निवेश करना है तो पहली प्राथमिकता सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड ही होने चाहिए

नई दिल्ली, 09 अगस्त । सोने में निवेश के लिए जब आप विकल्प टटोलते हैं तो सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) पर ध्यान जरूर जाता है। जानकार भी यही कहते हैं कि निवेश करना है

निवेश करना है तो पहली प्राथमिकता सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड ही होने चाहिए

नई दिल्ली, 09 अगस्त (सोने में निवेश के लिए जब आप विकल्प टटोलते हैं तो सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड
(एसजीबी) पर ध्यान जरूर जाता है। जानकार भी यही कहते हैं कि निवेश करना है तो पहली प्राथमिकता सॉवरिन


गोल्ड बॉन्ड ही होने चाहिए। लेकिन ये बॉन्ड सबस्क्रिप्शन के लिए हमेशा उपलब्ध नहीं होते यानी आप जब चाहें
इन्हें नहीं खरीद सकते।

चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए पहली सीरीज की बिक्री 24 जून को खत्म हो गई
थी और 28 जून को निवेशकों के लिए बॉन्ड जारी भी कर दिए गए।


अगर आपको लग रहा है कि आप अच्छा मौका चूक गए तो मायूस न हों। अभी तो सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड बिक्री के
लिए नहीं हैं मगर जल्द ही आपको इन्हें खरीदने का मौका मिलने जा रहा है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि
इस वित्त वर्ष के लिए दूसरी सीरीज 22 से 26 अगस्त के बीच खरीद के लिए आएगी।

इसके तहत बॉन्ड 30
अगस्त को जारी कर दिए जाएंगे।

लेकिन कई ऐसे निवेशक हैं जिन्हें लग रहा है कि आने वाले दिनों में सोने की कीमत शायद नहीं चढ़े। उनका यह
डर बेजा भी नहीं है

क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में सोने के दाम घटते ही दिख रहे हैं। मगर ज्यादातर जानकार मान
रहे हैं कि कीमत जल्द ही चढ़ेगी।

एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज की असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी रिसर्च)
वंदना भारती के मुताबिक अगले कुछ महीनों में सोने में कुछ तेजी आ सकती है। लेकिन निवेशकों को परेशान होने


की जरूरत नहीं है। वे द्वितीयक बाजार यानी स्टॉक एक्सचेंज पर जाकर बॉन्ड खरीद सकते हैं। चूंकि ब़ॉन्ड डीमैट
रूप में मिलते हैं, इसलिए उन्हें किसी भी समय एक्सचेंज पर बेचा जा सकता है।


द्वितीयक बाजार में बॉन्ड सोने के मौजूदा भाव से 5-10 फीसदी कम पर मिल जाएगा क्योंकि तरलता की कमी के
कारण आम तौर पर यहां दाम बाजार भाव से कुछ कम ही होते हैं। हाल ही में पेश हुई सीरीज के लिए या जिनके


परिपक्व होने में तीन साल या ज्यादा समय बचा है, उनके दाम तो कम होते ही हैं। लेकिन जिन सीरीज की
परिपक्वता करीब है, उन पर डिस्काउंट कुछ कम है।


जानकार बताते हैं कि डिस्काउंट यानी कम दाम की बड़ी वजह तो द्वितीयक बाजार में तरलता की कमी ही है मगर
कूपन रेट यानी ब्याज दर कम होना भी एक कारण है। एसजीबी पर सालाना 2.5 फीसदी कूपन रेट यानी ब्याज दर


का प्रावधान है। मगर यह ब्याज निर्गम मूल्य पर मिलता है, सोने के मौजूदा भाव पर नहीं। मान लीजिए कि 3-4
साल पहले किसी को 3,000 रुपये के निर्गम मूल्य पर गोल्ड बॉन्ड मिला तो ब्याज सोने के मौजूदा भाव यानी


करीब 5,000 रुपये प्रति ग्राम पर नहीं मिलेगा बल्कि निर्गम मूल्य पर मिलेगा। इसलिए वास्तविक प्रतिफल घटकर
1-1.5 फीसदी ही रह जाता है।


मगर केवल कम कीमत के कारण ही द्वितीयक बाजार से सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड खरीदने का फैसला न करें। अगर
आप इसे परिपक्व होने तक अपने पास रख सकते हैं तब तो वहां से बॉन्ड खरीदें। अगर आप परिपक्वता से पहले


ही बॉन्ड बेच देते हैं तो आपको भी डिस्काउंट पर यानी कम भाव पर बिक्री करनी पड़ेगी। साथ ही आपको पूंजीगत
लाभ कर भी चुकाना होगा।

ट्रेडेबल बॉन्ड खरीदने पर इस कर से छूट मिलेगी मगर उसके लिए आपको परिपक्वता
होने तक यानी 8 साल तक बॉन्ड अपने पास रखने होंगे।


स्टॉक एक्सचेंज पर सौदे के लिए उपलब्ध सॉवरिन बॉन्ड में तरलता काफी कम होती है। इसलिए अगर आप ज्यादा
संख्या में खरीदना चाहेंगे तो डिस्काउंट या तो काफी कम हो जाएगा या आपको बाजार भाव के बराबर भाव पर


बॉन्ड खरीदने होंगे। बेहतर है कि आप कम संख्या यानी कुछ यूनिट की ही खरीद करें। हां, आप सिस्टेमैटिक


इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की तर्ज पर हर सीरीज में थोड़ी-थोड़ी यूनिट खरीद सकते हैं। इससे आपको औस


प्रतिफल के सिद्धांत का फायदा मिल जाएगा।