आस्था या अंधविश्वास: लोग देवी का अवतार समझ पूजते रहे और इन्फेक्शन से मासूम की चली गई जान
विज्ञान के इस आधुनिक युग में आस्था व अंधविश्वास के बीच का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है।
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झांसी, विज्ञान के इस आधुनिक युग में आस्था व अंधविश्वास के बीच का एक
हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। गुरसरांय थाना क्षेत्र के ग्राम मंडोरी में लोग अविकसित
नवजात बच्ची को देवी का स्वरूप समझकर पूजा अर्चना और भजन कीर्तन कर उसकी पूजा करते रहे।
उसके दर्शन के लिए लोगो की भीड़ एकत्र हो गई। वही नवजात बच्ची को इंफेक्शन का समय पर उपचार
न मिलने की वजह से उसकी मौत हो गई। इसके बाद परिवार और गांव के लोगो ने नवजात के शव को
नदी में बहा दिया।
मामला गुरसराय थाना क्षेत्र के ग्राम मडोरी से सामने आया है। जहां पांच अप्रैल को एक बच्ची ने जन्म
लिया। बच्ची का जन्म स्वास्थ्य केंद्र गुरसरांय में हुआ। जन्म के बाद उस बच्ची को परिवारजन ग्राम
मडो़री ले गए।
बच्ची को देखकर लग रहा था कि यह देवी के रूप में जन्म लेकर आई है। इसके चेहरे
को देखकर आकृति एक अलग ही प्रकार की होने के चलते लोग उसे देवी मैया के रूप में प्रकट होना
मानकर बड़ी संख्या में मडो़री गुरसरांय समेत आस पास के महिला, पुरुष, बूढ़े, बच्चे, जवान सब के सब
भक्तिभाव से दर्शन के लिए उमड़ पड़े और बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन आदि गाकर उक्त बच्ची
की पूजा अर्चना की।
ग्राम मडो़री के ओमप्रकाश उर्फ कल्लन कोरी की पत्नी पूजा ने पांच अप्रैल गुरुवार को गुरसरांय अस्पताल
में अपनी दूसरी संतान के रूप में इस पुत्री को जन्म दिया था जबकि इसके पहले एक बच्ची और भी है।
बच्ची जन्म के बाद स्वस्थ होने के चलते उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई थी लेकिन अस्पताल से
जब मडो़री पहुँची तो लोगों ने उसकी आकृति देखकर उस बच्ची को आस्था और अंधविश्वास के बीच उसे
देवी के रूप में जन्म लेने पर उसकी खूब पूजा-अर्चना, भजन किये और चढ़ावा चढ़ाया गया।
उक्त संबंध में मीडिया से जुड़े लोग जब 6 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरसरांय पहुँचे और उसके
जन्म और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी की तो अस्पताल सूत्रों के मुताबिक बताया गया है कि जन्म
लेने के बाद बच्ची को इंफेक्शन हो गया था।
इसकी जानकारी देते हुए परिवारजनों से कहा गया था कि
वह तत्काल झांसी इलाज हेतु ले जाएं लेकिन बच्ची को उसके परिवार व गांव के लोग देवी समझकर उसे
झांसी न ले जाकर अपने गांव मडो़री में ही उसकी पूजा अर्चना मां के जयकारे एवं भजन गाकर आरती
करने में समय गुजार दिया।
दूसरे दिन सुबह उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसके परिवार व गांव के
लोग पूजा अर्चना करते हुए उक्त बच्ची के शव को बेतवा नदी के किनारे समीप डिकोली घाट पर उसे
पानी में बहा दिया।