भाव-भक्ति में लीन उत्तरभारत के ये प्रसिद्ध मंदिर

भारत उन कई देशों में से एक है जहां पूजा-पाठ की अपनी एक अलग ही महत्वेता है। हिमालय की चोटी से ले कर साउथ के कन्याोकुमारी तक मंदिर ही मंदिर बसे हुए हैं। जहां भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं को दूर दूर से खींचे लिए आते हैं।

भाव-भक्ति में लीन उत्तरभारत के ये प्रसिद्ध मंदिर

भारत उन कई देशों में से एक है जहां पूजा-पाठ की अपनी एक अलग ही महत्वेता है।

हिमालय की चोटी से ले कर
साउथ के कन्याोकुमारी तक मंदिर ही मंदिर बसे हुए हैं।

जहां भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं को दूर दूर से खींचे लिए
आते हैं।

जिसके मोह में पर्यटक हजारों की संख्या में यहां आते हैं। कोई मोक्ष प्राप्ति के लिए आता है तो कोई
भगवान के दर्शन के लिए।

तो दोस्तों आप भी तैयार हो जाइए भगवान की भक्ति में डूबने के लिए और कीजिये
उत्तर भारत के इन पांच प्रसिद्ध मंदिरों की सैर।


श्रीकृष्ण जन्मभूमि
उत्तरप्रदेश के सबसे मशहूर मंदिरों में एक है श्रीकृष्ण जन्मभूमि।

इस पावन धरती पर आज से लगभग 5 हजार
125 वर्ष पूर्व यहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जिस कारागार में कान्हा जन्मे थे वो वहां आज भी मौजूद हैं।


यहां पर्यटक देश-विदेश से आकर नटखट कान्हा के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मुख्य
मूर्ति मन मोह लेती है। यहां का वातावरण इतना पवित्र होता है कि भक्त यहां आते ही भगवान की श्रद्धा में डूब


जाते हैं। राम जन्म भूमि मंदिर अयोध्या उत्तरप्रदेश का एक छोटा सा कस्बा है। यहां ऐसी मान्यता है कि भगवान
श्री राम का जन्म यहीं हुआ था। अयोध्या भवन राम की जन्मभूमि है। यहां भगवान श्री राम को समर्पित एक


मंदिर जो राम जन्म भूमि मंदिर के नाम से प्रख्यात है। आप यहां आकर भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन कर
सकते हैं।


काशी विश्वनाथ मंदिर
यह मंदिर उत्तरप्रदेश के बनारस में स्थित है।

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी
विश्विनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्टत स्थाआन है।

ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन
करने और पवित्र गंगा में स्ना न कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।


वैष्णो देवी मंदिर
कहते हैं पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती हैं।

उसके दरबार में जो कोई सच्चे दिल से जाता है,
उसकी हर मुराद पूरी होती है।

ऐसा ही सच्चा दरबार है- माता वैष्णो देवी का। यह स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख
तीर्थ स्थल है, जहां दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर जम्मू-कश्मीर के जम्मू जिले


में कटरा नगर के समीप अवस्थित है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,
200 फीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है।

बाबा अमरनाथ गुफा
बाबा अमरनाथ की यह पवित्र गुफा भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के श्रीनगर से उत्तर-पूर्व दिशा में लगभग यानि


लगभग 3888 14500 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा लगभग 150 फीट क्षेत्र में फैली है और इसकी ऊंचाई
करीब 11 मीटर है।

अमरनाथ गुफा हिन्दुयों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस गुफा की विशेषता यह कि
यहां प्रत्येक वर्ष बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे


स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।

आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले
पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखो श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।


दुर्गियाना मंदिर
पंजाब के अमृतसर में स्थित दुर्गियाना मंदिर हिन्दुयों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।

इसका निर्माण 20वीं शताब्दी में
हरसाई मल कपूर द्वारा स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर करवाया गया था।

इस मंदिर में देवी दुर्गा की दीवार पर की गई
जटिल नक्काशी और हिंदू धर्मग्रंथों का उत्कृष्ट संकलन इस मंदिर की खासियत है।

नक्काशीयुक्त चांदी का दरवाजा
होने के कारण इसे रजत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।


ज्वाला जी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है विश्व विख्यात माता ज्वाला जी का मंदिर।

कहा जाता है कि यहां भगवती
सती की जिभ्या गिरी थी इसलिए यह स्थान 52 शक्तिपीठों में से एक है।

मान्यता है कि भगवान शिव यहां उन्मत
भैरव के रूप में स्थित हैं। यहां देवी के दर्शन ज्योति रूप में किए जाते हैं।

पर्वत की चट्टान से नौ विभिन्न स्थानों
पर बिना किसी ईंधन के ज्योति स्वतः ही जलती रहती है। य

ही कारण है कि यहां देवी को ज्वाला देवी के नाम से
जाना जाता है।


अक्षरधाम मंदिर
नई दिल्ली में स्थित प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर हिन्दुयों के तीर्थस्थल में से एक है। यह दुनिया का सबसे विशाल


हिन्दू मंदिर परिसर होने के नाते गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी दर्ज है। यह पहला मौका है जब गिनीज


बुक ने अपने विशाल धार्मिक स्थलों की सूची में किसी हिन्दू मंदिर को मान्यता प्रदान की है। इस मंदिर का मुख्य
आकर्षण इसकी विशालता है। इस मंदिर का परिसर 100 एकड़ में फैला हुआ है।