गंगटोक: प्रकृति और बौद्ध संस्कृति से दोस्ती का शहर

पूर्वी हिमालय रेंज में शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर 1437 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगटोक सिक्किम जाने वाले पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण है।

गंगटोक: प्रकृति और बौद्ध संस्कृति से दोस्ती का शहर

पूर्वी हिमालय रेंज में शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर 1437 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगटोक
सिक्किम जाने वाले पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण है। साल 1840 में एनचेय नाम के मठ के


निर्माण के बाद, गंगटोक शहर प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में लोकप्रिय होना भी शुरू हो गया।
1947 में स्वतंत्रता के बाद सिक्किम एक स्वतंत्र राजशाही के रूप में कार्य करता रहा। बाद में 1975


में गंगटोक को देश के 22वें राज्य की राजधानी घोषित किया गया था। और आज, सिक्किम कई


रोचक बातों के लिये जाना जाता है। सिक्किम के पर्यटन का मुख्यन आधार तिब्बोती बौद्ध संस्कृपति
को सीखने का मुख्या केंद्र है,


गंगटोक शहर के इतिहास के बारे में ज्यादा कुछ ज्ञात नहीं है। हालांकि, पहले के रिकॉर्ड की तिथि जो
गंगटोक के अस्तित्व के बारे में बात करती है वो 1716 का साल है। उस साल हर्मिटिक गंगटोक मठ


का निर्माण हुआ था। और जब तक शहर में प्रसिद्ध एंचेय मठ का निर्माण हुआ, गंगटोक काफी
अनन्वेषित था। हालांकि, वर्ष 1894 में इस जगह को सिक्किम की राजधानी घोषित किये जाने के


साथ इसका महत्व बढ़ना शुरू हुआ। शहर ओग गंगटोक पहाड़ी के एक तरफ स्थित है। गंगटोक में
पहाड़ी के किनारे पर एक छोर पर राज्यपाल का निवास और अन्य पर एक महल स्थित है। गंगटोक


के पूर्व और पश्चिम की ओर रोरो चू और रानी खोला झरने बहते हैं। ये धारायें रानीपुल से मिलती हैं
जो आगे दक्षिण में बहती हैं।


दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंगा गंगटोक के पश्चिमी ओर से देखी जा सकती है।
शहर में जलवायु इतनी अनुकूल है कि पर्यटक घूमने के लिये साल में कभी भी गंगटोक आ सकते हैं।


यहां साल भर मौसम खुशनुमा रहता है। सर्दियों में यहां बहुत ठंड होती है। कभी-कभार बर्फबारी भी
हो जाती है। मॉनसून और सर्दियों में मौसम कोहरे से भरा रहता है।
गंगटोक की संस्कृति

गंगटोक में प्रचलित संस्कृति खूबसूरत और अनूठी है। शहर लोकप्रिय हिन्दूी त्योभहार दीवाली,
दशहरा, होली और क्रिसमस की तरह विभिन्न स्थानीय त्योहार भी मनाता है। गंगटोक में तिब्बतियों
के लिए नववर्ष समारोह जनवरी और फरवरी के आसपास होता है। उसे लोसर कहा जाता है और यह


पारंपरिक शैतान डांस के साथ मनाया जाता है। शहर में लेपचाओं और भूटिया के लिए नया साल
जनवरी में शुरू होता है। गंगटोक में माघ संक्रान्ति और रामनवमी भी दो महत्वपूर्ण नेपाली त्यो हार


हैं, जो धूम धाम से मनाये जाते हैं। कुछ अन्य उत्सव, जो गंगटोक में लोग मनाते हैं वो हैं दलाई
लामा का जन्मदिन द्रुपका तेशी,

छोटरुल ड्यूचेन, बुद्ध जयंती, लूसोंग, सागा दावा, लबाब ड्यूचेन
और भुमचू।


जायें तो यह खायें
आप जब भी यहां आएं तो मोमोज खाना मत भूलें, क्योंरकि यह यहां सबसे लोकप्रिय भोजन है। यह


पकी हुई सब्जियों को आटे में लपेट कर भांप में पकाया जाता है और सूप के साथ परोसा जाता है।
वा-वाई यहां का एक और लोकप्रिय भोजन है, जो नूडल्स से बनता है। गंगटोक में उपलबध नूडल से


बने अन्य लोकप्रिय भोजनों में थुपका, चाउमिन, थनथुक, फकथू वानटन और ग्यासथुक शामिल हैं।


इसके अलावा, सिक्किम पर्यटन विभाग दिसंबर के महीने में गंगटोक में हर साल एक वार्षिक खाद्य
एवं संस्कृति उत्सव का आयोजन करता है। इस उत्सव में सिक्किम के बहु सांस्कृातिक व्यंहजनों के


स्टॉषल लगाये जाते हैं, जहां पारंपरिक ढंग से उन्हेंत सजाया जाता है. इस मौके पर दर्शकों के
मनोरंजन के लिये संगीत एवं लोक नृत्य के प्रदर्शन किये जाते हैं

। यह समारोह शहर में एमजी मार्ग
पर टाइटैनिक पार्क में आयोजित किया जाता है।


चारों ओर पर्यटन स्थल
सिक्किम की राजधानी होने के नाते गंगटोक शहर में दिलचस्पट और महत्वपूर्ण स्थान शामिल हैं।


इनमें से कुछ में शामिल हैं जैसे एंचेय मठ, चंगू झील, नाथूला दर्रा, नामग्याल तिब्बरतशास्त्रप के


संस्थान, ड्रल चोर्टन, गणेश टोक हनुमान टोक, सफेद दीवार, रिज गार्डन, हिमालय चिड़ियाघर पार्क,
एमजी मार्ग और लाल बाजार और रुमटेक मठ।


कब जाएं गंगटोक
यह जगह घूमने के लिये पूरे साल तक वातावरण अच्छा रहता है।

इसलिए कड़ाके की सर्दी यानि
दिसंबर-जनवरी को छोड़कर किसी भी मौसम में यहां आया जा सकता है।


कैसे पहुंचे गंगटोक
आप गंगटोक वायु, रेल या सड़क मार्ग के माध्यम से गंतव्य तक पहुंच सकते हैं।

यहां का निकटतम
हवाई अड्डा बागडोगरा है। यहां से सड़क मार्ग द्वारा गंगटोक पहुंचा जा सकता है।

इसके अलावा न्यू
जलपाइगुड़ी रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम है।

जो देश के तमाम बड़े शहरों से जुड़ा है। यहां से बस या
फिर टैक्सी के द्वारा गंगटोक तक पहुंचा जा सकता है।