लाइट डालने पर दिखाई दिये 10 फुट गहरे सीवर में शव
नई दिल्ली, 30 मार्च । संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में हुए हादसे की खबर मिलने के बाद बचाव दल मौके पर पहुंच गया।
नई दिल्ली, 30 मार्च संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में हुए हादसे की खबर मिलने के बाद बचाव दल मौके
पर पहुंच गया। करीब 10 फुट गहरे सीवर में लाइट डालने पर शव दिखाई तो दे रहे थे
लेकिन नीचे बेहद जहरीली
गैसों का मिश्रण मौजूद था। इसलिए बैगर मास्क औ
र सिलेंडर के उतरना संभव नहीं था। ऐसे में बचाव दल ने
सीवर के मेनहोल को तोड़ने का प्रयास किया।
इसके लिए गड्ढा खोदने वाली जेसीबी मशीन को बुलाया गया।
उसने ऊपर लगे ढक्कन के चैंबर को तो हटा दिया,
लेकिन वह नीचे लेंटर डालकर बनाए गए बड़े हिस्से को नहीं तोड़ पाई। दूसरी ओर जीवन की आस में जोर
जबरदस्ती भी नहीं की जा सकती थी। इसलिए हैमर वाली दूसरी जेसीबी मशीन को बुलाया गया।
इस दौरान
एनडीआरएफ की टीम ने भी वहां पहुंचकर बचाव कार्य में शामिल हो गई।
नीचे मशीनों की मदद से हताहतों के
जीवन का पता लगाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके जीवित बचे होने की संभावना न के बराबर मिली।
एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर गोवर्धन बैरवा ने बताया कि सीवर लाइन में तारों का जाल मौजूद था।
यहां बिजली के
अलावा एमटीएनएल, इंटरनेट व बाकी दूसरी केबल मौजूद थीं। नीचे जाने के लिए महज डेढ़-पौने दो फुट का
मेनहोल था। इसमें मास्क व सिलेंडर लेकर उतरना संभव नहीं था।
हालांकि सीवर लाइन को पानी के लिए नहीं
सिर्फ केबल के लिए बनाया गया था। लेकिन बावजूद इसके उसमें नीचे पानी था। सबसे पहले मेनहोल में पाइप
डालकर पानी को निकाला गया।
इसके बाद किसी तरह मेनहोल को चौड़ा कर रात करीब 12.00 बजे सतीश नामक ई-रिक्शा चालक का शव निकाला
गया। इसके बाद करीब 1.30 बजे सूरज और पिंटू के शवों को भी मेनहोल से निकाल लिया गा।
लेकिन बच्चू के
शव को निकालने में खासी दिक्कत हुई। बाद में मेनहोल के लिए डाले गए लेंटर को तोड़ा गया।
इसके अलावा
सरिये के जाल को काटकर किसी तरह 3.15 बजे उसके शव को भी निकाल लिया गया। इस दौरान एनडीआरएफ
के असिस्टेंट कमांडेंट श्रीनिवास और दमकल विभाग के एडीओ सरबजीत भी मौके पर मौजूद थे।