वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन: डिजिटल संसाधनों से शिक्षा की नई दिशा

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) ने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात किया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और अकादमिक संसाधनों को सभी के लिए सुलभ बनाना है,

वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन: डिजिटल संसाधनों से शिक्षा की नई दिशा

वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन: डिजिटल संसाधनों से शिक्षा की नई दिशा

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) ने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात किया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और अकादमिक संसाधनों को सभी के लिए सुलभ बनाना है, ताकि उच्च शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ी असमानताओं को समाप्त किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 2022 में घोषित यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना ज्ञान आधारित समाज के निर्माण पर केंद्रित है, जिसमें देश के सभी शैक्षणिक और शोध संस्थानों को विश्वस्तरीय सामग्री तक समान पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जो 2025 से 2027 तक लागू रहेगा।

इस राशि का उपयोग अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं, शैक्षणिक संसाधनों और अन्य सामग्री की सदस्यता हेतु किया जाएगा। यह कदम छोटे और ग्रामीण क्षेत्रों के संस्थानों के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाएगा। इसके माध्यम से उन छात्रों और शोधकर्ताओं को समान अवसर मिलेंगे, जिनके पास पहले महंगे संसाधनों तक पहुंच नहीं थी। इस योजना का उद्देश्य शिक्षा और अनुसंधान में समावेशिता को बढ़ावा देना और भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाना है।

वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजना कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है। सबसे पहले, यह सभी शैक्षणिक और शोध संस्थानों को समान रूप से अनुसंधान सामग्री और शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराएगी, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई कोयह पहल भारत में स्टार्टअप्स और नवाचारों को नई ऊर्जा और दिशा देने की क्षमता रखती है। डिजिटल माध्यम से शैक्षणिक सामग्री की उपलब्धता इस योजना का एक और प्रमुख पहलू है, जो शिक्षा को न केवल अधिक सुलभ बनाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है। डिजिटल संसाधनों के उपयोग से विद्यार्थियों की कागजी किताबों और भौतिक संसाधनों पर निर्भरता घटेगी, जो शिक्षा और पर्यावरण के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसके साथ ही, यह योजना डिजिटल इंडिया अभियान के उद्देश्यों के साथ मेल खाती है और देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

हालांकि, हर नई पहल की तरह, कम किया जा सकेगा। यह योजना अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं और प्रकाशनों को सस्ती दरों पर सुलभ बनाकर शोध की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी। इसके अतिरिक्त, योजना नवाचार को प्रोत्साहित करने में सहायक होगी, क्योंकि शोधकर्ताओं को नवीनतम वैश्विक शोध तक पहुंच प्रदान की जाएगी।

 वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजना को भी कुछ आलोचनाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी आलोचना इसकी उच्च लागत को लेकर है। 6,000 करोड़ रुपये का बजट काफी बड़ा माना जा रहा है, और कई विशेषज्ञों का मत है कि यह धनराशि अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च की जा सकती थी। इसके अलावा, छोटे और ग्रामीण संस्थानों में डिजिटल पहुंच की सीमाएं भी एक बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि भारत के कई हिस्सों में इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता अभी भी अपर्याप्त है। इस योजना की सफलता मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितना प्रभावी और समावेशी तरीके से लागू किया जाता है। और क्या इसके लाभ देश के सबसे दूरस्थ और वंचित हिस्सों तक पहुंच पाते हैं। आलोचकों का तर्क है कि यदि योजना को सही ढंग से क्रियान्वित नहीं किया गया, तो इसका लाभ केवल बड़े और प्रतिष्ठित संस्थानों तक ही सीमित रह सकता है। इसे रोकने के लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना का कार्यान्वयन पारदर्शी हो और इसके लाभ देश के सबसे दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों तक समान रूप से पहुंचें। केवल तभी यह योजना अपने उद्देश्य को पूर्ण कर सकेगी।

इसके बावजूद, इस योजना के समर्थकों का मानना है कि यह भारत के शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक होगी। भारतीय शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय शोध सामग्री तक आसान और सस्ती पहुंच मिलने से उनके कार्य की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय सुधार होगा। यह पहल न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए लाभदायक साबित होगी, बल्कि यह देश में स्टार्टअप्स और नवाचार के अनुकूल वातावरण को भी प्रोत्साहित करेगी। वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजना का प्रभाव शिक्षा और शोध के दायरे से आगे बढ़कर भारत के आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह योजना ज्ञान-आधारित समाज के निर्माण की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जो भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने की क्षमता रखती है।