उम्मीद है कि जिंदगी जल्द पटरी पर लौट आयेगी
उड़ानें बंद रखने का मतलब है कि होटल और पर्यटन उद्योग को संभलने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं। विदेशी उड़ानें बंद होने से देश की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
टॉकिंग पॉइंट्स
उम्मीद है कि जिंदगी जल्द पटरी पर लौट आयेगी
नरविजय यादव
कोरोना के मद्देनजर भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध की अवधि और आगे खिसकाते हुए 28 फरवरी कर दी है। हालांकि, 30 देशों के लिए एयर बबल वाला महंगा और सीमित विकल्प जारी रहेगा। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर सबसे पहले 23 मार्च 2020 को रोक लगायी गयी थी, जब कोविड के मामले आने शुरू ही हुए थे और देश में लॉकडाउन लागू हो गया था। ओमिक्रॉन की दस्तक से पहले सरकार का इरादा 15 दिसंबर, 2021 को विदेशी उड़ानों की इजाजत देने का था, लेकिन तब यह तारीख अनिश्चित समय के लिए टालनी पड़ी। अब 28 फरवरी तक उड़ानें बंद रखने का मतलब है कि होटल और पर्यटन उद्योग को संभलने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं। विदेशी उड़ानें बंद होने से देश की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। लेकिन किया भी क्या जा सकता है। कोरोना है कि मानता नहीं। इसी कारण से गणतंत्र दिवस की परेड में भी इस बार फिर कोई विदेशी मेहमान मुख्य अतिथि नहीं होगा। पिछली बार की परेड भी बिना किसी विदेशी मेहमान के निकली थी।
कोरोना की तीसरी लहर से देश में चिंता की स्थिति जरूर बनी हुई है, परंतु घबराने की जरूरत नहीं है। इसका ओमिक्रॉन वेरिएंट फैलता तो बहुत तेजी से है, परंतु इससे मृत्यु के मामले पिछली बार जैसे नहीं हैं। जिनकी मृत्यु हुई है उनमें अधिकांश मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले से ही कोई गंभीर बीमारी थी। यह वायरस सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में रिपोर्ट हुआ था। वहां तीन हफ्ते बाद ही इसके मामले घटने लगे थे, कुछ ऐसे ही हालात इस समय भारत में हैं। बड़े शहरों में कोविड के मामले यकायक बढ़ने लगे थे, लेकिन अब संक्रमण की दर धीरे धीरे कम हो रही है। इससे तो यही लगता है कि ओमिक्रॉन का जो डर यकायक पैदा हुआ था, वो आगामी कुछ सप्ताहों में कम होने लगेगा। अगर कोई नया वेरिएंट न आया तो संभावना यह है कि जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगेगी। परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि कोरोना के नियमों को हल्के में लिया जाये। बिना कोरोना वाले अच्छे दिन तभी आयेंगे जब हर कोई मास्क पहनेगा, हाथ धोता रहेगा और लोगों से दो गज की दूरी बनाकर रखेगा। बिना मतलब यात्रा करना भी मना है। बल्कि जरूरी न हो, तो घर से बाहर ही न निकलें।
चिकित्सक बताते हैं कि कोरोना का इलाज पहले की तरह ही किया जा रहा है। डेल्टा हो या ओमिक्रॉन, इलाज एक जैसा ही है। सच तो यह है कि कोविड का अलग से कोई प्रभावी इलाज है नहीं, इसलिए लक्षणों का इलाज किया जाता है। बुखार होता है तो उसकी दवाई दी जाती है और ऑक्सीजन लेवल डाउन जा रहा हो तो ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है। ओमिक्रॉन के मामले बढ़ जरूर रहे हैं लेकिन अस्पतालों में भर्ती करने की वैसी जरूरत नहीं पड़ रही, जैसी डेल्टा वेरिएंट के समय पिछले साल थी। कोविड के जितने मामले इस समय हैं, उससे आधे मरीज होने पर ही तब अस्पताल फुल हो गये थे। गनीमत है कि अब ज्यादातर मामले डेल्टा के नहीं, बल्कि ओमिक्रॉन के आ रहे हैं। अस्पतालों के कोविड वार्ड में 20 प्रतिशत बेडों पर ही मरीज हैं, बाकी बेड खाली पड़े हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि हालात नाजुक हैं पर चिंताजनक नहीं।
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नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।
ईमेल: narvijayindia@gmail.com