शिंगणापुर का चमत्कारी शनि मंदिर

भारत में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है

शिंगणापुर का चमत्कारी शनि मंदिर

भारत में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित
शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित यहां पर शनि महाराज


की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि का विग्रह माना जाता है और वह बगैर किसी
छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।


शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं और शनि विग्रह की पूजा करके शनि के
कुप्रभाव से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है

कि यहां पर शनि महाराज का तैलाभिषेक करने वाले
को शनि कभी कष्ट नहीं देते।


शनि मराहाज के शिंगणापुर पहुंचने की कहानी बड़ी ही रोचक है। सदियों पहले शिंगणापुर में खूब वर्षा हुई। वर्षा के
कारण यहां बाढ़ की स्थिति आ गई। लोगों को वर्षा प्रलय के समान लगने लग रही थी। इसी बीच एक रात शनि


महाराज एक गांववासी के सपने में आए, शनि महाराज ने कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह रूप में मौजूद हूं। मेरे
विग्रह को उठाकर गांव में लाकर स्थापित करो।

सुबह इस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग
पानस नाले पर गए और वहां मौजूद शनि का विग्रह देखकर सभी हैरान रह गये।


गांव वाले मिलकर उस विग्रह का उठाने लगे लेकिन विग्रह हिला तक नहीं, सभी हारकर वापस लौट आए। शनि
महाराज फिर उस रात उसी व्यक्ति के सपने में आये और बताया कि कोई मामा भांजा मिलकर मुझे उठाएं तो ही


मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना जिसमें लगे बैल भी मामा-भांजा हों।

अगले दिन उस व्यक्ति ने जब यह बात बताई तब एक मामा भांजे ने मिलकर विग्रह को उठाया। बैलगाड़ी पर
बिठाकर शनि महाराज को गांव में लाया गया

और उस स्थान पर स्थापित किया जहां वर्तमान में शनि विग्रह
मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव की समृद्घि और खुशहाली बढ़ने लगी


शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव का विग्रह लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंचा व लगभग एक
फीट छह इंच चैड़ा है।

देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव के इस दुर्लभ विग्रह का दर्शन लाभ लेते हैं। यहां
के मंदिर में स्त्रियों का शनि विग्रह के पास जाना वर्जित है। महिलाएं दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं।


सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी यहां स्थित शनि विग्रह के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीताम्बर
धोती धारण करना अत्यावश्क है। ऐसा किए बगैर पुरुष शनि विग्रह का स्पर्श नहीं पर सकते हैं।।

प्रत्येक शनिवार,
शनि जयंती व शनैश्चरी अमावस्या आदि अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।


इस हेतु यहां पर स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएं हैंखुले मैदान में एक टंकी में कई सारे नल लगे हुए हैं,


जिनके जल से स्नान करके पुरुष शनिदेव के दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। पूजनादि की सामग्री के लिए भी यहां
आसपास बहुत सारी दुकानें हैं, जहां से पूजन सामग्री लेकर शनिदेव को अर्पित कर सकते हैं।


मंगलकारी हैं शनिदेव: आमतौर पर शनिदेव को लेकर हमारे मन में कई भ्रामक धारणाएं हैं। जैसे कि शनिदेव बहुत
अधिक कष्ट देने वाले देवता हैं वगैरह-वगैरह, लेकिन वास्तविक रूप मे ऐसा नहीं है।

यदि शनि की आराधना
ध्यानपूर्वक की जाए तो शनिदेव से उत्तम कोई देवता ही नहीं है।

शनि की जिस पर कृपा होती है उस व्यक्ति के
लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं।


शिंगणापुर की विशेषता: गौरतलब है कि कि शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं है।
दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी


चोरी करता है उसे शनि महाराज उसकी सजा स्वयं दे देते हैं।

गांव वालों पर शनिदेव की कृपा है व चोरी का भय
ही नहीं है शायद इसीलिये दरवाजे, खिड़की, अलमारी व शिंगणापुर मे नही है।


कई मुख्य स्थानो से शिंगणापुर की दूरी:-


शिर्डी से शिंगणापुर की दूरी -70 किमी


नासिक से शिंगणापुर की दूरी -170 किमी


औरंगाबाद से शिंगणापुर की दूरी -68 किमी