वह रंक से राजा बन जाता है। अतीक अहमद को जिस
तरह से सरकार ने हीरो की तरह बनाकर पेश किया है। आगे चलकर यह और बड़ा गैंगस्टर बनकर
बाहर निकलेगा। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है, कि विपक्ष के प्रदर्शन को मीडिया में नहीं
दिखाने का फरमान सत्तापक्ष की ओर से जारी किया गया था। दिन भर सभी चैनलों को अतीक
अहमद के लाइव कवरेज को उपलब्ध कराया गया। उसके बारे में पूरी लिखी लिखाई स्क्रिप्ट सभी
चैनलों में चलती रही। विपक्ष जरूर मीडिया से गायब रहा। संसद की कार्यवाही सदनों में 1 मिनट भी
नहीं चली। विपक्ष बारे में किसी भी चैनल ने कोई उल्लेख और डिबेट नहीं की। सोमवार को सभी
विपक्षी दलों ने एकजुट होकर जेपीसी गठित करने की मांग की थी। सैकड़ों सांसदों ने सड़क पर
प्रदर्शन किया। राहुल गांधी को घर खाली करने का नोटिस दिया गया। राहुल गांधी ने अभी तक सूरत
कोर्ट से सुनाई गई सजा को, स्थगित करने के लिए किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की। राहुल
गांधी ने संसद से सदस्यता समाप्त करने के खिलाफ भी कोई याचिका हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में
दायर नहीं की। कई और भी कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई। लेकिन चैनल केवल अतीक अहमद के ही
गुण गाता रहा। जन सामान्य के बीच में इसकी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया हुई है। जनता अब यह कहने
लगी है, कि एक अपराधी को लाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए साबरमती से नैनी जेल तक
पहुंचाने में खर्च कर दिए। इसके पीछे सरकार का कोई बड़ा कारण रहा होगा, तब सरकार ने यह
किया है। अन्यथा उसे अहमदाबाद से प्रयागराज हवाई जहाज से लाकर कोर्ट में पेश किया जा सकता
था। जनता के टैक्स को सरकार किस तरह खर्च करती है। इसका बड़ा उदाहरण है।