युद्ध की तपिश हमारे घरों की रसोई तक पहुंचने लगी है

भारत 70 प्रतिशत सनफ्लॉवर ऑयल यूक्रेन से और 20 प्रतिशत रूस से आयात करता है। रूस और यूक्रेन से तेल की सप्लाई में बाधा पड़ने के कारण कई देशों में तेल के दाम बढ़े हैं।

युद्ध की तपिश हमारे घरों की रसोई तक पहुंचने लगी है

टॉकिंग पॉइंट्स  

नरविजय यादव

कल एक डिपार्टमेंटल स्टोर पर जाना हुआ। मैं सीधे सबसे पहले रिफाइंड तेल के सेक्शन पर पहुंचा। हैरानी हुई यह देखकर कि पूरा सेक्शन करीब करीब खाली पड़ा था, सिवाय इक्का दुक्का ब्रांड के कुछेक डिब्बों के। कुकिंग ऑयल के जो थोड़े से पैकेट वहां मिले उनके दाम पहले के मुकाबले बढ़े हुए दिखाई दिए।

यही हाल सरसों के तेल वाले रैक का था। सब कुछ दो सौ रुपए या उससे ऊपर की रेंज में मिल रहा था। नमकीन वाले रैक पर जो पैकेट रखे थे, उनकी कीमत भी थोड़ी ज्यादा लगी। यानी यूक्रेन पर रूस के हमले की आंच हमारी रसोइयों तक पहुंचने लगी है। थोड़ा सा इंतजार और, शायद एक सप्ताह, फिर पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, यह सब भी बढ़े हुए दामों पर ही मिलेगा। हकीकत यह है कि युद्ध का सीधा असर सूरजमुखी के तेल, गेहूं, एलपीजी, कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ रहा है।

इसकी वजह से रोजाना इस्तेमाल की उपभोक्ता वस्तुएं बनाने वाली कंपनियों की कच्चे माल की लागत बढ़ गई है। फलस्वरूप, बिस्किट, साबुन, शैम्पू, कुकिंग ऑयल आदि जैसी चीजों के दाम बढ़ गए हैं। हालांकि, दामों में वृद्धि का सिलसिला पिछले तीन महीने से ही जारी है। परंतु वह वृद्धि कोविड की तीसरी लहर के कारण हुई, जबकि अब हो रही वृद्धि के पीछे रूस का युक्रेन पर फौजी हमला है।

 

ज्ञात हो कि भारत 70 प्रतिशत सनफ्लॉवर ऑयल यूक्रेन से और 20 प्रतिशत रूस से आयात करता है। रूस और यूक्रेन से तेल की सप्लाई में बाधा पड़ने के कारण कई देशों में तेल के दाम बढ़े हैं। खाना पकाने के तेल की बात करें तो सोयाबीन के साथ-साथ सनफ्लॉवर ऑयल की खूब मांग रहती है।

कोकोनट ऑयल के बाद सनफ्लॉवर ऑयल का सबसे अधिक आयात किया जाता है। भारत अपनी कुल जरूरत की आधी से अधिक गैस यूक्रेन से आयात करता है। पश्चिमी देशों की आर्थिक पाबंदियां इतनी सख्त हैं कि रूस की 12 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर इनका असर नजर आने लगा है।

इसी के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को परमाणु हमले की धमकी देनी पड़ी। इन प्रतिबंधों से रूस ही नहीं, भारत सहित करीब 50 अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा। तेल और गैस के अलावा अन्य कारोबार को अवैध घोषित किए जाने से रूस की सीमा के बाहर धन का लेनदेन रुक जाएगा। रूस के सेंट्रल बैंक पर कार्रवाई का मतलब है कि वह अपने पांच लाख करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। रूसी मुद्रा रूबल में पहले ही 28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हो चुकी है।

 

इस बीच, मास्टरकार्ड और वीसा ने रूस में अपनी सेवाएं समाप्त करने की घोषणा कर दी है। रूसी बैंकों ने इन दोनों कंपनियों के जो भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड अपने ग्राहकों को जारी किए हैं वे अब काम नहीं करेंगे, न तो रूस में और न ही दुनिया के किसी अन्य देश में। यहां तक कि ये कार्ड देश के बाहर मौजूद किसी रूसी स्टोर या एटीएम पर भी काम नहीं करेंगे। मास्टरकार्ड ने कहा है कि हमारा यह कदम हल्के में न लिया जाए। हमने यह फैसला ग्राहकों, सहयोगियों और सरकारों से बात करने के बाद लिया है। वीसा का कहना है कि हम आने वाले दिनों में रूस में हर तरह की गतिविधि रोकने जा रहे हैं।

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com