नव वर्ष में नये संकल्पों के लिए यह बेहतरीन समय है

परंतु कलेंडर बदलते ही सब कुछ बदला बदला सा नजर आता है। मानो पिछली गाड़ी गयी और नयी रेलगाड़ी सामने खड़ी हो आगे की नयी मंजिल पर पहुंचाने के लिए। बीत रहे साल का अंतिम सप्ताह है यह और नये संकल्प लेकर पूरे उत्साह से आगे बढ़ने के लिए इससे बेहतर टाइम और भला कौन सा हो सकता है

नव वर्ष में नये संकल्पों के लिए यह बेहतरीन समय है

टॉकिंग पॉइंट्स 

नव वर्ष में नये संकल्पों के लिए यह बेहतरीन समय है

नरविजय यादव

साल खत्म होने को है और नया वर्ष अंगड़ाई लेता हुआ सामने खड़ा है। यह समय है रीसेट बटन दबाकर बुरी आदतों से छुटकारा पाने और कुछ नयी और बेहतरीन शुरुआत करने का। वैसे तो समय का चक्र अपनी गति से चलता रहता है। परंतु कलेंडर बदलते ही सब कुछ बदला बदला सा नजर आता है। मानो पिछली गाड़ी गयी और नयी रेलगाड़ी सामने खड़ी हो आगे की नयी मंजिल पर पहुंचाने के लिए। बीत रहे साल का अंतिम सप्ताह है यह और नये संकल्प लेकर पूरे उत्साह से आगे बढ़ने के लिए इससे बेहतर टाइम और भला कौन सा हो सकता है। अपने नये साल के संकल्पों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप एक समय में एक लक्ष्य चुनें, उसके लिए काम करें, अपनी प्रेरणा को नया आकार दें, और हमेशा याद रखें कि "परिवर्तन एक रात का शो नहीं है, यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो हर दिन होती रहती है।

हर नये साल में, लोग अपने आप का एक बेहतर एडिशन तैयार करने के बारे में सोचने लगते हैं। नया साल नयी शुरुआत का समय होता है। आधा वर्ष बीतते बीतते संकल्पों की धार कम होने लगती है, मानो इंजन थकने लगा हो, कुछ छूट सा रहा हो। ऐसे में नया साल किसी रीसेट बटन की तरह आता है। अब्राहम लिंकन ने कहा था - हमेशा ध्यान रखें कि सफल होने के लिए आपका अपना संकल्प किसी भी अन्य चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। हम हर दिन एक छोटा कदम उठाकर अपने महा संकल्प को दिशा दे सकते हैं। प्रतिदिन अपनी प्रगति को डायरी में दर्ज करते चलें और किसी मुकाम पर पहुंचने पर खुद को कुछ पुरस्कार भी दें। इससे उत्साह बना रहता है और इंजन हल्का नहीं पड़ता।

साल 2021 कहने को तो एक मनहूस साल रहा, लेकिन इस साल ने सभी को कई महत्वपूर्ण संदेश भी दे डाले। मसलन इसने सेहत का, परिवार का, धन की बचत का और सपोर्ट सिस्टम बनाने का महत्व बताया। इसने यह सिखाया कि मौजूदा वक्त में रहना चाहिए क्योंकि भविष्य का कुछ नहीं पता। दुनिया में और जीवन में सब कुछ अस्थाई है, कुछ भी हमेशा के लिए नहीं है। इसने दया, मिलजुल कर साथ चलने, एक दूसरे की मदद करने, एक दूसरे से मदद लेने और अपने पराये के बारे में भी बहुत कुछ सिखा डाला। यहां तक कि नयी उम्र के जो बच्चे पिज्जा बर्गर से बाहर नहीं निकलते थे, उन्हें भी पता चल गया कि प्राकृतिक जीवन, आयुर्वेद और सदियों से चले आ रहे भारतीय खानपान में दम है। इम्युनिटी बनाने के लिए मोटे अनाज, सब्जियों और फलों पर ही भरोसा करना होगा। शाकाहारी भोजन ही मानव का मुख्य आहार है। हत्या करना और जीवों को खा जाना मनुष्य का वास्तविक व्यवहार नहीं है। इसने पृथ्वी के वायुमंडल पर बढ़ते दबाव और जल, जंगल, जमीन व वन्य पशुओं व जीव जंतुओं का महत्व भी समझाया। जाते साल ने बताया कि स्वास्थ्य ही असली धन है। अगले वर्ष के लिए जंक फूड न खाने का संकल्प ले सकते हैं। प्राकृतिक स्थानों की यात्रा का प्लान बना सकते हैं। भविष्य के लिए बचत योजना में भाग लेने की पहल कर सकते हैं। परिवार के साथ अधिक समय बिताने की योजना पर काम कर सकते हैं।

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं। 

ईमेल: narvijayindia@gmail.com