विमानों पर खराब मौसम का असर
दिल्ली में कम दृश्यता का असर विमानों के संचालन पर भी पड़ा। इंडिगो की एक उड़ान अचानक निरस्त कर दी गई
दिल्ली के खराब मौसम का विमानों पर पड़ा असर
दिल्ली में कम दृश्यता का असर विमानों के संचालन पर भी पड़ा। इंडिगो की एक उड़ान अचानक निरस्त कर दी गई तो मुंबई और जयपुर से दिल्ली जाने वाले दो विमानों को लखनऊ डायवर्ट किया गया। अपने 86 वर्षीय पिता के साथ लेखक नीलेश मिश्रा को भी इंडिगो की तीन बजे वाली फ्लाइट से दिल्ली जाना था, लेकिन विमान निरस्त हो गया। निलेश मिश्रा ने एक्स पर इसकी शिकायत की। हालांकि, बाद में इंडिगो ने उन्हें दूसरे विमान से भेजने की व्यवस्था कर दी। इसके बाद उन्होंने एक्स पर रीपोस्ट कर लिखा कि भाई इंडिगो ने तो आज दिल जीत लिया। उन्होंने दूसरी फ्लाइट में सीटें दिलवाने के लिए धन्यवाद दिया।
उधर, दूसरी ओर मुंबई से दिल्ली जा रहे अकासा एयरलाइंस के विमान को खराब मौसम की वजह से उतरने की अनुमति नहीं मिली। कई चक्कर लगाने के बाद विमान को लखनऊ भेजा गया। यह विमान करीब एक घंटा एयरपोर्ट पर खड़ा रहा। शाम 05रू20 बजे विमान को वापस दिल्ली भेजा गया।एयर इंडिया के भी एक विमान की लैंडिंग दिल्ली में नहीं हो पाई तो दोपहर 1रू45 बजे लखनऊ में लैंड कराया गया। विमान को करीब दो घंटे बाद दिल्ली रवाना किया गया। लखनऊ से बेंगलुरु जाने वाला एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान दो घंटे, दिल्ली का एयरइंडिया एक्सप्रेस का विमान एक घंटे, दिल्ली का एयर इंडिया का विमान सवा घंटे की देरी से गया। कई अन्य विमान भी देरी से पहुंचे।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एनसीआर से जुड़े यूपी के आठ जिलों मेरठ, गाजियाबाद, शामली, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बागपत, गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारियों को वायु गुणवत्ता की विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के निर्देशों का पालन किया जाए।सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत यदि किसी जिले में एक्यूआइ 449 है, तो वहां ग्रेप-4 का सख्ती से अनुपालन कराया जाए। 450 या 451 एक्यूआइ होने का इंतजार न किया जाए। मुख्य सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों से कहा कि संबंधित विभागों के अधिकारियों को भी वायु प्रदूषण के ग्रेप दिशा-निर्देशों के बारे में जागरूक किया जाए।
प्रतिदिन सड़कों की सफाई हो और कचरा उठाया जाए। पानी का छिड़काव किया जाए। इसके लिए फागिंग मशीन का उपयोग किया जाए। सभी तरह के निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाया जाए। दिशा-निर्देशों में कौन सा एक्शन कब लिया जाएगा, उसी के अनुरूप काम किया जाए।उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता बायो मास के जलने, वाहनों के प्रदूषण और कचरा से प्रभावित होती है। इसमें नंबर एक बायोमास को जलाना है।
वायु प्रदूषण कम करने के लिए जो काम किया जाए वह दिखना भी चाहिए। पराली जलने की घटनाओं पर कहा कि जिलाधिकारियों को सतर्क रहने की जरूरत है। जिन जिलों में पराली जलने की घटनाएं अधिक हो रही हैं, वहां लोगों को इसे न जलाने के लिए अधिक से अधिक जागरूक किया जाए। इसके बावजूद न मानने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। बैठक में पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार, कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका एस. गर्ग, अपर मुख्य सचिव गृह दीपक कुमार, प्रमुख सचिव कृषि रवीन्द्र, प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव ने कहा कि आलू उत्पादन वाले क्षेत्रों में डीएपी की मांग तेजी से बढ़ रही है। मांग के सापेक्ष डीएपी प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कृषि एवं सहकारिता विभाग इसे ध्यान में रखते हुए डीएपी का आवंटन करे। फर्टिलाइजर को लेकर संवेदनशील जिलों में विशेष निगरानी रखी जाए। कहीं से भी तस्करी एवं कालाबाजारी की शिकायत नहीं आनी चाहिए। सभी जिलों में रैन बसेरा की तैयारी अभी से शुरू कर दी जाए।
कोहरे के कारण सड़क पर ट्रैफिक की अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए। ट्रैफिक जाम करने वालों पर कठोर से कार्रवाई की जाए।