हंस- हंसनी को बकरी की बात याद आई और अहसान करने के लिए चूहे के प्राण बचाए

हंस- हंसनी को बकरी की बात याद आई और अहसान करने के लिए चूहे के प्राण बचाए

एक बार की बात है कि एक शेरनी अपने बच्चे को जन्म देने के बाद ख़त्म हो गई,बच्चा झाड़ी में भूखा था प्राण-पखेरू उड़ने वाले थे।तभी एक बकरी आई और भूखे बच्चे को देख उससे रहा नहीं गया उसने उसे अपना दूध पिलाया और उसके प्राण बचाए।तभी कहीं से शेर आ गया और बकरी को देखते ही दहाड़ मारी। शेर के बच्चे ने अपने पिता को शारी दास्तां बयां की। शेर ने बकरी को चरने के लिए जंगल की सीमा तय कर दी। जल्दी ही बकरी का मुंह जहां तक जा सकता था वहां तक के सारे पत्ते चट कर गई और उसके बाद भूखी रहने लगी और कमजोर हो गई। शेर ने कमजोरी का कारण पूछा तो शारा हाल बयां किया। शेर बकरी को अपनी पीठ पर बिठा कर चराने लगा एक दिन हंस-ह़सनी ऊपर से उड़कर जा रहे थे तो सारा नज़ारा देख शेर का मज़ाक उड़ाकर हंसने लगे।तभी बकरी ने कहा किसी के ऊपर अहसान करना सीखो।और सारी आप बीती सुनाई।हंस- हंसनी शर्मिंदा होकर चले गए। एक दिन हंस-ह़सनी ने देखा कि एक चूहा पानी में बहता हुआ जा रहा है । हंस- हंसनी को बकरी की बात याद आई और अहसान करने के लिए चूहे के प्राण बचाए और बाहर निकल दिया।चूहा ठंड में आ गया था तो हंस ने उसे अपने पंख के अंदर दबा लिया गर्मी देने के लिए। जैसे ही चूहे को गर्मी पाकर होस आया तो उसनेे अपना काम करना शुरू कर दिया।और हंस के सारे पर कतर दिए।जब तक हंस को पता चलता तब तक सारा काम हो गया चुका था।बाद में एक कुत्ता वहां आया और हंस से उड़ा नहीं गया तो कुत्ते ने उसकी गर्दन तोड़ कर मार डाला।हंसनी जाकर बकरी से उसकी दी हुई शिक्षा के कारण उसका साथी मारा गया इसलिए बकरी को श्राप देने लगी और सारी कहानी सुनाई।तब बकरी ने कहा एहसान भी देखकर किया जाता है।दाना दुश्मन, नादान दोस्ती । बकरी ने शेर पर एहसान किया और हंस- हंसनी ने चूहे पर।
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मास्टर श्यौराज सिंह भाटी राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति की तरफ से जनहित में जारी।