कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने पर केंद्रीय बजट का फोकस : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 24 फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कृषि क्षेत्र पर केंद्रीय बजट 2022-23 के सकारात्मक प्रभाव पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बजट का फोकस कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने पर है।
नई दिल्ली, 24 फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कृषि क्षेत्र पर केंद्रीय बजट 2022-23 के
सकारात्मक प्रभाव पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बजट का फोकस कृषि को आधुनिक और स्मार्ट
बनाने पर है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए स्टार्टअप,
बैंकिंग क्षेत्र, निवेशकों, कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रमुख हितधारकों की मदद से किसानों के लिए बजट में पेश
किए गए नए प्रावधानों को लागू करने आग्रह किया है।
प्रधानमंत्री ने तीन साल पहले शुरु की गई किसान सम्मान निधि का उल्लेख करते हुये कहा कि ये योजना आज
देश के छोटे किसानों का बहुत बड़ा संबल बनी है।
देश के 11 करोड़ किसानों को करीब 2 लाख करोड़ रुपये दिए
जा चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कृषि बजट में की गई कई गुना बढ़ोत्तरी की जानकारी देते हुये कहा कि पिछले सात सालों
में हमने ऐसे कई नए सिस्टम बनाए हैं और पुराने सिस्टम में सुधार किया है।
बीते 7 सालों में हमने बीज से
बाज़ार तक ऐसी ही अनेक नई व्यवस्थाएं तैयार की हैं, पुरानी व्यवस्थाओं में सुधार किया है। सिर्फ 6 सालों में कृषि
बजट कई गुणा बढ़ा है।
किसानों के लिए कृषि ऋण भी सात साल में ढाई गुना बढ़ाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय बजट में मुख्य रूप से कृषि को आधुनिक बनाने और स्मार्ट बनाने के सात तरीके
सुझाए गए हैं।
पहला मिशन मोड में गंगा के दोनों किनारों पर 5 किमी तक प्राकृतिक खेती है। दूसरा यह कि
किसानों को कृषि और बागवानी में आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि बजट में दिया गया
एक और उपाय यह है कि कृषि-कचरा प्रबंधन अधिक व्यवस्थित किया जाएगा, कचरे से ऊर्जा के उपायों से किसानों
की आय बढ़ाई जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छठा उपाय यह है कि देश में 1.5 लाख से अधिक डाकघरों को नियमित बैंकों जैसी सुविधाएं
मिलेंगी ताकि किसानों को परेशानी न हो।
उन्होंने सांतवें प्रावधान की जानकारी देते हुये कहा कि कौशल विकास,
मानव संसाधन विकास को समायोजित करते हुए कृषि अनुसंधान और शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम को आधुनिक
समय के अनुरूप बदला जाएगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि साल 2023 बाजरा का अंतरराष्ट्रीय वर्ष है। ऐसे में हमारे कॉरपोरेट क्षेत्र को भारत के मोटे
अनाज की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार के लिए आगे आना चाहिए। दूसरे देशों में हमारे जो बड़े मिशन हैं, वे भी अपने
देशों में सेमिनार आयोजित करें, लोगों को जागरूक करें कि भारत के बाजरा कितने उत्तम हैं।
उन्होंने कहा कि
सरकार द्वारा प्रति बूंद अधिक फसल पर बहुत जोर दिया जा रहा है और यह समय की मांग भी है। इसमें व्यापार
जगत के लिए भी काफी संभावनाएं हैं।
केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड में क्या परिवर्तन आएंगे, ये आप
सभी भलीभांति जानते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 21वीं सदी में खेती और खेती से जुड़े व्यापार को बदलने वाला है।
किसान ड्रोन का देश के कृषि क्षेत्र में अधिक से अधिक उपयोग इसी बदलाव का हिस्सा है। ड्रोन टेक्नॉलॉजी, एक
स्केल पर तभी उपलब्ध हो पाएगी, जब हम एग्री स्टार्टअप्स को प्रमोट करेंगे। प्रधानमंत्री ने पराली की समस्या को
लेकर बजट में प्रावधान के संबंध में कहा कि कृषि-अवशेषों का प्रबंधन किया जाना भी उतना ही जरूरी है। इसके
लिए इस बजट में कुछ नए उपाय शुरू किए गए हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा और किसानों की कमाई
में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भारत का सहकारी क्षेत्र काफी जीवंत है। चाहे वह चीनी मिलें, खाद कारखाने हों, डेयरी हों, ऋण की
व्यवस्था हो, अनाज की खरीद हो। हमारी सरकार ने इस विषय पर एक नया मंत्रालय भी बनाया है।
कॉरपोरेट क्षेत्र
ऐसे उपकरणों के निर्माण के लिए आगे आ सकता है जो छोटे किसानों को उनकी उपज और आपूर्ति बढ़ाने में मदद
कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे माइक्रोफाइनेंसिंग संस्थानों से अनुरोध करता हूं कि वे आगे आएं और
कृषि स्टार्टअप की आर्थिक सहायता करें। हमारा उद्देश्य भारत में उत्पादित विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक रसों को
बढ़ावा देना और इसे मेक इन इंडिया दृष्टिकोण के साथ अन्य देशों के कोने-कोने तक पहुंचाना होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत खाद्य प्रसंस्करण और इथेनॉल सम्मिश्रण के क्षेत्र में बहुत प्रगति कर रहा है।
हम पहले किए
गए 1 या 2 प्रतिशत सम्मिश्रण की तुलना में इथेनॉल के 20 प्रतिशत सम्मिश्रण के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
हमें अगले 3 से 4 वर्षों में खाद्य तेल उत्पादन 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करना है।
उन्होंने कहा कि
उपभोक्तावाद लगातार बढ़ रहा है, इसलिए हमें भारतीय किसानों द्वारा जैविक उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के
लिए पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान देना चाहिए।