कुरीतियों पर चोट और रंगमंच का खूबसूरत संदेश है 'शाइस्ता

रमा पांडेय के कुशल निर्देशन में कलाकारों ने अपने अभिनय से जीवंत किया शाइस्ता का मंचन नई दिल्ली।

कुरीतियों पर चोट और रंगमंच का  खूबसूरत संदेश है 'शाइस्ता

          शाइस्ता'

रमा पांडेय के कुशल निर्देशन में कलाकारों ने अपने अभिनय से जीवंत किया शाइस्ता का मंचन
नई दिल्ली। रतनव त्रिदिवसीय नाट्य रंगोत्सव के दूसरे दिन रमा पांडेय के कुशल निर्देशन में
'शाइस्ता' पर आधारित एक कहानी का नाट्य मंचन हुआ। शाइस्ता एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसमें कुरीतियों पर चोट के साथ आधुनिक संसाधनों की उपयोगिता के महत्व को दिखाया गया है। कहानी में दिखया गया है कि एक लकड़ी मोबाइल फोन के बारे में ज्यादा  कुछ न जानते हुए भी उसका सही समय पर कैसे इस्तेमाल कर अपने ऊपर थोपी जा रही बाल विवाह जैसी कुप्रथा का मुकाबला कर उसे रोकती है।
 शाइस्ता एक मुस्लिम परिवार पर आधारित एक लड़की की कहानी है। जिसकी लेखिका खुद रमा पांडेय हैं और इस नाटक की प्रोड्यसर व डायरेक्टर भी वही हैं। 


राजधानी दिल्ली के मंडी हाउस स्थित श्री राम सेंटर में शुक्रवार की शाम रतनव (रमा थियेटर नाट्य विद्या) द्वारा त्रिदिवसीय आयोजन के दूसरे दिन नाटक शाइस्ता का मंचन रमा पांडेय के कुशल निर्देशन में हुआ। मंच में कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुति पूरे शो में दर्शकों के  आकर्षण का केंद्र रही। खचाखच भरे हाल में दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति को बया कर रही थीं। नाटक मंचन का  संचालन खुद रमा पांडेय ने किया।शो के दौरान उन्होंने नाटक की कहानी का उद्देश्य बताया और समाजिक कुरीतियों पर जमकर चोट की।  इन्हें मिटाने को समाज से अपील कर बेटी- बेटा की शिक्षा पर जोर दिया और शिक्षा के महत्व को समझाया। नाटक मंचन में गजाला साद ने शाइस्ता की मां का जीवंत अभिनय किया। शो के मुख्य अतिथि पंडित साजन मिश्रा ने रमा पांडेय व अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की ।

मुख्य अतिथि ने नाटक मंचन के कुशल संचालन व निदेशन के लिए रमा पांडेय व कलाकारों के भावपूर्ण मंचन की भूरी- भूरी प्रशंसा की।