बेंगलुरु में एक से चार फरवरी तक होगा देशभर के कलासाधकों का संगम

कर्नाटक के बेंगलुरु स्थित श्री श्री रविशंकर आश्रम में 01 से 04 फरवरी तक अखिल भारतीय कलासाधक संगम का आयोजन किया गया है।

बेंगलुरु में एक से चार फरवरी तक होगा देशभर के कलासाधकों का संगम

कर्नाटक के बेंगलुरु स्थित श्री श्री रविशंकर आश्रम में 01 से 04
फरवरी तक अखिल भारतीय कलासाधक संगम का आयोजन किया गया है। इस दौरान देशभर से कम से
कम दो हजार प्रतिनिधि एवं कलासाधक जुटेंगे। कार्यक्रम में 03 एवं 04 फरवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भारती के
तत्वावधान किया गया है।


संस्कार भारती की एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि चार दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन में कलाओं के
संरक्षण-संवर्धन के लिए विख्यात मैसूर राजवंश के राजा यदुवीर वाडियार, विजयनगर साम्राज्य के वंशज
कृष्णदेवराय उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात लोक कलाकार पद्मश्री गंजम्मा जोगती, वरिष्ठ
तबला वादक रविंद्र यायगल व इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत भी उपस्थित रहेंगे। संघ प्रमुख डॉ. भागवत
03 एवं 04 फरवरी को कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के आशीर्वचन और
डॉ. भागवत के समापन उद्बोधन के साथ चार दिवसीय कार्यक्रम संपन्न होगा। डॉ. भागवत इस दौरान
भरतमुनि सम्मान समारोह में दृश्यकला एवं लोककला के दो ख्यातिनाम कलासाधकों को सम्मानित भी
करेंगे।


मुंबई के चित्रकार विजय दशरथ आचरेकर एवं सिंधुदुर्ग के लोक कलाकार गणपत सखाराम मसगे
भरतमुनि सम्मान 2023 से सम्मानित किए जाएंगे। कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था
संस्कार भारती नई दिल्ली ने उभरते कला केंद्र कला संकुल में कला क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए
अपने प्रथम सम्मान की घोषणा की थी। वर्ष 2023 के लिए दृश्यकला एवं लोककला विधाओं के
कलाकारों को यह सम्मान दिया जाएगा। दृश्यकला में मुंबई के चित्रकार विजय दशरथ आचरेकर एवं
लोककला में सिंधुदुर्ग के गणपत सखाराम मसगे को उनकी कला साधना और अपने कार्यक्षेत्र में विशिष्ट
योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।


संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अश्विन दलवी ने बताया कि भरतमुनि सम्मान भारत में
पंचम वेद के नाम से विख्यात नाट्य शास्त्र के रचियता महर्षि भरत मुनि को समर्पित है। वर्ष 2024 का

भरतमुनि सम्मान मंचीय कला और साहित्य के क्षेत्र में दिया जाएगा। सम्मान के रूप में एक स्मृति
चिह्न, सम्मान पत्र एवं 1,51,000 की राशि भेंट की जाएगी।